AI के उपयोग से फर्जी मतदाता अब होंगे बेनकाब
SIR 2025: केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने सभी जगहों से मतदाता सूची को साफ-सुधरा करने के लिए SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) की प्रक्रिया चलाई, वहीं अब पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान फर्जी मतदाताओं की पहचान करने के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस) आधारित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगा। AI प्रणाली मतदाता डाटाबेस में तस्वीरों का विश्लेषण करके फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में मदद करेगी।
Read More: बिहार में मोदी–नीतीश की हिट जोड़ी: शपथ के साथ नई शुरुआत
बंगाल में AI पकड़ेगा फर्जी मतदाता
A visibly happy elector sharing his view regarding the ongoing SIR & thanked BLOs for helping them to fill Enumeration Forms at Kalimpong district, West Bengal. #SIR #EnumerationForm #BLO@ECISVEEP@SpokespersonECI@PIBKolkata@DistrictMagist6 pic.twitter.com/d630sEss5K
— CEO West Bengal (@CEOWestBengal) November 20, 2025
चुनाव आयोग AI (आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस) आधारित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल देश में चल रही विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया में सबसे पहले पश्चिम बंगाल में होगा। इसका मुख्य मकसद फर्जी, डुप्लीकेट और मृत मतदाताओं को चिन्हित करना है। AI एआई प्रणाली मतदाता डाटाबेस में तस्वीरों का विश्लेषण करके फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में मदद करेगी।
AI प्रणाली को लेकर पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईओ) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- AI फर्जी फोटो वाले मतदाता का पता लगाने के लिए ‘चेहरे की पहचान ‘ फीचर का इस्तेमाल करेगा सॉफ्टवेयर चेहरे की पहचान (Facial Recognition) तकनीक से मतदाता सूची में मौजूद लाखों फोटो का मिलान करेगा। इससे एक ही व्यक्ति का कई जगहों पर पंजीकरण या किसी और की फोटो का गलत इस्तेमाल तुरंत पकड़ा जा सकेगा। साथ ही मीडिया से बातचीत में अधिकारी ने कहा- “प्रवासी मजदूरों और दूसरे लोगों की फोटो के दुरुपयोग की शिकायतें बढ़ी हैं, “AI-आधारित सॉफ्टवेयर फेस रिकग्निशन फीचर के जरिए फर्जी मतदाताओं की पहचान करेगा।”
ECI team led by Sr. DEC along with CEO West Bengal conducting review meeting regarding the progress of SIR with the DEO, EROs, BDOs of Malda district, West Bengal.#SIR #ECI #Meeting@ECISVEEP @SpokespersonECI @PIBKolkata @AIRKolkata pic.twitter.com/aXUIr0XjxA
— CEO West Bengal (@CEOWestBengal) November 20, 2025
BLO की भी रहेगी जिम्मेदारी
फिलहाल AI प्रक्रिया के साथ ही तकनीक के बावजूद बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की भूमिका सबसे अहम रहेगी। जोकि घर-घर जाकर फोटो लेना, फॉर्म भरवाना और हस्ताक्षर का सत्यापन करना अभी भी BLO ही करेंगे। सबसे बड़ी बात – अगर गणना के बाद भी कोई फर्जी या मृत मतदाता सूची में रह जाता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित BLO पर होगी।
वहीं SIR को लेकर अधिकारियों के अनुसार बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया जिसमें एन्यूमरेशन फॉर्म (ईएफ) बांटना, इकट्ठा करना और डिजिटाइजेशन का काम 25-26 नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद ड्राफ्ट रोल का प्रकाशन होगा। सीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने कहा- AI प्रणाली उन मामलों का पता लगाने में मदद करेगी जहां एक ही फोटो का इस्तेमाल कई मतदाताओं का प्रमाणपत्र बनाने के लिए किया गया है।
Submission of Enumeration forms from electors by BLOs at Kalimpong district, West Bengal.#SIR #EnumerationForm@ECISVEEP@SpokespersonECI@PIBKolkata @DistrictMagist6 pic.twitter.com/21hQWEE3vl
— CEO West Bengal (@CEOWestBengal) November 20, 2025
12 राज्य शामिल: प. बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, गोवा, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार
AI और BLO मिलकर फर्जीवाड़ा का करेंगे खुलासा
विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि प्रवासी मजदूरों के नामांकन के दौरान ऐसा फर्जीवाड़ा आम बात है और उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल मरे हुए या नकली वोटरों को रजिस्टर करने के लिए किया जाता है। जबकि नेशनल पोल पैनल का मानना है कि AI इस समस्या को रोकने में मदद कर सकता है। अधिकारियों ने बल दिया कि केवल AI पूरी पारदर्शिता पक्का नहीं कर सकता। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) डोर-टू-डोर चेकिंग के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें हर मतदाता का विवरण और तस्वीर सत्यापित करनी होगी।
Read More: नीतीश कुमार फिर चुने गए JDU विधायक दल के नेता
बताते चले कि 4 नवंबर को शुरू हुई SIR प्रक्रिया से पता चला है कि बंगाल में लगभग दो करोड़ मतदाताओं को अभी भी 2002 की निर्वाचक नामावली से अपना लिंक जोड़ना है। केंद्रीय चुनाव आयोग इस बड़े ग्रुप के लिए सुनवाई और सत्यापन करेगा। अब तक लगभग 2.4 करोड़ मतदाताओं ने अपना विवरण 2002 की निर्वाचक नामावली से मैच कर ली हैं और अधिकारियों को उम्मीद है कि अगर 2002 के बाद की सूची में कम से कम एक माता-पिता का नाम आता है, तो और 2.5 करोड़ मतदाता ऐसा कर पाएंगे। इन मतदाताओं को आगे सत्यापन की जरूरत नहीं होगी।
