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PM मोदी का आरोप: वंदे मातरम पर कांग्रेस ने किया विश्वासघात

Vande Mataram 150: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि आज, जब हम ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष का पर्व मना रहे हैं और चर्चा कर रहे हैं, तो हमें उन परिस्थितियों को भी हमारी नई पीढ़ियों को बताना हमारा दायित्व है। जिसकी वजह से वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात किया गया था। पीएम ने कांग्रेस पर वंदे मातरम के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा- तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी और मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिये।

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कांग्रेस ने किया विश्वासघात

बताते चले कि संसद में शीतकालीन सत्र में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर लोकसभा में सोमवार को चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा- वंदे मातरम के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज होती जा रही थी। पीएम ने कहा- मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया।

कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।

नेहरू ने 5 दिन बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस को चिट्ठी लिखा। उसमें जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए लिखा- वंदे मातरम् की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि से मुसलमालों को चोट पहुंच सकती है। वे लिखते हैं- ये जो बैकग्राउंड है, इससे मुस्लिम भड़केंगे। उन्होंने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस को जो पत्र लिखा गया उसमें जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि मैंने वंदे मातरम का बैकग्राउंड पढा है और मुझे लगता है इससे मुस्लिम भड़केंगे।

इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्टूबर से कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में वंदेमातरम की समीक्षा होगी। इससे पूरा देश हैरान था। पूरे देश में इसके विरोध में प्रभात फेरियां निकाली। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने वंदेमातरम पर समझौता कर लिया। वंदे मातरम के टुकड़े कर दिये।। कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिये।

कांग्रेस नेता बताया अपना पक्ष

साल 1937 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी में यह निर्णय लिया गया था कि जहां पर भी नेशनल गैदरिंग होगी, वहां पर हम ‘वंदे मातरम’ की पंक्तियों को गाएंगे। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने इस निर्णय की खूब आलोचना की। इतना ही नहीं, मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने इसे राजनीतिक रूप से देखा और कांग्रेस पार्टी की निंदा की। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी चलेगी तो वह किसी मुस्लिम लीग व हिंदू महासभा के द्वारा नहीं, बल्कि भारत की जनता के साथ चलेगी।: लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता @GauravGogoiAsm

पीएम मोदी से सुनाया, भारत का विश्वविजयी मंत्र

हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्त पर चढ़ जाते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम् कहते थे। खुदीराम बोस, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी…हमारे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम् कहते हुए फांसी को चूम लिया। यह अलग-अलग जेलों में होता था, लेकिन सबका एक ही मंत्र था, वंदे मातरम। यह हमारी स्वतंत्रता का मंत्र था, यह बलिदान का मंत्र था, यह ऊर्जा का मंत्र था, यह त्याग और तपस्या का मंत्र था… यह मंत्र वंदे मातरम् था!- पीएम @narendramodi #VandeMataram150

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बंगाल की हर गली में गूंज रहा था वंदे मातरम- पीएम मोदी

ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत और भारतीयों को नीचा दिखाना एक आदत बन गई थी। ऐसे समय में ही बंकिम चंद्र ने देश को हीन भावना से बाहर निकालने और भारत का शक्तिशाली रूप दिखाने के लिए ये पंक्तियाँ लिखीं: “त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी, कमला कमलदलविहारिणी, वाणी विद्यादायिनी नमामि त्वां, नमामि कमलां अमलां अतुलं, सुजलां सुफलां मातरम्। वंदे मातरम्।”

एक समय था जब बंगाल की बौद्धिक शक्ति पूरे देश को रास्ता दिखाती थी और प्रेरित करती थी। अंग्रेजों को यह समझ आ गया था कि बंगाल की शक्ति ही भारत की ताकत का केंद्र बिंदु है। इसीलिए उन्होंने सबसे पहले बंगाल को बांटने का काम किया। उन्हें लगता था कि अगर बंगाल टूट गया, तो देश भी टूट जाएगा।

1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का बंटवारा कर दिया। लेकिन वंदे मातरम चट्टान की तरह खड़ा रहा। बंगाल की एकता के लिए, वंदे मातरम एक बुलंद नारा बन गया, जो हर गली में गूंज रहा था।- पीएम श्री नरेंद्र मोदी, अंग्रेजों ने अखबारों पर रोक लगा दी, तो मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस में एक अखबार निकाला, और उसका नाम उन्होंने वंदे मातरम रखा।

सरकार पर अखिलेश का पलटवार

लोकसभा में वंदे मातरम पर शुरू हुई चर्चा के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा- ‘जिन्होंने आजादी में हिस्सा नहीं लिया, वो राष्ट्रगीत का महत्व क्या जानेंगे’.. उन्होंने कहा, ‘वंदे मातरम आजादी की लड़ाई का प्रेरणा स्रोत था, जिसने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया और लड़ने की ताकत दी। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाए जाने के बाद यह गीत लोकप्रिय हुआ और स्वदेशी आंदोलन की आवाज बन गया।’

उन्होंने कहा- ‘सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे हर चीज को अपने नाम करना चाहते हैं, जबकि वंदे मातरम किसी पार्टी या व्यक्ति की संपत्ति नहीं बल्कि पूरे देश की भावना है। जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे वंदे मातरम का महत्व क्या समझेंगे? कुछ लोग अंग्रेजों के लिए मुखबिरी करते थे, आज वे खुद को राष्ट्रवादी बताते हैं।’

https://hindi.news18.com/news/knowledge/why-jawaharlal-nehru-was-reluctant-to-make-vande-mataram-national-anthem-was-muslim-league-objection-the-reason-know-the-fact-9940842.html

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