हरतालिका तीज का दिन और मुहूर्त, जानें पूजा विधि और 16 श्रृंगार का महत्व
हरतालिका तीज: हरतालिका तीज जो सुहागिनों के लिए बेहद ही स्पेशल पर्व है इस दिन सुहागिन महिलाएं और जिन की शादी पक्की हो जाती है या जो महिला अपने लाइफ पार्टनर का ताउम्र साथ चाहती है वो विवाह से पहले भी हरतालिका तीज का व्रत रखती पूजा करती हैं। तो चलिए अब जानते हरतालिका तीज कब है कैसे पूजा करना है कैसे सजना सँवरना हैं और शुभ मुहूर्त क्या हैं इन सब के बारें में…

जानें हरतालिका तीज दिन और मुहूर्त
आपको बतादें कि हरतालिका तीज हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है इस अनुसार तीज की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12.35 से होगी और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर बाद 1.55 पर होगा। वहीं दूसरी तरफ सनातन धर्म में कोई भी व्रत की शुरुआत उदया तिथि के साथ की जाती है। इसलिए यह व्रत 26 अगस्त दिन मंगलवार को रखा जाएगा। वहीं बात करें पूजा के शुभ मुहूर्त की तो सुबह 5.56 से शुरू होगा और 8.31 तक रहेगा। इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है वहीं अविवाहित कन्याएं अगर इस व्रत को रखती है तो उनको अच्छा वर मिलता है और मनोकामना की पूर्ति होती हैं। इस व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना की जाती है।

हरतालिका तीज की पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा और व्रत करने के लिए सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्या को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर भगवान शिव और मां गौरा की अराधना करते हुए व्रत करने का प्रण लेना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए और माता पार्वती और महादेव तथा गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए। खास बात यह है कि हरतालिका तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सोना नहीं चाहिए साथ ही ये व्रत निर्जला रखा जाता है। इसलिए इस व्रत को सुहागिनों के बाकी व्रत से ज्यादा कठिन माना जाता है। व्रत वाली महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार करने चाहिए, कुंवारी और सुहागिन महिलाओं को इस दिन काली चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए। व्रत में हरे रंग के वस्त्र और लाल-पीली-हरी चूड़ियां पहननी चाहिए।
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पूजा के दौरान व्रर्ती महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। उनको भांग, धतूरा, बेलपत्र, फल-फूल और वस्त्र आदि अर्पित करें। इसके साथ ही मां गौरा को सुहागिन का सामान अर्पित करें जिससे उनका सुहाग भी बढ़ा रहे। इसके साथ ही देसी घी का दीपक जलाएं और फिर माता पार्वती और शिव मंत्र का जाप करें। हरतालिका की कथा का पाठ करें और व्रत के अगले दिन व्रत पारण के समय पारण कर लें। मिट्टी से बने महादेव और माता पार्वती की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करें और जल में विसर्जन कर दें। इससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है घर में सुख और समृद्धि आती है।

व्रर्ती करें 16 श्रृंगार
हरतालिका तीज के पावन व्रत पर पूजा करने के दौरान व्रर्ती को 16 श्रृंगार करना चाहिए। तो आइये जानें श्रृंगार की पूरी जानकारी जिससे व्रर्ती अखंड सौभाग्य का आशीष पाएं। इसमें व्रर्ती को बिंदी-सिंदूर, काजल और मेहंदी, चूड़ियां और कुमकुम, गजरा और मांग टीका, नथ और झुमके, मंगलसूत्र और हार, बाजूबंद, पायल और बिछिया, आल्ता और इत्र का पूरा श्रृंगार करना चाहिए। क्योंकि हमारे हिंदूधर्म में मान्यता है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ बाहरी सजावट नहीं है, बल्कि ये महिला की पूरी ऊर्जा, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है। हरतालिका तीज पर इसे करने का मतलब है देवी पार्वती की तरह सौभाग्यशाली और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करना।
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जानें मासिक धर्म में और गर्भवती महिलाएं कैसे करें व्रत

आपको बताते चले कि हरतालिका तीज को लेकर गर्भवती महिलाएं भी हरतालिका तीज का व्रत रख सकती हैं। लेकिन बच्चे को कोई कष्ट न पहुंचे, इसलिए व्रत को निर्जला ना रखे इसमें व्रर्ती फल और दूध तथा पानी का सेवन कर सकती हैं। व्रत के साथ-साथ मां और बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल भी बहुत अहम होती है। इसके अलावा, बता दें कि मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं व्रत रख सकती हैं, लेकिन ऐसे समय में पूजा करना निषेध माना गया है। तो मन में ही नाम जप और महादेव तथा पार्वती माता और गणेश भगवान का स्मरण करना चाहिए।