AC पर्यावरण और सेहत दोनों कर रही खराब, जानें कैसे
Lifestyle/ Healthcare: भीषण गर्मी का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में बढ़ती भीषण गर्मी के साथ लोगों का AC का प्रयोग भी बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे क्या आप ये जानते है कि बढ़ती AC का प्रयोग इंसान की सेहत और पर्यावरण दोनों को कितना ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा हैं। आइये इस बारें में आपको बताते है कि AC कितनी जानलेवा बन सकती हैं।
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AC का पर्यावरण पर असर
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देश के कई हिस्सों में गर्मी का तापमान 40 डिग्री C- 48 डिग्री C के करीब पहुंच गया है ऐसे घर हो, ऑफिस हो, कार हो या कोई भी कार्यस्थल हो सभी जगहों पर भीषण गर्मी से बचाव के लिए AC का उपयोग करते हैं। मगर AC से निकली वालों गर्म हवा जो बाहर आती हैं, वो हवाएं तापमान को और भी गर्म कर देती है जिससे बाहर का माहौल चलने वाली हवा दोनों ही बेहद गर्म का स्तर और बढ़ जाता हैं। इस तरह से हर जगहों पर चलने वाली AC पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं।

AC का सेहत पर असर
आपको बताते चले कि AC का पर्यावरण पर असर तो देखने को मिलता ही है, मगर इसके साथ ही AC में रहने वाले लोगों की सेहत पर भी AC का असर होता हैं। वहीं इस मामले को लेकर विशेषज्ञों की मानें तो AC का उपयोग करने से वातावरण में मौजूद हवाओं से नमी खत्म हो जाती है, जिसके बाद गर्म हवाएं AC बाहर फेंकती हैं।
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जैसा कि हम सभी जानते है कि AC का काम कमरे या AC चलने वाले स्थान को ठंडा करना है लेकिन इस प्रक्रिया में हवा से नमी भी हट जाती है। क्योंकि जब एसी हवा को ठंडा करता है, तो हवा में मौजूद नमी संघनन के रूप में बदल जाती है। संघनन को इकट्ठा करने और हटाने के लिए एसी में एक इवेपोरेटर कॉइल और एक ड्रेन सिस्टम होता है। इस प्रक्रिया से हवा की आर्द्रता कम हो जाती है। वही लगातार एसी का इस्तेमाल करने वालों को बीमार भी बना रहे हैं।
जानें AC कैसे करती है बीमार

विशेषज्ञों ने बताया कि लंबे समय तक एसी में रहना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल एसी गर्मी और नमी दोनों को कम करता है, जिससे चिलचिलाती धूप और अधिक पसीने से राहत मिलती है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से स्किन, बाल, नाक और गले में ड्राईनेस बढ़ सकती है। यह ड्राईनेस म्यूकस मेम्ब्रेन को प्रभावित कर सकती है। जोकि शरीर में नाक, मुंह, फेफड़ों और आंतों जैसी जगहों पर एक पतली व नम लेयर होती है, जिसे म्यूकस मेम्ब्रेन कहते हैं। यह शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है। जब यह म्यूकस मेम्ब्रेन सूख जाती है तो यह अपनी प्रोटेक्टिव क्षमता खो देती है। इससे बैक्टीरिया और वायरस आसानी से शरीर में घुसकर हमें बीमार कर सकते हैं।
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कैसे करें बचाव

AC की जगह आप सुबह या शाम पार्क या पेड़-पौधे की हवा से खुद को ठंडा कर सकते हैं।
AC की जगह कूलर का इस्तेमाल कर सकते है जो पर्यावरण की हवा से ठंडा करती हैं।
AC की जगह आप रात में पुराने समय की तरह खुली छत पर सो सकते है जिससे शरीर स्वस्थ्य और ठंडा रहेगा।
AC की जगह आप घरों की खिड़की खुली रखे जिससे घर के अंदर ताजा हवा आते रहे।
AC की जगह वातावरण को शुद्ध रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं।