गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में जानें ज्योतिष और मनुष्य का संबंध
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज गुरु ज्ञान का आज का विषय है जीवन निर्माण में ज्योतिष और मनुष्य का संबंध..
ब्रह्मा जी ने जब मनुष्य की रचना किया तो उसको ज्योतिष के 12 भावों से जोड़ कर रखा तो आइये जानते है कि ज्योतिष में 12 क्या भाव होते है।
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प्रथम भाव से शरीर को देखा जाता है उसका रंग रूप लंबाई बनावट कैसी हैं।
दूसरा भाव धन का होता है, शरीर के बाद धन की आवश्यकता होती हैं कितना धन होगा, उसको दूसरे भाव में कौन सा ग्रह बैठा है, किसका घर है, वह कितना पावर में है, किसकी दृष्ट है उच्च का है या नीच का स्वगृही मित्र गृही आदि विचार से जाना जाता है।
तीसरा भाव पराक्रम का बोलने की कला बताता है, शरीर के बाद धन और पराक्रम के बाद।

चौथा भाव सुख सम्पन्नता का होता हैं, मकान वाहन भूमि संबंधी जानकारी मिलती है।
पाँचवाँ भाव बुद्धि का होता है, अगर पांचों जिसके पास है वह सुखी है, सुंदर शरीर, धन, पराक्रम, सुख, सम्पन्नता और बुद्धिमानी।
छठा भाव शत्रु का रोग का संघर्ष का होता है।
सातवां भाव विषय वासना भोग का होता है, विषय वासना विस भरी है कटारी वासना में लिपटा मनुष्य।

आठवां भाव मृत्यु का होता है रोग, कष्ट से दुखी होता है, फिर उसको धर्म दिखता है।
नवा भाव धर्म का पिता का गुरु का होता है।
दसवां भाव कर्म का होता है अच्छा कर्म से अच्छा फल गलत कर्म का गलत फल मिलता है।

ग्यारहवां भाव आय का होता है वह आमदनी करता आय कैसी है।
बारहवां भाव खर्च का होता है, फिर जो जैसा कमाया वह वैसा खर्च करता है।
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महर्षि परासर ऋषि ने अपनी दिव्य दृष्ट से देखा और फलदीपिका नामक ग्रंथ में लिखा है, मनुष्य का जीवन ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ है। गुरु कृपा से मिलती ज्ञान हमको शिखर की ऊंचाई पर पहुंचाएगी।
NOTE: प्रत्येक गुरुवार को गुरु प्रसाद मिलता रहेगा जो जिज्ञासु लोग है उनकी इच्छा पूर्ण होती है। यह जानकारी गुरु के आशीर्वाद से मिलता है आप सभी को देने का प्रयास करता हूं। जिज्ञासु लोग कैरियर की जानकारी और लाइफ चेंज के लिए संपर्क करें। नोएडा-लखनऊ-कानपुर आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ, 9415126330, 6386254344.
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