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बीमा विधि संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा से पारित, 100% FDI मंजूर

दिल्ली : बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी विदेश निवेश (FDI) की अनुमति तथा जीवन बीमा निगम (LIC) को ज्यादा स्वायत्तता देने वाले ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा विधि संशोधन) विधेयक 2025’ को लोकसभा ने मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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बीमा विधेयक पर संसद में हुई चर्चा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बीमा विधेयक पर 34 सदस्यों ने विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लिया और उन्होंने जो सवाल उठाए हैं वे वाजिब हैं लेकिन विधेयक में उन सब चिंताओं को ध्यान में रखे हुए विधेयक तैयार कर सदस्यों के सवालों का जवाब निहित है। यह विधेयक विनियामक की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और जिम्मेदारी को पारदर्शी तरीके से लागू करता है।

इसमें किसी भी डेटा को बाहर नहीं लाया जाएगा इसका सख्ती से पालन करने का प्रावधान विधेयक में किया गया है। 14 लाख एजेंटों के बारे में चिंता व्यक्त की गई है और सरकार उनकी सेवाओं को बहुमूल्य मानती है क्योंकि वही बीमा योजना को जमीन पर ले जाते हैं। इसलिए उनके महत्व को ध्यान में रखा गया है और उसको सुरक्षित रखते हुए उनकी पहुंच को और भी बढ़ाया जा सकता है। विधेयक में जीवन बीमा को ज्यादा स्वायत्तता भी दी गई ताकि वह अपने हिसाब से जनता के हित में अपना काम को करें और काम का विस्तार करती रहे। इस संशोधन से बीमा योजना को ज्यादा पारदर्शी बनाया जा रहा है।

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जीवन बीमा कंपनी पर बोली वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक से जीवन बीमा कंपनी-एलआईसी को ज्यादा स्वायत्त बनाया जा रहा है ताकि वह देशभर में अपनी ज्यादा शाखाएं खोल सके। इसके साथ ही विनियामक संस्थाओं को मजबूत किया जा रहा है ताकि बीमा क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जा सके। इसमें दंड के प्रावधान को एक करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ रुपए कर दिया गया ताकि बीमा कंपनियां बीमा धारकों की समस्याओं के समाधान में तत्परता दिखाए और किसी को किसी तरह से तंग नहीं होना पड़े।

उनका यह भी कहना था कि बीमा कंपनी में इंश्योरेंस शब्द जोड़ने का प्रावधान इस विधेयक में आवश्यक किया गया है ताकि आसानी से इस तरह की कंपनियों की पहचान की जा सके और भ्रमित तरीके से पॉलिसी को बेचने पर रोक लगाई जा सके। इससे बीमा कानून की पहुंच पारदर्शी तरीके से आम लोगों तक हो सकेगी।

अब तक हुए 12 बार संशोधन

विधेयक पर संशोधन को लेकर सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें अब तक 12 बार संशोधन हो चुके हैं और 1950 में एजेंटों के कमीशन को लेकर संशोधन किया गया था और समय-समय पर यह परिवर्तन समाज की अपेक्षाओं के अनुसार किए जाते रहे हैं।

इसी का परिणाम है कि इस कानून में 1958 के बाद अब तक आठ बार संशोधन हुए हैं और सारे संशोधन जनता की मांग और उनकी शिकायतों के मद्देनजर किए जाते हैं और इस बार भी वही किया गया है।

हितधारकों से बात करके ही यह विधेयक लागया गया है। इस विधेयक को बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए लाया गया है क्योंकि प्रतिस्पर्धा से मूल्य स्वत: कम होने लगते हैं और वही सिद्धांत इस विधेयक में भी लागू होगा जिसका फायदा देश के आम लोगों को मिलेगा। सरकार का मानना है कि सभी नागरिकों को बीमा सुरक्षा मिले इस पर सरकार का पूरा ध्यान रहा है और इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने पहले कृषि योजना, बीमा योजना आदि लागू की हैं।

उन्होंने जीवन ज्योति बीमा जैसी आसानी से बहन की जा सकने वाली योजना के दावे के बड़े स्तर पर समाधान करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत 12 करोड परिवारों को लाभ मिला है और इसके तहत पांच लाख रुपए की बीमा दी जाती है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को भी शामिल किया गया है और 80 लाख वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना से जोड़ा गया है।

वित्तमंत्री ने दिया बीमा कंपनियों से जूड़े सवालों का जवाब

वित्तमंत्री ने देश में बीमा कंपनियों की संख्या के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा कि वर्तमान में 74 बीमा कंपनियां देश में काम कर रही हैं, जिनमें 40 कंपनियां एफडीआई (FDI) का प्रस्ताव लेकर सामने आई हैं। उनका कहना था कि इन 74 कंपनियों में से 10 कंपनियों का एफडीआई (FDI) 26% है और तीन कंपनियों का एफडीआई (FDI) 74% है। उन्होंने बीमा के लिए पूंजी संरक्षण को आवश्यक बताया और कहा कि इसे प्राथमिकता के आधार पर 100% तक कंपनियों के लिए बढ़ाया जा सकता है। उनका कहना था कि बहुत सारी बीमा कंपनियां भारत में आकर काम करना चाहती है लेकिन बिना बीमा विनियामक को उनको देश में काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

नए विधेयक के लागू होने के बाद सरकारी बीमा कंपनियों के बारे में कुछ सदस्यों की चिंता पर उन्होंने कहा कि सारी बीमा कंपनियां सही दिशा में जा रही है और इसकी वजह है कि सरकार ने 2014 के बाद इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार बीमा कंपनियों की मजबूती चाहती है और इसी का परिणाम है कि सभी बीमा कंपनियों ने पिछले साल लाभ अर्जित किया है। कुछ सदस्यों के प्रीमियम के बारे में चिंता जताई और कहा कि जो प्रीमियम आएगा क्या वह देश में ही रहेगा। इस पर वित्तमंत्री ने कहा- प्रीमियम की राशि देश में ही रहेगी। इसका कोई अंश विदेशी कंपनी अपने साथ विदेश नहीं ले जा सकेगी। उन्होंने कहा कि सरकार बीमा कंपनियों के प्रति अत्यंत संवेदनशील होकर काम कर रही है और इसी का परिणाम है कि 2014-15 में देश में बीमा कंपनियों की संख्या 54 थी जो अब बढ़कर 74 हो गयी है। तब से बीमा प्रीमियम की राशि 4.14 लाख करोड से बढकर 2025 में 11 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

‘आपकी पूंजी आपका अधिकार’ पर सरकार की पहल

‘आपकी पूंजी आपका अधिकार’ के तहत सरकार काम कर रही है और मिचुअल फंड आदि जो भी योजनाएं हैं उनके हकदार व्यक्तियों को ही दिया जाता है। वित्तमंत्री सीतामरण ने कहा – बीमा क्षेत्र के लिए अपनी पूंजी अपना अधिकार के तहत 500 जिलों को शामिल किया गया है और इसमें सभी बीमा कंपनियों और बैंको को शामिल करते हुए सारे दावों का निपटान किया गया है और दो हजार करोड़ रुपए की इस रकम को उनके सही हकदारों को दिया जा रहा है। उन्होंने सदस्यों से भी आग्रह किया कि वे अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में बिना दावों की बीमा की रकम को उनके सही हकदारों के सही परिजनों तक पहुंचाने में मदद करें।

उन्होंने कहा कि बीमा के प्रति जागरूकता फैलायी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर विनियामक निगरानी भी बीमा कंपनियों के लिए बहुत जरूरी है ताकि पारदर्शिता को बनाए रखा जा सके। बीमा क्षेत्र में बेहतर तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है और सबको इसका लाभ मिले यह प्रयास किया जा रहा है। विनियामक संस्था की प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है ताकि लोगों को इससे लाभ मिल सके।

वित्त मंत्री ने कहा- सार्वजनिक परामर्शदात्री संस्था को शामिल करने पर सरकार का जोर है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विनियामक को ज्यादा शक्तियां दी जा रही है। गैर जीवन बीमा कंपनियों को बीमा कंपनियों में मर्ज करने का भी काम किया जा रहा है। नए विधेयक से बीमा क्षेत्र को आसान बनाया जा रहा है और ज्यादा से ज्यादा बीमा कर्ताओं को इससे जोड़ने के लिए कदम इस विधेयक के जरिए उठाए जाएंगे।

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