गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में सीखे मन चाही संतान पाना
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज गुरु ज्ञान का आज का विषय है मन चाही संतान पाना…
मन चाही संतान पाना
जैसा कि प्रत्येक गुरुवार को और रविवार को हम सब सीखते आए हैं वैसे ही आज का विषय है कि कैसे मन चाही संतान पाएं। महर्षि परासर ऋषि ने बताया है कि जब खुद अपने पुत्र वेदव्यास को उत्पन्न किया, उस समय गर्भ धारण के लिए उच्च का गुरु धर्म पारायण सूर्य उच्च का शनि, मंगल, बुध, चंद्रमा अनुकूल समय को देखकर अपने आश्रम के तरफ जा रहा था।

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रास्ते में शाम हो गया और वह समय आया जिस नक्षत्र में प्रयोग करना था कुटिया में पहुंचना असंभव लग रहा था होनी को कोई टाल नहीं सकता वहां मत्स्य गंधा कन्या दिखी उसको सुगंधा कन्या करके उसके साथ गंधर्व विवाह किया, संतान उत्पन्न किया, जिससे वेद व्यास ऋषि का जन्म हुआ। जो आज ब्यास के रूप में विष्णु के सामान विश्व गुरु के रूप में पूजे जाते हैं।
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द्रोणाचार्य ने अजर और अमर होने के लिए अपने पुत्र अश्वत्थामा को उत्पन्न किया। रावण संहिता में एक लेख हैं इंद्रजीत के जन्म समय अजर अमर बनाने के लिए रावण ने प्रयोग किया, परन्तु शनि ग्रह की छाया दृष्टि पड़ने पर उसकी रक्षा न कर सका।

ज्योतिष शास्त्र और विज्ञान
इतिहास में तमाम उदहारण पड़े हैं उचित समय में शुभ नक्षत्र में किया गया काम सर्वार्थ सिद्धि प्रदान करता है। उसके लिए नक्षत्र का ज्ञान होना, शास्त्र का ज्ञान, स्वर विज्ञान का ज्ञान और मित्र तारा का ज्ञान आवश्यक है। ज्योतिष शास्त्र बहुत गहरा विज्ञान है ब्रह्मांड को अपने शरीर में देखना पाना महसूस करना यह सब गुरु कृपा से संभव होता है
NOTE: प्रत्येक गुरुवार को गुरु प्रसाद मिलता रहेगा जो जिज्ञासु लोग है उनकी इच्छा पूर्ण होती है। यह जानकारी गुरु के आशीर्वाद से मिलता है आप सभी को देने का प्रयास करता हूं। जिज्ञासु लोग कैरियर की जानकारी और लाइफ चेंज के लिए ऑनलाइन भी संपर्क कर सकते हैं। नोएडा-लखनऊ-कानपुर आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ, 9415126330, 6386254344.
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