उत्तर प्रदेश

प्रेमी-प्रेमिका की आपसी रजामंदी से बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं- हाईकोर्ट

Allahabad High Court: प्रेम संबंधों और उस दौरान हुए शारीरिक संबंधों से जुड़े मामले को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है कि यदि महिला शुरू से यह जानती है कि सामाजिक कारणों के चलते शादी संभव नहीं है फिर भी वह वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता हैं।

पीड़िता की याचिका HC ने की खारिज

प्रेमी-प्रेमिका की आपसी रजामंदी से बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं- हाईकोर्ट

जैसा कि आप सभी जानते है कई बार होता है प्रेम संबंध के दौरान आपसी रजामंदी से वर्षों तक शारीरिक संबंध तो बन जाता है मगर सामाजिक कारणों के चलते शादी संभव नहीं होती हैं ऐसे में अगर कोई महिला अपने प्रेमी पर रेप का कोई शिकायत दर्ज करता है तो वह मामला दुष्कर्म का नहीं माना जाएगा। ऐसा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया हैं।

Read More: यूपी में निकली APO के 182 पदों पर वैकेंसी, जानें कब से होगी आवेदन प्रक्रिया

बताते चले कि यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने महोबा जिले की एक महिला द्वारा अपने सहकर्मी लेखपाल के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए की गई हैं। अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष लंबे समय तक एक प्रेम संबंध में थे और शारीरिक संबंध दोनों की आपसी सहमति से बने थे जिसके चलते पीड़िता की याचिका को खारिज कर दिया गया हैं।

प्रेमी-प्रेमिका की आपसी रजामंदी से बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं- हाईकोर्ट

पीड़िता ने लगाया था आरोप

यूपी के महोबा जिले के चरखारी थाना क्षेत्र में पीड़िता ने 2019 में अपने सहकर्मी लेखपाल पर जन्मदिन की पार्टी के बहाने नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था इसके साथ ही उसने दावा किया था उसका वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया साथ ही उसके साथ शारीरिक संबंध मनाया। इतना ही नहीं पीड़िता के अनुसार, होश में आने पर आरोपी ने उससे शादी करने का वादा किया, लेकिन चार साल बाद जातिगत कारणों का हवाला देते हुए शादी से मुकर गया।

Read More: कांग्रेस का AI विवाद: पीएम मोदी की मां पर वीडियो से भड़की BJP, नेताओं ने दी कड़ी धमकी

जब पुलिस अधिकारियों ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, तो उसने एसी/एसटी (SC/ST) विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया। जिस पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा – अगर कोई महिला यह जानती है कि सामाजिक कारणों से शादी संभव नहीं है, फिर भी वह कई वर्षों तक अपनी सहमति से संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

प्रेमी-प्रेमिका की आपसी रजामंदी से बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं- हाईकोर्ट

लेखपाल के वकील ने दलील में खोले कई राज

वहीं दूसरी ओर लेखपाल की तरफ से पीड़िता के लगाये गए आरोप पर वकील ने अदालत में दलील दी कि पीड़िता ने पहले पुलिस थाने और पुलिस अधीक्षक को लिखकर कार्रवाई करने से मना कर दिया था। इसके साथ ही वकील ने यह भी बताया कि जब आरोपी ने पीड़िता से अपने दिए हुए दो लाख रुपये वापस मांगे, तो उसने बदले की भावना से यह परिवाद दाखिल किया। यह तर्क दिया गया कि महिला के आरोप निराधार हैं और उन्हें केवल आर्थिक विवाद को लेकर बदला लेने के उद्देश्य से लगाया गया है। इस दलील ने मामले को एक नया मोड़ दिया और अदालत को दोनों पक्षों की गंभीरता से सुनने का अवसर मिला।

प्रेमी-प्रेमिका की आपसी रजामंदी से बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं- हाईकोर्ट

प्रेम संबंध में शारीरिक संबंध नहीं है दुष्कर्म

जिसपर हाईकोर्ट ने ​सुनवाई के बाद पीड़िता की याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कहा- दोनों पक्ष लंबे समय तक एक प्रेम संबंध में थे और शारीरिक संबंध दोनों की आपसी सहमति से बने थे। अदालत ने यह भी कहा- अगर कोई महिला यह जानती है कि सामाजिक कारणों या अन्य बाधाओं के कारण शादी संभव नहीं है, फिर भी वह स्वेच्छा से वर्षों तक संबंध बनाए रखती है, तो उसे दुष्कर्म के तौर पर नहीं देखा जा सकता। इस फैसले ने यह स्थापित किया है कि केवल शादी का वादा करके संबंध बनाना हमेशा दुष्कर्म नहीं होता, खासकर तब जब दोनों पक्ष सहमति से लंबे समय तक साथ रहते हैं। यह फैसला भविष्य में ऐसे ही मामलों के लिए एक उदाहरण बन सकता है।

https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/allahabad/physical-relationship-formed-after-love-affair-cannot-considered-rape-allahabad-high-court-big-decision/articleshow/123865024.cms

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *