गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, जानें कथा से बप्पा की महिमा
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी तिथि 2025 का पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी की 27 अगस्त को मनाया जाएगा। क्योंकि 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी उदया तिथि में पड़ रही हैं जोकि दिन में 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी की मान्यता
आपको बताते चले कि हमारे हिंदू धर्म में गणेश सर्वप्रथम पूजनीय माने जाते है इसलिए उनकी पूजा सबसे पहले की जाती है। वहीं हमारे देश भर में गणेश चतुर्थी भी बेहद ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। कई जगहों पर धूम-धाम से बप्पा का स्वागत करते हुए भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। जो कुछ जगहों पर 5-7-9-11 दिन के लिए स्थापित की जाती हैं।
वहीं हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी की बहुत ही मान्यता है क्योंकि गणेश बप्पा की रचना माता पार्वती के शरीर की ऊर्जा और मैल से हुई थी माता ने बप्पा की रचना की थी और अपने तपोबल से गणेश की जीवन प्रदान किया था।
भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ जानें कथा
भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती की ऊर्जा और मैल से मिलकर मां गणेश की रचना की थी और अपने तपोबल से गणेश की जीवन प्रदान किया था। फिर माता गौरा ने गणेश को अपने स्नान घर के बाहर द्वारपाल बनाकर खड़ा किया और स्वयं स्नान के लिए चली गईं साथ ही जाते-जाते गणेश को आदेश दिया कि स्नान को दौरान कोई भी भीतर प्रवेश ना कर पाएं। मगर माता के स्नान के दौरान भगवान शिव वहां पधारे और अंदर जाने लगे उस दौरान गणेश महादेव को रोका।
कई बार कहने के बाद भी जब भगवान शिव को अंदर जाने को नहीं मिला को उन्होंने क्रोधित में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि दोनों एक दूसरे को नहीं जानते हैं। जब गणेश जी का सिर धड़ से अलग हो गया। जब माता पार्वती को यह ज्ञात हुआ तो वे अत्यंत व्याकुल हो गईं और उन्होंने प्रलय लाने की चेतावनी दी।
फिर माता पार्वती की गंभीर नाराजगी को शांत करने के लिए भगवान शिव ने गणेश जी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने गणों को आदेश दिया कि वे उत्तर दिशा की ओर जाकर पहले प्राणी का सिर लेकर आएं, जो सो रहा हो और जिसकी मां अपनी पीठ उसकी ओर किए हुए हो। ऐसा ही एक हाथी मिला, और उसका सिर लाकर भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया। इस प्रकार गणेश जी को पुनर्जीवन प्राप्त हुआ और वे “गजमुख” या “गजानन” कहलाए। तभी से उन्हें “प्रथम पूज्य” होने का आशीर्वाद भी मिला और यह दिन अत्यंत शुभ माना गया।
गणेश चतुर्थी घर पर कैसे मनाएं?
सनातन धर्म में रोजाना घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के अवसर पर शाम को दीपक जरूर जलाएं। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और सुख-शांति का वास होता है।
गणेश चतुर्थी के खास अवसर पर गणेश की स्थापना के लिए एक चौकी पर लाल या पीले या वस्त्र बिछा लें और पूर्व दिशा की ओर गणेश की स्थापना करें। इसके बाद दूर्वा, गंगाजल, हल्दी, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, जनेऊ, फल, फूल, माला , अक्षत और मोदक भगवान गणेश को अर्पित करें।
भाद्रपद मास में हुआ महाभारत लेखन
इसके साथ ही गणेश चतुर्थी को लेकर यह भी मान्यता है कि भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास के कहने पर महाभारत ग्रंथ का लेखन आरंभ किया था। उस दौरान भगवान गणेश ने 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिख डाली। क्योंकि इस पवित्र ग्रंथ को लिखने से पहले गणेश जी ने शर्त रखी थी कि वे लेखन बीच में नहीं रोकेंगे, और वेदव्यास जी को बिना रुके वाचन करना होगा। इसी व्रत के साथ इस महान कार्य की शुरुआत हुई थी। यही कारण है कि इस तिथि को बौद्धिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष माना जाता है। तब वेद-व्यास जी ने 10वें दिन गणेश जी को नदी में स्नान करवाया। यही कारण है कि 10 दिनों तक ये उत्सव मनाया जाता है।
गणेश पूजा से मिलेगी महिमा
भगवान गणेश की स्थापना करने से घर में लाने से बप्पा सभी बाधाएं दूर करते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
भगवान गणेश की स्थापना करने साथ आत्मिक शुद्धि और साधना, पूजा, भक्ति और प्रार्थना करने से गुस्सा, लालच, जलन जैसी बुरी आदतों से छुटकारा मिलता हैं।
भगवान गणेश जी को बड़ा सिर बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक कहा जाता है, जो हमें हमेशा सीखते रहने की प्रेरणा देता है।
भगवान गणेश के कान से धैर्य और संयम यानी की अच्छा श्रोता बनने और धैर्य रखने की सीख मिलती हैं।
भगवान गणेश शक्तिशाली होने के बावजूद विनम्रता के प्रतीक माने जाते हैं। उनके नेत्र हमें लक्ष्य पर केंद्रित रहने और नम्र बने रहने का संदेश देती हैं।
भगवान गणेश परिवार का सम्मान बेहद करते हैं। वो महादेव और मां पार्वती को ‘श्रृष्टि’ से ऊँचा मानते हैं।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है क्यों कि बप्पा धैर्य, बुद्धि और सही सोच से हर मुश्किल का हल निकाल लेते है।
गणपति बप्पा का रूप और उनका व्यक्तित्व हमें जीवन की कई अहम बातें सिखाता है। जिन्हे हमें भी अपने जीवन में उतारना चाहिए।
वहीं जब बप्पा का विसर्जन करते है यह भी जन्म और मृत्यु के चक्र का प्रतीक होता है। ये हमें याद दिलाता है कि हर किसी को एक दिन प्रकृति में ही समा जाना है।
भगवान गणेश की स्थापना का उत्सव सभ लोगों को एक साथ लाने का काम करती है, मिलकर भक्ति में डूबने की सीख देती है साथ ही धर्म और भक्ति के प्रति जागरूक करती हैं।