ज्योतिष-धर्म

जानें कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का मुहूर्त, पूजन विधि से मनाएं लड्डू गोपाल का जन्म

Krishna Janmashtami: भारतवर्ष के कोने में हर श्री कृष्ण जन्माष्टमी भादो के महीना, कृष्ण पक्ष की अधेरी रात, अष्टमी-तिथि, रोहिणी-नक्षत्र के पावन समय में भगवान कृष्ण का जन्म मनाया जाता है। वहीं बात करें इस वर्ष की तो इस वर्ष भादो-माह, कृष्ण-पक्ष, अष्टमी-तिथि, रोहिणी- नक्षत्र, सोमवार 26 अगस्त 2024 को पड़ रही हैं।

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जानें कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का मुहूर्त

आपको बतादें कि बात करें अष्टमी तिथि के पावन मुहूर्त की तो सोमवार को सप्तमी 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अष्टमी लगेगी, जो पूरी रात रहेगी और रात बीत जाने पर दूसरे दिन मंगलवार को सुबह  तक रहेगी। वहीं बात करें नक्षत्र कि तो सोमवार को कृतिका नक्षत्र रात्रि 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र लग जायेगी, जो पूरी सोमवार रात मंगलवार दिन और फिर मंगलवार रात  8 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। अर्थात अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र अंधेरि रात सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह मुहूर्त की गड़ना काशी के पंचांग से किया गया हैं।

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श्लोक:- “वासुदेव सुतं देव कंस चारुन मर्दन 
      देवकी परमानंद कृष्ण वंदे जगतगुरूम”

अर्थ- अंतर्यामी भगवान सभी में विराजमान है, उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
हम सब उनके अनुयायी है, उनके बताए गए मार्ग का अनुसरण करें, जीवन में धारण करें।

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जैसा कि आप सभी जानते है कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अनीति अत्याचार के खिलाफ काम किया सदाचार की रक्षा की, नीति पर विजय प्राप्त किया। भक्तो के खुशी में मिलकर खुशी मनाई और सेवा भाव जीवन जीये।

भगवान श्री कृष्ण के मंत्र का जाप करें

1. कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:

2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे

3. हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे

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पूजन विधि

  • सबसे पहले उठकर स्नान करें। जिसके बाद साफ वस्त्र धारण करें।
  • अब घर के साथ साथ पूजास्थल को भी साफ करें।
  • कृष्ण जन्म के समय में खीरा काटे जिसे नार भी माना जाता हैं। 
  • इसके बाद लड्डू गोपाल की पूजा करते वक्त पंचामृत से अभिषेक करें और गंगाजल से स्नान करें।
  • अब उन्हें नए और सुंदर रंग बिरंगे कपड़े पहनाएं।
  • फिर उन्हें मुकुट, मोर के पंख और बांसुरी से सजाएं।
  • अब लड्डू गोपाल को पीले चंदन का टीका लगाए।
  • इसके बाद उन्हें पंजीरी, पंचामृत, फल और मिठाई तुलसी दल का भोग लगाएं। आप चाहें तो मक्खन भी भोग के तौर पर चढ़ा सकते हैं।
  • अंत में कृष्ण आरती करते हुए पूजा को समाप्त करें।
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