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ब्राह्मण परिवार ने मनाया गोस्वामी तुलसी दास जी की जयंती, विचार संगोष्ठी ने दिया संस्कार का ज्ञान

गोस्वामी तुलसीदास जयंती: ब्राह्मण परिवार के अध्यक्ष श्री शिव शंकर अवस्थी जी के प्रेरणा से आज ब्राह्मण परिवार कार्यालय उत्तम लान कृष्णानगर लखनऊ में रामचरितमानस जैसे महान ग्रन्थ के रचनाकार गोस्वामी तुलसी दास जी की जयंती श्रावण शुक्ला सप्तमी पर हर्सोल्लास के साथ मनाया गया।

ब्राह्मण परिवार ने मनाया गोस्वामी तुलसी दास जी की जयंती, विचार संगोष्ठी ने दिया संस्कार का ज्ञान

गोस्वामी तुलसी दास जयंती का आयोजन

इस अवसर पर श्री सुन्दरकाण्ड पाठ और विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित ब्राह्मण परिवार के सदस्यों और पदाधिकारियों ने गोस्वामी तुलसी दास जी और भगवान परशुराम जी को माल्यार्पण और पुष्प अर्पण कर उनको याद किया। इसके साथ ही सचिव श्री रामकेवल मिश्र जी ने तुलसी दास जी के जीवन से सम्बंधित चौपाइयों को सुनाकर जहां अपनी बात रखी, तो वही लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ऊषा बाजपेई ने महान संत तुलसीदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला। संगठन मंत्री श्री अरविन्द कुमार मिश्र ने एक कविता के माध्यम से उनके जीवन परिचय को सबके सामने सुनाया।

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ब्राह्मण परिवार के सदस्य रहे उपस्थित

इस खास अवसर पर ब्राह्मण परिवार के श्री योगेश दुबे जी, श्री जय माता जी, श्री सत्य स्वरूप अग्निहोत्री जी, श्री विकास मिश्र जी, श्री दिग्विजय उपाध्याय जी, श्री आनंद अवस्थी जी, श्री कृष्ण कान्त शुक्ला, श्री अवधेश बाजपेई, सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

ब्राह्मण परिवार ने मनाया गोस्वामी तुलसी दास जी की जयंती, विचार संगोष्ठी ने दिया संस्कार का ज्ञान

जानें गोस्वामी तुलसीदास जी को

गोस्वामी तुलसीदास जी संत, कवि और महान रामभक्त थे। इनका जन्म 1532 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के राजापुर (चित्रकूट) में हुआ था। उनका असली नाम रामबोला था। जन्म के समय ही माता-पिता ने त्याग दिया, और उन्हें एक संत नारायणदास ने पाला। तुलसीदास जी को श्रीरामचरितमानस के रचयिता के रूप में विश्वभर में जाना जाता है, जो अवधी भाषा में लिखा गया रामायण का सबसे लोकप्रिय संस्करण है।

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तुलसीदास ने संस्कृत और वेदों का गहन अध्ययन किया। विवाह के बाद पत्नी की फटकार ने उन्हें सांसारिक मोह से हटाकर भक्ति मार्ग पर ला दिया। उन्होंने राम भक्ति को जीवन का उद्देश्य बनाया और कई ग्रंथों की रचना की, जिनमें हनुमान चालीसा, दोहावली, विनय पत्रिका, और कवितावली प्रमुख हैं। वहीं बात करें तुलसीदास जी के तो इनका जीवन सादा, त्यागपूर्ण और भक्ति से परिपूर्ण था। वे जीवनभर श्रीराम के नाम का प्रचार करते रहे। माना जाता है कि उन्होंने वाराणसी में श्रीराम और हनुमान जी के दर्शन भी किए थे। 1623 ईस्वी में असीघाट, वाराणसी में उनका देहावसान हुआ। वे आज भी भक्ति काव्य और श्रीराम उपासना के महान स्तंभ माने जाते हैं।

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गोस्वामी तुलसीदास जी के प्रसिद्ध संग्रह

“राम नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ, जौं चाहसि उजियार॥”

अर्थ: अपने मन को दीपक बनाकर उसमें श्रीराम नाम की बाती रखो। यदि तुम जीवन में भीतर-बाहर उजाला चाहते हो, तो यही मार्ग है।

“जय श्रीराम जय रघुवंशनायक।
जनकसुता पति भव भय भंजनायक॥”

अर्थ: जय श्रीराम! आप रघुवंश के नायक हैं, जनकनंदिनी सीता के पति हैं, और संसार के भय को दूर करने वाले हैं।

“बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥”

अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! मैं बुद्धिहीन हूं, आपको स्मरण करता हूँ। कृपया मुझे बल, बुद्धि और विद्या दें और मेरे दुखों व दोषों को हर लें।

“परहित सरिस धर्म नहिं भाई।
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥”

अर्थ: दूसरों की भलाई से बड़ा कोई धर्म नहीं है, और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई अधर्म नहीं है।

“तुलसी इस संसार में, भांति-भांति के लोग।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥”

भावार्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि इस संसार में अनेक प्रकार के लोग होते हैं, जैसे नदी में अलग-अलग यात्री। सभी से मधुरता से व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि जीवन भी एक यात्रा है।

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“तुलसी संगत साधु की, धंन्य-धंन्य गती होय।
बिनु पानी खल बंबुरा, बिनु सत्संग न होय॥”

भावार्थ: तुलसीदास जी मानते हैं कि जैसे बांस बिना पानी के सुख जाता है, वैसे ही बिना सत्संग के जीवन सूना है। साधु-संतों की संगति जीवन को धन्य बना देती है।

“तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण इक मंत्र है, तजि दे वचन कठोर॥”

भावार्थ: मीठे वचन चारों ओर सुख उत्पन्न करते हैं। मधुर भाषा एक ऐसा मंत्र है जिससे सभी को जीता जा सकता है। कठोर वचन त्याग देने चाहिए।

“तुलसी जे का काम थे, ते करुहिं न बार।
राम नाम बिनु और सब, निरर्थक संसार॥”

भावार्थ: जिस कार्य के लिए यह जीवन मिला है (राम भक्ति), उसमें देर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि राम नाम के बिना संसार व्यर्थ है।

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8

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