बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं से बढ़ रही यौन हिंसा, 3 महीनों में 342 केस आये सामने
Bangladesh Hindu Women: बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस शासन के दौरान 90 से कम दिनों में बलात्कार के 342 केस सामने आये जिसमें हिंदू, ईसाई, बौद्ध अल्पसंख्यक महिलाओं पर यौन हिंसा की वारदात बढ़ी हैं। ऐसे में अब हिंदूओं लड़कियों के लिए बांग्लादेश नरक बनता जा रहा हैं।

हिंदू लड़कियां हो रही बलात्कार का शिकार
आपको बतादें कि ढाका बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस शासन के हिंदूओं लड़कियों के साथ ही यौन हिंसा की वारदात दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं, इतना ही नहीं कई लड़कियों के शव बिना सिर के मिले हैं। जानकारी के लिए बतादें कि बांग्लादेश में विशेष रूप से हिंदू, ईसाई, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और बच्चों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है, जो मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत महामारी जैसी स्थिति में पहुंच गया है। जिसकी जानकारी मानवाधिकार कांग्रेस (एचआरसीबीएम) ने शुक्रवार को दी हैं।
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अल्पसंख्यक महिलाओं से बलात्कार के मामलों की बाढ़ आ गई है, हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि यौन हमलों के बढ़ते मामलों की तुलना महामारी से की जा रही है। मानो ये मुल्क साउथ एशिया की माइनॉरिटीज रेप कैपिटल बन गया है।

एचआरसीबीएम ने किया क्रूरता का खुलासा
हिंदू लड़कियों के साथ हो रहे बलात्कार को लेकर खुलासा करते हुए HRCBM ने बताया कि 2025 की पहली तिमाही के दौरान तीन महीने से भी कम समय में आधिकारिक तौर पर बलात्कार के 342 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में से 87 % में पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां थीं। इनमें से 40 पीड़ित शिशु अवस्था से लेकर छह वर्ष की आयु के बीच के बच्चे थे, जबकि सामूहिक बलात्कार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिनमें से अधिकांश पीड़ित नाबालिग हैं।
🚨 A Crisis of Humanity in #Bangladesh 🚨
— Human Rights Congress for Bangladesh Minorities (@hrcbm) August 22, 2025
HRCBM has filed a Public Interest Litigation (PIL) at the Bangladesh Supreme Court demanding a judicial enquiry into the wave of sexual violence targeting minority women and children.
📊 In just two months, 342 documented cases of rape… pic.twitter.com/AVP5od4cGt
अधिकार संस्था के अनुसार, ये भयावह आंकड़े तो बस एक छोटा सा हिस्सा हैं, और वास्तविक संख्या हजारों में है, जो चुप्पी, भय और राज्य की निष्क्रियता के कारण छिपी हुई है। बांग्लादेश में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के ज्यादातर मामले सामाजिक कलंक, बदले की कार्रवाई के डर और न्याय व्यवस्था में अविश्वास के कारण दर्ज नहीं हो पाते हैं। इसके साथ ही कानून प्रवर्तन और निचली अदालतों में धार्मिक पूर्वाग्रह के आरोप परिवारों को न्याय पाने से रोकते हैं, जिससे अपराध दर्ज नहीं होते और सजा नहीं मिलती।
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HRCBM द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “कई मामलों में, देश भर में महिलाओं और लड़कियों के शव मिले हैं जिनके सिर तक गायब हैं और उनकी पहचान करना असंभव हो गया है। इससे अपराधियों की क्रूरता का पता चलता है।”
यूनुस शासन में हो रहा अत्याचार
यूनुस शासन के तहत बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों के बारे में बताते हुए, मानवाधिकार संस्था ने कहा – निराधार आरोपों और बढ़ते जनाक्रोश के बावजूद, एक प्रमुख हिंदू नेता और बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास नवंबर से जेल में बंद हैं।

मानवाधिकार संस्था ने कहा कि उनकी जमानत याचिका, जो अब बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय खंड में लंबित है, पर महीनों से कोई समाधान नहीं निकला है। तब से, इसमें कहा गया है कि दास कई मनगढ़ंत मामलों में उलझे हुए हैं, जिनमें हत्या के झूठे आरोप भी शामिल हैं। एचआरसीबीएम ने सवाल किया कि क्या उनका एकमात्र अपराध सत्ता के सामने सच बोलना और बांग्लादेश के हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की वकालत करना था।