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बिहार में मोदी–नीतीश की हिट जोड़ी: शपथ के साथ नई शुरुआत

पटना: बिहार ने गुरुवार को ऐसा ऐतिहासिक दिन देखा, जब सत्ता केवल अलंकृत नहीं हुई, बल्कि जनता के उत्साह, उम्मीद और अपार जनसमर्थन के बीच नए जोश के साथ स्थापित होती दिखी। गांधी मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह ने यह साबित कर दिया कि बिहार का जनादेश सिर्फ सरकार बनाने का फैसला नहीं था—यह विश्वास, स्थिरता और नेतृत्व की स्वीकार्यता पर दिया गया प्रचंड मत था।

राज्य के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भारी भीड़ उमड़ी थी। ढोल, नगाड़ों और राजनीतिक नारों के बीच मंच पर बजता लोकगीत “जोड़ी मोदी अउर नीतीश जी के हिट हो गईल” जैसे ही स्पीकरों से गूंजा, पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट और नारों की लहरों में समा गया। यह दृश्य इस बात का प्रतीक था कि बिहार की जनता किस हद तक इस जोड़ी को भरोसे और विकास के नए प्रतीक के रूप में देख रही है।

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मोदी–नीतीश के ‘हिट जोड़ी’ की गूंज में डूबा शपथ मंच

शपथ स्थल पर लोगों का उत्साह बस देखने लायक नहीं, इतिहास की किताबों में दर्ज करने लायक था। मंच पर गीत बजते ही भीड़ में मौजूद अरवल के राम गोविंद सिंह ने साफ कहा- “यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अद्वितीय लोकप्रियता और उनके विकास मॉडल का नतीजा है।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री की कार्यशैली ने बिहार में ऐसा भरोसा जगाया, जिसने विपक्ष को पीछे कर दिया।

उधर नालंदा के आलोक महतो ने यह माना कि नीतीश कुमार की स्वच्छ छवि और सुशासन की पहचान इस जीत की दूसरी बड़ी वजह है।

दोनों की चर्चा के बीच सारण से आई छात्रा रेखा कुमारी ने सहज शब्दों में कहा- “यह जीत एक व्यक्ति की नहीं, यह जनता की जीत है… मोदी और नीतीश दोनों की जोड़ी ही इस बार की विजेता है।”

यही संवाद इस चुनाव के नतीजों का सार भी था—जहाँ नेतृत्व का तालमेल जनता के विश्वास का केंद्र बना।

हेलीकॉप्टर से मोदी की एन्ट्री

वहीं जब आसमान में गड़गड़ाहट सुनाई दी और भीड़ का ध्यान मंच से ऊपर चला गया, क्योंकि समारोह की हलचल के बीच अचानक आसमान में तेज आवाज सुनाई दी। लोग ऊपर देखने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेलीकॉप्टर शपथ स्थल के ऊपर से गुजरते हुए दिल्ली लौट रहा था। उस क्षण मंच से अधिक लोगों की निगाहें आसमान पर थीं।

भीड़ में एक ही नारा उभरा— “यह प्रचंड जीत का शंखनाद है…!”

लोगों ने हाथों को हवा में लहराकर प्रधानमंत्री का अभिवादन किया। कई लोगों ने इस क्षण को अपने मोबाइल में कैद किया। यह दृश्य सिर्फ औपचारिकता नहीं था, बल्कि जनसमर्थन की वह लहर थी, जिसने बिहार को फिर राजनीतिक रूप से एक मजबूत दिशा दी।

शपथ ग्रहण समारोह मंच एक राजनीतिक संदेश

शपथ ग्रहण समारोह के मंच पर बैठने की व्यवस्था अपने आप में एक राजनीतिक संदेश थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र में बैठे थे—सचमुच और प्रतीक रूप से दोनों तरह से।

उनके दाहिनी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बैठे हुए थे। बाईं ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विराजमान थे। यह दृश्य बता रहा था कि भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार के पास है, पर केंद्र की शक्ति और राजनीतिक समन्वय बीजेपी ही संभाले हुए है। नीतीश कुमार के दोनों ओर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को बैठाया गया। यह चित्र दर्शा रहा था—

सत्ता का समन्वय बीजेपी संचालित करेगी,

लेकिन सुशासन और राज्य की प्रशासनिक दिशा नीतीश कुमार के अनुभव पर आधारित होगी।

यह गठबंधन का “नया संतुलन” था, जिसे जनता के सामने बड़े आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत किया गया।

नीतीश कुमार — दो दशक में दसवीं बार मुख्यमंत्री, एक अनोखा भारतीय रिकॉर्ड

इस समारोह की सबसे ऐतिहासिक उपलब्धि यह थी कि नीतीश कुमार ने लगभग 20 वर्षों में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर भारतीय राजनीति में दुर्लभ रिकॉर्ड बनाया। उम्र, राजनीतिक उतार–चढ़ाव और विपक्ष की आलोचनाओं के बीच भी नीतीश ने साबित किया कि वे अभी भी बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेता हैं।

हाल में उनके बारे में कहा जा रहा था कि— उनकी लोकप्रियता कम हो रही है, प्रशासन पर नौकरशाही का असर बढ़ गया है। तेजस्वी यादव उन्हें “अचेत मुख्यमंत्री” कह रहे थे। महागठबंधन मजबूत दिखाई दे रहा था, लेकिन जनता ने इन सारे अनुमानों को नकारते हुए राजग को ऐतिहासिक बहुमत दिया। इससे यह साफ हो गया कि बिहार में स्थिरता, अनुभव और नेतृत्व की विश्वसनीयता को जनता ने प्राथमिकता दी है।

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‘सुशासन बाबू’ की वापसी—जनता ने फिर कहा: “बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं…”

बिहार में मोदी–नीतीश की हिट जोड़ी: शपथ के साथ नई शुरुआत

नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर का सबसे बड़ा आधार उनकी स्वच्छ, ईमानदार और विकास–मुखी छवि रही है। उन्होंने बिहार में कानून व्यवस्था की बहाली से लेकर सड़कें, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य तक कई क्षेत्रों में परिवर्तन लाया। इसीलिए जब उन्होंने जनसभाओं में कहा— “2005 से पहले क्या था… कोई शाम के बाद निकल पाता था?” तो जनता ने इसे केवल बयान नहीं, बल्कि अपनी यादों और अनुभवों का सत्य समझा। उन्होंने बार–बार यह भी कहा— “सब हम लोग कितना काम किए जी…” यह दावा मात्र नहीं था—बिहार के विकास के कई अध्याय इसका प्रमाण रहे हैं।

शपथ स्थल का उत्साह: जनता की बड़ी अपेक्षाओं का संकेत

शपथ स्थल सिर्फ मंच नहीं था, बल्कि बिहार की नई राजनीति का प्रतीक बन चुका था। भीड़ में अलग-अलग वर्गों के लोग—युवा, किसान, महिलाएँ, विद्यार्थी—सब मौजूद थे। यह उपस्थिति इस बात का संकेत थी कि:

  • जनता अब तेज गति से विकास चाहती है
  • केंद्र और राज्य के तालमेल से उम्मीदें बढ़ी हैं
  • भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अपराध पर निर्णायक कार्रवाई की आशा है
  • मजबूत नेतृत्व की साझेदारी जनता को भरोसा देती है
  • समारोह का हर दृश्य यह संदेश दे रहा था कि राजग का नया कार्यकाल एक और “परिवर्तनकाल” साबित हो सकता है।

मोदी–नीतीश: सहयोग, समन्वय और जनविश्वास की नई राजनीतिक कहानी

इस चुनाव और शपथ ग्रहण से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में विकास का नैरेटिव बदल चुका है। अब राजनीति गठबंधन की मजबूरी नहीं, बल्कि “शासन की ज़िम्मेदारी” बन चुकी है। मोदी की लोकप्रियता और नीतीश का अनुभव—दोनों मिलकर ऐसा नेतृत्व प्रस्तुत करते हैं जो जनता को भरोसा देता है कि:

  • बिहार अब पिछड़ेपन की राजनीति नहीं, विकास की राजनीति चाहता है
  • जाति आधारित समीकरणों से ऊपर उठकर जनता ने स्थिरता को चुना है
  • केंद्र–राज्य का तालमेल बिहार के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है

जनादेश का संदेश

  • स्थिरता की चाह और नेतृत्व में विश्वास
  • यह जनादेश केवल राजनीतिक जीत नहीं, यह एक भावना है
  • जनता बदलाव चाहती है, लेकिन स्थिरता के साथ
  • अनुभव और ऊर्जा का मेल चाहती है
  • ऐसा नेतृत्व चाहती है जो केंद्र की शक्ति और राज्य की जरूरतों दोनों को समझे
बिहार में मोदी–नीतीश की हिट जोड़ी: शपथ के साथ नई शुरुआत

राजग की यह शानदार जीत यही दर्शाती है कि बिहार की जनता ने फिर स्पष्ट संदेश दिया है:

“विकास चाहिए, विवाद नहीं।”
“स्थिरता चाहिए, प्रयोग नहीं।”
“अनुभव चाहिए, अनिश्चितता नहीं।”

बिहार के नई किताब का पन्ना

बिहार ने नई राजनीति का उद्घोष कर दिया है, शपथ ग्रहण की भीड़, मंच पर बैठने की व्यवस्था, बजते गीत और आसमान में उड़ता प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर—हर दृश्य यह बता रहा था कि बिहार का नया राजनीतिक अध्याय शुरू हो चुका है।

इस अध्याय में— नेतृत्व का केंद्र मोदी हैं, संचालन की धुरी नीतीश हैं, समन्वय का आधार बीजेपी–जेडीयू साझेदारी है और भरोसे का स्रोत जनता है, बिहार का यह शपथ ग्रहण समारोह सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं था—यह जनता की आकांक्षाओं की नई किताब का पहली पन्ना था।

https://hindi.news18.com/photogallery/bihar/patna-nitish-kumar-sworn-in-as-bihar-cm-for-10th-time-historical-photos-of-gandhi-maidan-local18-ws-l-9874740.html

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