Alert: डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए न पड़ें ठगों के जाल में, CBSE ने बताई सही प्रक्रिया
CBSE की चेतावनी: भारत में शिक्षा को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों की चिंता स्वाभाविक है, खासकर जब बात परीक्षा परिणामों, मार्कशीट या सर्टिफिकेट जैसी जरूरी दस्तावेजों की हो। ऐसे में जब इन दस्तावेजों को फिर से बनवाने यानी डुप्लीकेट मार्कशीट या सर्टिफिकेट की जरूरत होती है, तो लोग अक्सर जल्दबाज़ी या जानकारी की कमी के चलते गलत रास्ता चुन लेते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक सख्त चेतावनी जारी की है।
बोर्ड ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट या दस्तावेजों में सुधार जैसी सेवाएं केवल CBSE की आधिकारिक वेबसाइट और क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से ही ली जानी चाहिए। किसी भी तीसरे पक्ष या फर्जी वेबसाइट पर भरोसा करना न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है, बल्कि इससे कानूनी जटिलताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

CBSE की चेतावनी और कारण
हाल के महीनों में बोर्ड को ऐसे कई मामलों की जानकारी मिली है, जिनमें छात्रों और अभिभावकों से यह दावा किया गया कि कुछ एजेंसियां और वेबसाइट्स सीबीएसई से “सीधे संपर्क” के जरिए नकली या जल्दी मिलने वाले डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट्स दे सकती हैं।
इन मामलों में छात्रों से मोटी रकम वसूली गई और उन्हें ऐसे फर्जी दस्तावेज थमा दिए गए जिनका कोई आधिकारिक मूल्य नहीं था। इससे न केवल विद्यार्थियों का करियर खतरे में पड़ा, बल्कि वे कानूनी मामलों में भी फंसते नजर आए।
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CBSE की आधिकारिक प्रक्रिया क्या है?
CBSE ने छात्रों और अभिभावकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर उन्हें डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट या अन्य दस्तावेजों की जरूरत है तो वे निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:
- आधिकारिक वेबसाइट का उपयोग करें- CBSE की आधिकारिक वेबसाइट: www.cbse.gov.in
यह वेबसाइट सभी छात्र-संबंधी सेवाओं के लिए एकमात्र अधिकृत प्लेटफॉर्म है। यहीं से आप डुप्लीकेट दस्तावेज़, नाम/जन्म तिथि सुधार, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, वेरिफिकेशन आदि के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- डिजीलॉकर से डिजिटल कॉपी
CBSE ने 2016 के बाद की सभी मार्कशीट और प्रमाणपत्रों को DigiLocker प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया है। छात्र अपने आधार नंबर या मोबाइल OTP से लॉगिन करके डिजिटल सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं।
डिजीलॉकर वेबसाइट: https://www.digilocker.gov.in
- क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क
यदि ऑनलाइन प्रक्रिया में कोई समस्या आती है, तो छात्र सीधे बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्षेत्रीय कार्यालयों की सूची और संपर्क जानकारी सीबीएसई वेबसाइट पर उपलब्ध है।

क्यों बढ़ रहा है फर्जीवाड़ा?
- सूचना की कमी
कई बार छात्र या अभिभावक यह नहीं जानते कि आधिकारिक प्रक्रिया क्या है। वे इंटरनेट पर सर्च करके पहली वेबसाइट पर क्लिक कर देते हैं, जो अक्सर फर्जी हो सकती है।
- जल्दी समाधान की चाह
कुछ लोग “तुरंत समाधान” चाहते हैं और ऐसे एजेंटों पर भरोसा कर लेते हैं जो दावा करते हैं कि बिना लाइन में लगे, बिना फॉर्म भरे, वे जल्द मार्कशीट या सर्टिफिकेट दिला सकते हैं।
- सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया पर कई पेज और ग्रुप इस तरह की सेवाओं का प्रचार करते हैं, जो भ्रामक और फर्जी होते हैं। इनसे संपर्क करने पर व्यक्ति आर्थिक ठगी का शिकार हो जाता है।
CBSE की सलाह: कैसे करें पहचान फर्जी वेबसाइट्स और एजेंट्स की?
CBSE ने निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की सलाह दी है जिससे छात्र और अभिभावक असली और नकली के बीच फर्क कर सकें:
हमेशा केवल CBSE की आधिकारिक वेबसाइट से ही जानकारी लें।
किसी भी थर्ड-पार्टी वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज से जुड़ी जानकारी पर भरोसा न करें।
किसी भी संदेह की स्थिति में बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क करें।
अगर कोई व्यक्ति खुद को CBSE का प्रतिनिधि बताता है, तो उसकी पहचान सत्यापित करें।
CBSE द्वारा जारी प्रेस रिलीज और नोटिफिकेशन पर ही भरोसा करें।
अपने व्यक्तिगत दस्तावेज (जैसे आधार, रोल नंबर आदि) फर्जी वेबसाइटों पर अपलोड न करें।
सीबीएसई की ओर से जारी चेतावनी का उद्देश्य

सीबीएसई सचिव ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड का उद्देश्य छात्रों को किसी भी प्रकार की ठगी से बचाना है। जो एजेंसियां “तुरंत सॉल्यूशन”, “शॉर्टकट तरीका”, “सीधे बोर्ड से संपर्क” जैसे वादे करती हैं, वे पूरी तरह फर्जी हैं और उनका बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं है। बोर्ड ने यह भी कहा है कि जो लोग इन फर्जी माध्यमों से सेवा लेने की कोशिश करते हैं, उन्हें भविष्य में दस्तावेजों की वैधता को लेकर दिक्कतें आ सकती हैं।
कानूनी दिक्कतें और जोखिम
अगर कोई छात्र फर्जी दस्तावेज का उपयोग करता है, तो यह भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी (IPC 420), नकली दस्तावेज बनाना (IPC 465), और जालसाजी (IPC 468) जैसे अपराधों में आता है। इसका परिणाम: पुलिस केस, गिरफ्तारी, परीक्षा या नौकरी में अस्वीकृति, स्थायी रिकॉर्ड में काली छवि, छात्रों और अभिभावकों की जिम्मेदारी।
CBSE ने कहा है कि बोर्ड की जिम्मेदारी केवल उस सेवा तक सीमित है जो उसने आधिकारिक माध्यमों से प्रदान की है। यदि कोई छात्र या अभिभावक अनाधिकारिक स्रोत से सेवाएं लेने की कोशिश करता है और उससे कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह व्यक्ति की होगी, न कि CBSE की।
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों की भूमिका
स्कूलों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे छात्रों और अभिभावकों को सही जानकारी दें और उन्हें केवल आधिकारिक चैनलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही स्कूल प्रशासन को भी किसी भी फर्जी एजेंट या बाहरी माध्यम से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
भविष्य के लिए सुझाव
जानकारी का प्रचार-प्रसार करें: स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थान छात्रों को बोर्ड की आधिकारिक प्रक्रियाओं के बारे में समय-समय पर जानकारी दें।
डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं: छात्र और अभिभावक दोनों को इंटरनेट की फर्जी वेबसाइट्स पहचानने की ट्रेनिंग दी जाए।
सरकार का सहयोग: साइबर अपराधों से निपटने के लिए सरकार को ऐसे फर्जी प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
CBSE की आधिकारिक वेबसाइट: https://www.cbse.gov.in
डिजीलॉकर वेबसाइट: https://www.digilocker.gov.in