गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में जानें क्या पूर्व जन्म से भाग्य का संबंध
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज का विषय है, क्या पूर्व जन्म से भाग्य का संबंध… यह प्रसंग कुंती ने महाभारत काल में श्री कृष्ण से पूछा-
क्या मनुष्य का भाग्य कर्म से बड़ा है?

उन्होंने कहा- हमारे पांचों पुत्र बलशाली हैं, कर्म निष्ट है, ईमानदारी से जीवन जीते हैं, फिर भी दर-दर भटकते रहते हैं। वहीं दुर्योधन अनीति अत्याचार का जीवन जीता है और हस्तिनापुर का राजकुमार बना है।
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तब श्रीकृष्ण ने कुंती से कहा- “भाग्यं फलति सर्वदा”
यानी की मनुष्य के संचित कर्म से भाग्य का निर्माण होता हैं।
कुंडली में देखें भाग्य भाव
कुंडली में नवा भाव धर्म का, पिता का, भाग्य का होता हैं। भाग्य भाव में बैठा हुआ ग्रह बताता है कि मनुष्य कितना भाग्यशाली है। अगर लग्नेश, पंचमेश या केंद्र त्रिकोण का संबंध भाग्य भाव से होता हैं तो वह मनुष्य भाग्यशाली होता हैं। कम मेहनत से किया गया काम में ज्यादा सफलता पाना भाग्यशाली कहा जाता है। पूर्व जन्म का फल जो मिल जाता है वह नवम भाव में होता हैं।

जो नहीं मिल पाता और अगले जन्म में मिलता है वह नवम से नवम भाव अर्थात पंचम भाव से देखा जाता है। यह एक बहुत बारीकी का विषय है यह जानकार ज्योतिषी द्वारा जानकारी मिल सकती हैं। गुरु प्रसाद से संभव है ज्योतिष ज्ञान से मनुष्य को अपने जीवन में सुधार होगा।
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