ज्योतिष-धर्म

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: ज्योतिष का निर्माण कब हुआ, क्यों हुआ

ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि प्रत्येक गुरुवार और रविवार को ज्योतिष के क्लास में गुरु का प्रसाद मानकर हम लोग सीखते हैं। ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है ज्योतिष का निर्माण कब हुआ, क्यों हुआ।

जैसा कि हर सप्ताह गुरुवार और रविवार को हम सब सीखते है ज्योतिष ज्ञान जिसको लेकर महर्षि परासर ऋषि ने बताया जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना किया तो चौरासी लाख योनियों का निर्माण किया उसमें देवताओं ने प्रश्न किया कि इन का भविष्य क्या है।

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: ज्योतिष का निर्माण कब हुआ, क्यों हुआ

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ज्योतिष ज्ञान क्या है

तब ब्रह्मा जी ने कहा- मैं सूर्य सिद्धांत का निर्माण करता हूं पूरे ब्रह्मांड को 360 भागो में बाटा, 12 राशियां बनाई, 360 में 12 राशियां अर्थात 12 भाव जो 30 अंश की एक राशि फिर 27 भाग में बाटा जो नक्षत्र कहलाई। उसको 4 चरण में बाटा जो 108 हुआ। उस नक्षत्र में मानव जीवन का रहस्य छिपा है उसको जानना ही ज्योतिष ज्ञान है। जो कुछ ब्रह्माण्ड में है वह सब कुछ हमारे अंदर है उसको जानना उसी के आधार पर जीवन का निर्माण करना ही जीवन की सार्थकता हैं।

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: ज्योतिष का निर्माण कब हुआ, क्यों हुआ

जब केंद्र से संपर्क कर लिया तो परिधि तो अपने आप ठीक हो जाएगी परिधि अर्थात भौतिक विकास, केंद्र अर्थात गुरु तत्व जहां से ऊर्जा प्रवाहित होती हैं। मानव शरीर में 12 राशियां समाहित है, 27 नक्षत्र में पूरा शरीर बाटा गया है।

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  • कृतिका नक्षत्र मानव मास्तिक में है।
  • रोहिणी नक्षत्र आंख में है।
  • मृगेशिरा नक्षत्र भौंह में है।
  • पुष्य नक्षत्र मुख में है।
  • अश्लेषा नक्षत्र कान में है।
  • हस्त नक्षत्र गर्दन में है।
  • पुनर्वसु नक्षत्र नाक में है।
  • ज्येष्ठा नक्षत्र आंख में है।
  • मघा नक्षत्र थोड़ी में है।
  • स्वाति नक्षत्र हृदय में है।
  • पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र बायां हाथ है।
  • उतरा फाल्गुन नक्षत्र दायाँ हाथ है।
  • अनुराधा नक्षत्र पेट में है।
  • मूल नक्षत्र पीठ में है।
  • धनिष्ठा नक्षत्र गुदा द्वार है।
  • शतभिषा नक्षत्र दाई जांघ है।
  • पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र बाई जांघ है।
  • उत्तरा भाद्रपद पिंडलियां है।
  • रेवती नक्षत्र टखना है।
  • भरणी नक्षत्र पाव के तलवे है।
  • अश्विनी नक्षत्र पाव के ऊपरी भाग में है।
ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: ज्योतिष का निर्माण कब हुआ, क्यों हुआ

इन सभी नक्षत्रों के एक-एक देवता है जो उन अंगों का देख भाल करते है, जो नक्षत्र कमजोर होता है उसी अंग का रोग होता हैं जो बलवान होता है वह स्वस्थ होता है। ब्रह्मा जी ने मानव जीवन की रचना किया प्रकृति के साथ ब्रह्मांड से जोड़ा उसमें पांच तत्व, दश प्राण-मन-बुद्धि-चित-तन मात्राएं सब के साथ मिलकर पूरे शरीर का निर्माण करते हैं उसको जानकर ही निर्माण किया जा सकता है जो गुरु प्रसाद से संभव है।

NOTE:- शेष अगले हफ्ते मिलेगा। ज्योतिष विषय सनातन धर्म से जुड़ा हुआ है गुरु के कृपा से मिलता है। यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…

यह ज्ञान बहुत ही खूब सूरत है इसमें जितना घुसा जाए उतना मजा आता है जीवन का जीव का आत्म का ब्रह्मांड का प्रकृति का ज्ञान भरा पड़ा है। हमारा प्रयास है समाज में जो विद्या लुप्त होती जा रही है, उसको भ्रमित किया जा रहा है अल्प ज्ञानी उसका दुरुपयोग कर रहे है। उन तक ज्ञान का विस्तार पहुंचे, ज्योतिष संबंधी जानकारी जो हर हफ्ते दिया जाता है उसे सीखना चाहते है तो राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ से संपर्क करें, बाकी ज्योतिष से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए भी संपर्क करें।

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