गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा से मनुष्य अपने भाग्य का करें निर्माण
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज का विषय मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है। हर मनुष्य कर्म करता है परंतु कोई पेट पालता है कोई लग्जरी जीवन जीता है आखिर कारण क्या है।
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जानें लग्जरी जीवन कैसे पाएं
जैसा कि हम सभी जानते है कि लग्जरी जीवन हर व्यक्ति चाहता है पर मिलता क्यों नहीं शिष्यों ने गुरु से पूछा- तब कुछ देर सोचने के बाद गुरु ने बताया मनुष्य कर्म करता है क्या उस कर्म में दूसरे का हित होता है अगर दूसरों का हित जुड़ा है वह कर्म यज्ञ बन जाता है जिसको ईश्वर स्वीकार करते है जिस काम को ईश्वर स्वीकार करते है हरि को समर्पित किया काम में करता पान खत्म हो जाता हैं शेष कर्म बचता है वही कर्म ईश्वर के पास जमा होता है। उसी प्रसाद रूपी कर्म का फल और करता का समर्पण मिलकर भाग्य का निर्माण करता है।
मनुष्य अपने भाग्य का निर्माण करें
उदाहरण स्वरूप अगर आप के पास बैंक का लाकर है उसमें सोना आदि रखते है उसकी एक चाभी आप के पास एक चाभी बैंक मैनेजर के पास रहती है जब आप को लाकर खोलना होता है तो आप अपनी चाभी लगाते मैनेजर अपनी चाभी लगाते तब जाकर लॉकर खुलता है।
दोनों के सहयोग से लॉकर खुलता है उसमें रखा हुआ खजाना निकालते है।

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उसी तरह आप का कर्म और ईश्वर का प्रसाद जब मिल जाता है तब किया गया काम भाग्य का निर्माण करता है समाज उसको भाग्यशाली कहते है उसकी नियत तो देखो किस नियत से काम करता है। सही नियति से किया गया काम जिसमें दूसरे का हित दिखता है, ईश्वर को वही पसंद हैं। प्रतिकूल को अनुकूल करना एक कला है जिसको आ जाता है वहीं भाग्य का निर्माता होता है। बताए गए सिद्धांत को सभी शिष्यों ने गुरु को प्रणाम किया जीवन में उतारा… यह ज्ञान उसी के समझ में आएगा जिसपर गुरु की कृपा होती हैं।