ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: कुंडली में शनि की दसवीं दृष्टि का सभी भावों में फल
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है शनि की दशवी दृष्टि कर्म भाव पर…
शनि की दशवी दृष्टि
आज का विषय शनि की दशवी दृष्टि कर्म भाव पर.. जैसा कि प्रत्येक रविवार को हम सब सीखते हैं ज्योतिष का गूढ़ रहस्य को लेकर पाराशर ऋषि ने बताया हैं शनि वृद्ध ग्रह है धीमी गति से चलते है पर न्याय संगत काम करते है काल पुरुष के कुंडली में दसवां घर शनि ग्रह का होता है वहां के अधिपति शनि होते है जो न्याय संगत काम करता है कर्म का फल उसको मिलता है, चाहे अच्छा हो या बुरा दंड हो।
अगर शनि लग्न में बैठा है तो उसका दशवी दृष्टि कर्म भाव पर पड़ती है वह व्यक्ति कर्म से भाग्य पर भरोसा रखता है, भले धीमी गति से चल रहा हो वह काम करता है उसको काम में मजा आता है और लाइफ में सुख सम्पन्नता प्राप्त कर लेता है।
अगर शनि दूसरे भाव में बैठा है तो उसकी दसवीं दृष्टि एकादश भाव पर पड़ती है वह आय का बड़े भाई का घर होता हैं विलंब से उसकी सफलता मिलेगी उसमें बड़े भाई का सहयोग मिलेगा।
अगर शनि तीसरे भाव में बैठता है तो उसकी दसवीं दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ती हैं जो खर्च का भाव दूर देश का भाव होता हैं। विदेश में रहकर काम करता वही पर अपना जीवन जीता है।
अगर शनि चौथे स्थान में है तो उसकी दशवी दृष्टि लग्न भाव पर पड़ती हैं जो खुद शेल्फ से लाभ पाता है। कठिन प्रयास से सफलता मिलती हैं।
अगर शनि पांचवे स्थान में हैं तो वह घर विद्या संतान की होती है उसकी दशवी दृष्टि द्वितीय भाव पर धन भाव पर पड़ती हैं कुटुंब परिवार सहित सभी लोगों सुख सम्पन्नता प्राप्त करते हैं।
अगर शनि छठे स्थान में है तो उसकी दसवीं दृष्टि तीसरे स्थान पर पराक्रम भाव पर पड़ती है जहां रोग रिपु का दमन करता है भाइयों से सहयोग मिलेगा व्यापार से लाभ मिलेगा।
अगर शनि सप्तम भाव में होता है तो वह घर पत्नी माता या महिला सहयोगी से भाग का निर्माण करता है व्यापार से अपार धन सम्मान यश कीर्ति वैभव मिलेगा।
अगर शनि आठवें स्थान में है तो उसकी दसवीं दृष्टि पाँचवें स्थान पर शिक्षा प्रतियोगिता में रिसर्च करना आयु रोग में रिसर्च डाक्टर वर्ग ऑपरेशन करके धन सम्मान यश कीर्ति वैभव पाता है।
अगर शनि नवम भाव में है तो वह घर धर्म पिता गुरु अध्यात्म से लाभ मिलेगा, रिसर्च करेगा साइंटिस्ट बनाने में सफलता मिलेगी।
अगर शनि दशम भाव में है तो वह घर उसका घर होता हैं जहां कर्म करने वाले राजयोग प्राप्त करते है खुद ही शानदार सफलता के अधिकारी होते न्याय संगत काम करते और लाइफ चेंज करते हैं।
अगर शनि ग्रह एकादश भाव में होते हैं तो बड़े भाई द्वारा सहयोग लेकर व्यापार में प्रगति करते हैं।
अगर शनि बारहवें भाव में होते हैं, तो वह धर्म प्रयाण जीवन होगा सन्यासी बन कर फक्कड़ होते हैं।
यह शनि के सभी भावों का फलादेश पाराशर ऋषि द्वारा बताए गए सिद्धांत पर किया गया है।
NOTE:-
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