ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: कुंडली में मांगलिक दोष का विचार और निदान
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय कुंडली में मांगलिक दोष का विचार उसका निदान वैज्ञानिक तर्क से करें।
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पाराशर ऋषि ने बताया कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति बारह अवतार में भगवान से हुई हैं।
“मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः”
अर्थ- मंगल भूमि का पुत्र है ऋण का हरण करता धन को प्रदान करता है। भूमि संबंधी लाभ अग्नि से जुड़े काम सेना पति का नेतृत्व करना साहस से भरा हुआ उत्साह प्रिय होता है।
कुंडली में मांगलिक दोष का विचार
जिसका मंगल पराक्रम स्थान में होता है त्रि स्थान छठा भाव और आय भाव में उसके शत्रु स्वयं नष्ट हो जाते हैं। ऐसा परासर ऋषि ने कहा- जैसे पंडित जवाहर लाल की कुंडली में पराक्रम स्थान में मंगल ग्रह देश का बटवारा करा दिया ओर राजा बना दिया। मंगल की चौथी आठवीं दृष्ट होती है।
जब यह लग्न में बैठता तो चौथा घर में आठवां घर को देखता है। चौथा घर माता का, सुख का, भूमि वाहन का होता है वहां से चौथा भाव से चौथा सातवां भाव पत्नी का होता, व्यापार का होता, आठवां भाव रिसर्च का मार्केश का मृत्यु का होता है और बारहवां भाव खर्च का विदेश का होता है।

अगर इन सभी भावों मंगल का बैठना या देखना होता है तो मंगली कहते है परंतु मंगल सबको हानि या सबको लाभ नहीं करता उसकी जानकारी श्रेष्ठ ज्योतिषी से करनी चाहिए फिर उसका फलादेश करना चाहिए।
मंगल स्वगृही है मित्र गृही है या उच्च का नीच का है उसपर किसकी दृष्ट है उसकी पात्रता क्या है अर्थात कितने अंश का है उसपर फर्क पड़ता है वह क्या करेगा लाभ या हानि…वहीं विवाह में वर और कन्या दोनों के कुंडली में सम स्थान में होता है तो वह घर मजबूत होता हैं और लाइफ में वृद्धि होती है।

अगर विषम स्थिति में कोई होता है तो एक तो साहसी और दूसरा कमजोर होता हैं तो आपसी संबंधों में खटास आती हैं इसलिए मंगल का बैठना शुभ होगा जब दिनों में सामंजस्य स्थापित होता हैं। तो दांपत्य जीवन सुंदर होगा, सोचा हुआ काम बनेगा, भूमि वाहन संबंधी सुख प्राप्त होगा। यह जानकारी ज्योतिष ज्ञान गुरु मुखी ही समझ सकता है और उसका फलादेश कर सकता है।
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