देश दुनियाविदेश

G7 Summit में PM मोदी ने लिया हिस्सा, ट्रंप से बोले- भारत ने ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे

G7 Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 समिट के लिए कनाडा पहुंचे, जहां उन्होंने इस समिट में हिस्सा लिया। इस दौरान PM मोदी ने G-7 में कहा- क्या हम आतंकवाद को लेकर गंभीर हैं भी या नहीं?” बताते चले कि कनैनिस्किस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद पीएम मोदी ने अलग-अलग देशों के लीडर के साथ विशेष बैठक भी की। साथ ही पीएम मोदी ने ऐसी ही द्विपक्षीय बैठक कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ भी की। बैठक में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम narendramodi से मुलाकात में दोनों देशों के आपसी संबंधों को बहाल करने के लिए संतुलित कदम उठाने पर सहमति जताई।

भारत ने ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे- PM मोदी

आपको बतादें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से लगभग 35 मिनट फोन पर बातचीत की, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर पर मोदी-ट्रम्प की फोन पर 35 मिनट तक बात हुई। PM बोले- भारत ने ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे; इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीजफायर PAK के कहने पर हुआ। साथ ही बातचीत के दौरान PM मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी जानकारी दी।

Read More: FASTag Profit: नितिन गडकरी ने लॉन्च किया ‘FASTag’ का वार्षिक पास, 15 अगस्त से होगा लागू

वहीं विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई लगभग 35 मिनट फोन पर हुई बातचीत की आधिकारिक जानकारी साझा की- “पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान व्यापार से जुड़े किसी भी विषय पर चर्चा नहीं हुई।

G7 Summit में PM मोदी ने लिया हिस्सा, ट्रंप से बोले- भारत ने ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे

उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत ने कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और भविष्य में भी ऐसी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। इसके अलावा, पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब आतंकवाद के कृत्यों को ”नकली” या “दिखावटी” कार्रवाई के रूप में नहीं बल्कि युद्ध के कृत्यों के रूप में देखेगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को अपने मौजूदा यूएसए दौरे के दौरान मिलने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन पहले से तय कार्यक्रम के कारण पीएम मोदी निमंत्रण स्वीकार नहीं कर पाए। दोनों नेताओं ने निकट भविष्य में मिलने पर सहमति जताई…”

पीएम मोदी के आतंकवाद को लेकर गंभीर सवाल

  • पीएम मोदी ने कहा कि क्या हम आतंकवाद को लेकर गंभीर हैं भी या नहीं?
  • क्या हमें आतंकवाद का मतलब सिर्फ तब समझ आएगा जब वो हमारे घर के दरवाजे पर दस्तक देगा?
  • क्या आतंकवाद फैलाने वाले को और आतंकवाद से पीड़ित को एक ही तराजू में रख कर देखा जायेगा?
  • क्या हमारे ग्लोबल institutions एक मज़ाक बन कर रह जायेंगे?

आतंकवाद और आतंकियों के खिलाफ पीएम का विरुद्ध

प्रधानमंत्री ने कहा यदि हमने आज मानवता के विरुद्ध खड़े इस आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कदम नहीं उठाए, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। निजी हितों के लिए, आतंकवाद को मूक सम्मति देना, आतंक या आतंकियों का साथ देना, पूरी मानवता के साथ विश्वासघात है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक तरफ तो हम अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर, भांति-भांति के sanctions लगाने में देर नहीं करते। दूसरी ओर, जो देश खुले आम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हे पुरस्कृत करते हैं। इस कमरे में जो बैठे हैं, उनसे मेरे कुछ गंभीर सवाल हैं।

Read More: बिना टिकट यात्रा पर होगा एक्शन, जानें यात्रा की जुर्माना-सजा और सावधानी

कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन करता चुकानी होगी कीमत

G7 आउटरीच सेशन में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हाल ही में भारत को एक क्रूर और कायरतापूर्ण आतंकी हमले का सामना करना पड़ा। 22 अप्रैल को हुआ आतंकी हमला केवल पहलगाम पर ही नहीं, बल्कि हर भारतीय की आत्मा, अस्मिता और गरिमा पर भी सीधा आघात था। यह पूरी मानवता पर आघात था। आप सभी मित्रों ने जिन कड़े शब्दों में इसकी निंदा की, संवेदनाएं प्रकट की, उसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। लोकतान्त्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सभी देशों का विरोधी है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता अनिवार्य है। भारत के पड़ोस में तो आतंकवाद का ब्रीडिंग ग्राउन्ड है! वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए, हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए- यदि कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।

सीजफायर पर पीएम ने साफ की बात – विदेश सचिव

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान PM मोदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े किसी भी विषय में व्यापार से संबंधित कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान के कहने पर ही भारत ने सीजफायर किया था। भारत कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता और आगे भी नहीं करेगा।

साथ ही, PM मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि अब भारत आतंकवाद की घटनाओं को प्रॉक्सी वॉर (परदे के पीछे की लड़ाई) नहीं, बल्कि सीधे युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखेगा। भारत का ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है। विदेश सचिव ने कहा – राष्ट्रपति ट्रम्प ने पीएम मोदी की तरफ से विस्तार में बताई गई बातों को समझा और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के प्रति समर्थन जताया।

विदेश सचिव ने बताया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को स्पष्ट रूप से कहा था कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कभी भी किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका ट्रेड डील या अमेरिका की तरफ से भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे विषयों पर बात नहीं हुई थी। सैन्य कार्रवाई रोकने की बात सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच दोनों सेनाओं के एग्जिस्टिंग चैनल्स (मौजूदा अफसरों) के माध्यम से हुई थी और पाकिस्तान के आग्रह पर ही हुई थी।

‘पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील की थी’

विदेश सचिव मिसरी ने ये बताया कि 9 मई की रात को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी को फोन किया था। वेंस ने कहा था कि पाकिस्तान, भारत पर बड़ा हमला कर सकता है। पीएम मोदी ने उन्हें साफ शब्दों में बताया था कि यदि ऐसा होता है तो भारत, पाकिस्तान को उससे भी बड़ा जवाब देगा। फिर 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के हमले का भारत ने सशक्त जवाब दिया और पाकिस्तान को सेना को बहुत नुकसान पहुंचा। उसके मिलिट्री एयरबेस को इनऑपरेबल (फ्लाइट संचालन न होने योग्य) बना दिया। भारत के मुंहतोड़ जवाब के चलते पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई रोकने का आग्रह करना पड़ा।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *