कांग्रेस पार्षद का मेयर पर हमला: ‘लखनऊ ने मेयर चुना है, गृह मंत्री नहीं
क्या लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ‘साफ-सफाई’ छोड़कर ‘सियासी सफाई’ में लग गई हैं? – कांग्रेस नेता एवं पार्षद मुकेश सिंह चौहान
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए निवर्तमान महासचिव एवं पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने कहा- लखनऊ के नागरिकों ने मेयर के तौर पर सुषमा खर्कवाल को इसलिए नहीं चुना था कि वो शहर को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का केंद्र बनाएं या मेयर के साथ-साथ गृह मंत्रालय का काम भी देखना शुरू कर दें। जनता ने उन्हें वोट दिया था ताकि शहर में गंदगी कम हो, सड़कें ठीक हों, सीवर की समस्या सुलझे, और नागरिक सुविधाएं बेहतर हों। लेकिन अफसोस, मेयर साहिबा का ध्यान इन मुद्दों पर नहीं, बल्कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान के नाम पर सियासी खेल खेलने में है।
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कांग्रेस का लखनऊ मेयर से सवाल

एक साल पहले उन्होंने शहर में ढाई लाख बांग्लादेशी और रोहिंग्या का शिगूफा छोड़ा था लेकिन ऐसे एक भी संदिग्ध को अब तक चिन्हित नहीं किया। इस बीच शहर में कूड़ा उठाने से लेकर साफ-सफाई, सड़क, पानी, सीवर पर जनता सवाल पूछ रही तो विकास कार्यों की जवाबदेही से सबका ध्यान भटकाने के लिए दोबारा वही खेल फिर शुरू कर दिया। कांग्रेस की मांग है कि अगर मेयर सुषमा खर्कवाल शहर में बांग्लादेशी और रोहिंग्या को लेकर वाकई गंभीर हैं तो वो इसे लेकर गृह मंत्रालय भारत सरकार और राज्य सरकार को पत्र क्यों नहीं लिखतीं? उन्हें यह भी बताना चाहिए कि एक साल पहले उन्होंने जो अभियान शुरू किया था उसका क्या हुआ?
पार्षद मुकेश का मेयर पर वार
पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने कहा- मेयर सुषमा खर्कवाल ने संविदा और आउटसोर्सिंग से काम कर रहे सफाई कर्मचारियों की नागरिकता के दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी। यह कदम न केवल हास्यास्पद है बल्कि गंभीर रूप से संविधान विरोधी और श्रमिक-विरोधी भी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अब नगर निगम के पास पासपोर्ट ऑफिस और गृह मंत्रालय की भूमिका निभाने का अधिकार आ गया है? क्या किसी नगर निगम मेयर के पास यह संवैधानिक अधिकार है कि वह तय करें कौन इस देश का नागरिक है और कौन नहीं?

यह कदम साफ़ तौर पर भाजपा की घिसी-पिटी “घुसपैठिया” राजनीति का हिस्सा है, जिसमें हर चुनाव के पहले या हर विकास मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ‘बाहरी’ या ‘अवैध नागरिक’ का शोर मचाया जाता है। अब यही खेल नगर निगम तक आ चुका है।
आख़िर क्यों नहीं लखनऊ की मेयर शहर के रोज़ाना भरे पड़े कूड़े के ढेर, जलजमाव, टूटी सड़कें पर ध्यान देतीं? क्यों नहीं वह यह सुनिश्चित करतीं कि सफाई कर्मचारी—जो दिन-रात शहर को साफ रखने में लगे हैं—उन्हें न्यायोचित वेतन, सुरक्षा उपकरण और सम्मानजनक व्यवहार मिले?
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मेयर बने गृह मंत्री नहीं- पार्षद मुकेश
मुकेश सिंह चौहान ने कहा- असलियत ये है कि भाजपा की पूरी राजनीति ही विकास के मुद्दों से ध्यान हटाकर पहचान और धार्मिक ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है। पहले एनआरसी और सीएए के नाम पर पूरे देश में भय फैलाया गया, अब नगर निगम स्तर पर भी इसी नीति को लागू किया जा रहा है।

क्या यह शर्मनाक नहीं कि जिन सफाई कर्मचारियों ने महामारी के दौरान जान की परवाह किए बिना काम किया, अब उन्हें अपने नागरिकता के सबूत दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या ये ‘नया भारत’ है, जहां सबसे कमज़ोर तबकों से देशभक्ति के सर्टिफिकेट मांगे जा रहे हैं?
मुकेश सिंह चौहान ने कहा- कांग्रेस इस प्रकार की मानवाधिकार और श्रम अधिकारों के उल्लंघन की कठोर निंदा करती है। हमारा मानना है कि यह अभियान न सिर्फ संविधान के खिलाफ है, बल्कि इंसानियत के भी खिलाफ है।
मेयर सुषमा खर्कवाल जी को याद रखना चाहिए कि लखनऊ वालों ने उन्हें मेयर चुना है, गृह मंत्री नहीं। बेहतर हो कि वे शहर की समस्याओं पर ध्यान दें, न कि भाजपा के एजेंडे पर। नागरिकों की सेवा कीजिए, नागरिकता की जांच मत कीजिए।
