गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में जानें पितरों की मुक्ति कैसे करें और आशीर्वाद पाएं
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज गुरु ज्ञान का विषय है, पितरों की मुक्ति और उनका आशीर्वाद कैसे करें। जैसा कि प्रत्येक गुरुवार को गुरु प्रसाद में ज्ञान की चर्चा होती है आज का विषय है पितरों की मुक्ति उनका आशीर्वाद…
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पितरों का आशीर्वाद मिलना

पाराशर ऋषि ने इस विषय में बताया है जब जीव पंच भौतिक शरीर को छोड़ कर ब्रह्मांड में विलीन हो जाता है उसका कर्म के आधार पर पुनर्जन्म होता है, लेकिन उसका अवचेतन मन जो सुक्ष्म अवस्था में होता है उसमें पुनर्जन्म के सभी डाटा पड़ा रहता है लेकिन उसको मालूम नहीं होता हैं।
वह माया के वशीभूत दशो इंद्रियां, पांच कर्म, इंद्रियां पांच, ज्ञान इंद्रियां में भटकता हुआ विषय भोगो को भोगता है उसी में अपना सुख मानता हैं। जब उसको दुख मिलता है तब ईश्वर को दोष देता है। इसलिए सुख-दुख का आधार उसका प्रारब्ध का भोग कहा जाता है, यह प्रारब्ध क्या है इसको जानें…

प्रारब्ध क्या है?
उसके कर्म तो है ही परन्तु उसके पूर्वज का आशीर्वाद भी काम करता हैं। प्रत्येक वर्ष में 15 दिन पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाता है जिज्ञासु लोग अपने पूर्वज को पिंड दान तर्पण करते उनके आत्मा के शांति के लिए ब्राह्मण भोजन, गाय को कुत्ता को चींटी को कौआ को भोजन कराते उनके पूर्वज उनको आशीर्वाद देते उनका वंश वृद्धि होती उनका व्यापार नौकरी में प्रगति होती हैं।
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पितरों की मुक्ति

जो लोग ऐसा नहीं करते उनके पूर्वज इंतजार करते क्यों कि उनका अवचेतन मन में डाटा पड़ा रहता वह जानता सब कुछ है मगर पूर्वजों की अशांति ही परिवार के प्रगति में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए अपने पूर्वजों के आत्मा के शांति हेतु श्राद्ध तर्पण दान पूरे मनोयोग भावना से करें उनकी शांति से परिवार में खुशियां मिलेगी। यह संस्कार विकसित करें सनातन धर्म गुरु कृपा से मिलती हैं।