गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में जानें रोग-रिपु-ऋण का दमन कैसे करें
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज का विषय रोग-रिपु-ऋण का दमन करके शत्रु पर विजय पाना..
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परासर ऋषि ने फल दीपिका नामक ग्रंथ में त्रिखड़ाय शब्द का प्रयोग किया है। जिसमें त्रि का तीसरा, खड़ा का छठवां, आय का एकादश यह तीनों भाव कुंडली में रोग, रिपु, ऋण, से संबंध रखते है।

इसमें शुभ ग्रह स्थित हो तो खराब होता हैं, क्रूर ग्रह स्थित से भी खराब होता हैं। अगर इस भाव पर कोई पाप ग्रह पाप दृष्ट से देख रहा हो वह केंद्र त्रिकोण का स्वामी हो तो विपरीत राज योग बन जाता जहां पर मंगल ग्रह, सूर्य ग्रह, शनि का संबंध हो जाये तो सोना में सुहागा से सभी अवरोधक को समाप्त कर विजय प्रदान करता है। शत्रुहंता योग बन जाता है।\
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ज्योतिष वेद का छठा अंग है, इसमें जन्म के समय ही ज्योतिषी जान जाता कब-कब किस उम्र में किस समय रोग होगा, शत्रु होगे। केवल ज्योतिष का ज्ञाता होना चाहिए। यह विद्या परा विद्या है इसको गुरु मुखी ही समझ सकता निरंतर अध्ययन गुरु के प्रति विश्वास समर्पण होना चाहिए।
