गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में जानें गुरु ही दे सकता है मोक्ष
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज का विषय गुरु ही मोक्ष दे सकता है जाने एक कहानी के माध्यम से कैसे-
गुरु शिष्य की कहानी

एक बार की बात है देवर्षि नारद अपने पिता ब्रह्मा जी के पास गए हुए थे। विचार विमर्श के बाद जब जाने लगे तो ब्रह्मा जी ने जिस जगह नारद बैठे हुए थे उस भूमि को कमंडल के जल से सीच दिया उसी बीच नारद मुड़ कर देख लिये कि ब्रह्मा जी हमारे बैठे हुए जगह को पवित्र कर रहे है जिसके बाद नारद जी ने पितामह से पूछ लिया भगवान क्या हमारे बैठने से आप की जगह अपवित्र हो गई।
ब्रह्मा जी ने कहा- हां नारद यह भूमि अपवित्र हो गई क्यों कि तुम गुरु नहीं किए हो ज्ञान से भरे हो पर कोई गुरु नहीं है। नारद जी ने कहा- पितामह हमको कोई गुरु मिला नहीं जो हमसे ज्यादा जानकार हो हमारा गुरु बने।
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- तब ब्रह्मा जी ने कहा- बस इसी लिए तुम निगूढ़ हो अर्थात गुरु विहीन का जीवन अधूरा है।
- नारद जी ने कहा प्रभु कोई गुरु बताओ जो हमको ज्ञान दे सके।
- ब्रह्मा जी ने कहा- गुरु करो फिर ज्ञान मिल जाएगा, गुरु ही भव से पार कर सकता है। बहुत पूछने पर ब्रह्मा जी ने कहा- “सुबह गंगा स्नान करके भोर में निकलो जो रास्ते में मिल जाये उसी को गुरु बना लेना।

नारद जी वैसा ही किए उनको एक मछुआरा मिल गया जा रहा था सुबह मछली पकड़ने नारद जी ने उसका पैर पकड़ लिया कहा आप ही हमारे गुरु है। उसने कहा- आप कहां और मैं कहां यह कैसे हो सकता है, नारद ने ब्रह्मा जी की बताई गई बात बताया और कहा बस गुरु बन जाओ आशीर्वाद दो।
- फिर आशीर्वाद पा कर नारद जी ब्रह्मा के पास गए कहा- हमने गुरु पा लिया और बना लिया लेकिन…
- ब्रह्मा जी ने कहा- जब गुरु बना लिया तो लेकिन क्या होती है।
- लेकिन कह कर गुरु के प्रति तुमने पाप किया है जाओ हजार वर्ष चौरासी योनियों में भटकों…
- नारद जी घबरा गए बोले पितामह अब क्या करूं यह तो गलती हो गई कोई उपाय बताओ।
- तब ब्रह्मा जी ने कहा- इसका उपाय तो गुरु बता सकता है उसी के पास जाए उसी से पूछो।
- नारद जी ने उस गुरु रूपी मछुआरा के पास गए रो कर अपना दुख बताया कहा- गुरुदेव कुछ करो इस संकट से उभारों।
- मछुआरा रूपी गुरु ने कहा- जाओ चौरासी लाख योनियों का नाम पूछ कर आओ उसको लिखो कौन-कौन सी योनियां होती है। नारद जी ने वैसा ही किया पितामह के कहे अनुसार चौरासी लाख योनियां को जमीन पर कंकड़ से लिखा।
- फिर लिखा हुआ योनियों को गुरु रूपी मछुआरा ने पल भर में हाथ से मिटा दिया कहा जाओ सब भ्रम मिट गया।
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नारद जी अपने को हल्का महसूस करने लगे पितामह को बताया। तब ब्रह्मा जी ने कहा गुरु वह शक्ति होती है जो सभी में छिपी हुई हैं। उसी ज्ञान से आप का भ्रम मिट गया चौरासी लाख योनियां को गुरु ही मिटा सकता है। यह है गुरु की महिमा.. जो अपार होती है।

“गुरु भव से पार कर सकता है”
मीरा के गुरु रैदास हुए ब्यास जी मछुआरा के कोख से पैदा हुए।
गुरु जाती से नहीं ज्ञान से अपने स्व को जानने वाला ही गुरु हो जाता है। वहीं मोक्ष दिला सकता है।
आइए गुरु परंपरा को नमन करें, जो भव से पार कर सकते हैं- “गुरु बिन भव निधि तराई न कोई जो बिरांची शंकर सम होई”