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India-UK friendship: वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति की नई दिशा

India-UK friendship: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की मुलाकात ने भारत-UK संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुंचा दिया है। मुंबई के राजभवन में हुई इस ऐतिहासिक वार्ता ने यह साबित कर दिया कि भारत और ब्रिटेन सिर्फ इतिहास के रिश्ते से नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं से भी गहराई से जुड़े हैं।

भारत-UK संबंधों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “भारत और ब्रिटेन की साझेदारी भरोसे, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी पर आधारित है। मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के दौर में यह साझेदारी वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण आधार बन रही है।” यह बयान केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक नई विश्व व्यवस्था की दिशा में भारत की निर्णायक भूमिका का प्रतीक है।

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राजभवन में हुई ऐतिहासिक वार्ता

बताते चले कि गुरुवार की शाम जब दोनों देशों के नेता मुंबई के राजभवन में आमने-सामने बैठे, तो एजेंडा सिर्फ व्यापार या रक्षा तक सीमित नहीं था। यह चर्चा थी — विश्व स्थिरता, नई तकनीक, शिक्षा, संस्कृति और भविष्य के विज़न की थी।

बैठक के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस वार्ता में जो बातें साझा कीं, उनसे साफ झलकता है कि भारत-UK संबंध अब एक रणनीतिक साझेदारी से आगे बढ़कर वैश्विक प्रभाव वाले गठबंधन का रूप ले रहे हैं।

“विज़न 2035” – भविष्य की रूपरेखा

दोनों देशों ने “विज़न 2035 रोडमैप” की समीक्षा की। यह योजना जुलाई 2024 में हस्ताक्षरित भारत-UK मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के अनुरूप एक 10 वर्षीय रणनीतिक ब्लूप्रिंट है।

मुख्य उद्देश्य:

  • व्यापार और निवेश में दोगुनी वृद्धि
  • रक्षा और सुरक्षा में साझा सहयोग
  • स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा तकनीक
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में नए आयाम

इस रोडमैप से भारत और ब्रिटेन के बीच सालाना 25.5 अरब पाउंड के द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी का अनुमान है। साथ ही, ब्रिटेन में 2,200 नई नौकरियों का सृजन और भारत में ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कमी से उद्योगों को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।

India-UK friendship: वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति की नई दिशा

रक्षा और रणनीतिक सहयोग

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में बताया कि दोनों देशों ने सैन्य प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। “भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर अब ब्रिटिश वायु सेना में ट्रेनर के रूप में कार्य करेंगे।” यह कदम सिर्फ सैन्य सहयोग नहीं, बल्कि आपसी भरोसे और क्षमता-साझेदारी का प्रतीक है।

इसके अलावा, दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और सप्लाई चेन की स्थिरता सुनिश्चित करने का भी संकल्प लिया। इससे भारत को वैश्विक सुरक्षा नेटवर्क में केंद्रीय भूमिका मिलेगी।

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खनिज क्षेत्र में नई क्रांति

बैठक में भारत और ब्रिटेन ने महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग बढ़ाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया। इसके तहत एक इंडस्ट्री गिल्ड और सप्लाई चेन ऑब्जर्वेटरी स्थापित की जाएगी, जिसका सेटेलाइट कैंपस आईएसएम धनबाद में होगा। यह कदम भारत की खनिज आत्मनिर्भरता मिशन को मजबूती देगा और स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नई तकनीकों के लिए जरूरी संसाधनों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्णय

प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि अब ब्रिटेन की नौ यूनिवर्सिटी भारत में अपने कैंपस खोलेंगी। यह भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन है —पहली बार विदेशी विश्वविद्यालय भारत में सीधे डिग्री कार्यक्रम शुरू कर सकेंगे।

  • इससे भारतीय छात्रों को अपने देश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा मिलेगी।
  • शोध और नवाचार के नए अवसर और ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के साथ प्रत्यक्ष सहयोग का लाभ मिलेगा।
  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टारमर ने इसे “शिक्षा में साझेदारी की ऐतिहासिक छलांग” कहा।

स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल नवाचार

दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार को साझेदारी के मुख्य स्तंभों में शामिल किया। भारत के “मेक इन इंडिया” और ब्रिटेन के “ग्रीन ब्रिटेन मिशन” को जोड़ते हुए, दोनों नेता नेट-ज़ीरो एमिशन लक्ष्य की दिशा में एकजुट हैं। इस समझौते से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नई सप्लाई चेन, हरित हाइड्रोजन उत्पादन, और स्मार्ट ग्रिड तकनीक के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

व्यापार और निवेश: नए अवसरों की बौछार

प्रधानमंत्री स्टारमर ने कहा -“यह यूनाइटेड किंगडम द्वारा भारत भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक मिशन है।”

दोनों देशों ने व्यापार, संस्कृति और खेल के साथ-साथ सेवा क्षेत्र, कृषि और डिजिटल स्टार्टअप्स में भी साझेदारी बढ़ाने पर जोर दिया।

वहीं ब्रिटेन के निवेशकों ने भारत में आईटी और फिनटेक,बायोटेक और ऑटोमोबाइल निर्माण में बड़े निवेश की घोषणा की।

यह सहयोग न सिर्फ दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए साझेदारी का आदर्श मॉडल पेश करेगा।

संस्कृति, सिनेमा और खेल: रिश्तों में नई ऊष्मा

ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टारमर ने कहा- भारत की प्रसिद्ध यशराज फिल्म्स की तीन प्रमुख फिल्मों की शूटिंग 2026 से ब्रिटेन में शुरू होगी।इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और फिल्म उद्योग के रिश्ते और मजबूत होंगे। साथ ही, ब्रिटिश फिल्म बोर्ड और भारतीय फिल्म आयोग के बीच सहयोग से फिल्म टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।

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स्टारमर ने दिवाली के मौके पर दीया जलाकर समारोह में भाग लिया, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एकता और सम्मान का प्रतीक बना। उन्होंने कहा – “भारत की संस्कृति और परंपरा ब्रिटेन के दिल में गहराई तक बसी है।”

खेल से एकता का संदेश

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने भारत के फुटबॉल प्रशंसकों से बातचीत की और प्रीमियर लीग के ट्रेनिंग प्रोग्राम की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह खेल न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि समाज को जोड़ने और युवाओं को प्रेरित करने की शक्ति भी रखता है। भारत में अब ब्रिटिश कोचिंग स्टाइल और प्रीमियर लीग के प्रशिक्षण मॉडल से फुटबॉल को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

वैश्विक शांति पर साझा दृष्टिकोण

दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष और गाज़ा संकट पर भी गहन चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि- “भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही शांति बहाली के सभी प्रयासों का समर्थन करता है।” यह रुख भारत की शांतिप्रिय और संतुलित विदेश नीति को दर्शाता है, जो किसी पक्ष का अंधानुकरण नहीं करती, बल्कि मानवता और न्याय के पक्ष में खड़ी होती है।

लोकतंत्र, विश्वास और भविष्य की नींव

India-UK friendship: वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति की नई दिशा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “हमारे संबंधों की नींव लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर टिकी है।” यह वाक्य भारत और ब्रिटेन की साझेदारी के मूल दर्शन को परिभाषित करता है। दोनों देश अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के माध्यम से विश्व में स्थिरता और संतुलन की दिशा में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत-यूके एफटीए: आर्थिक इतिहास का मील का पत्थर

जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान जिस ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हुए थे, उसे स्टारमर ने
“ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन का सबसे बड़ा और भारत का सबसे महत्वूपर्ण व्यापारिक समझौता” बताया।

इससे भारत और ब्रिटेन के बीच निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि, निवेश को नया आयाम और मध्यम वर्ग के लिए नए रोजगार के अवसर खुलेंगे। यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का इंजन साबित हो सकता है।

एकता का दीप और भविष्य की रोशनी

बैठक के अंत में जब दोनों प्रधानमंत्री दिवाली के दीपक जलाने के लिए साथ खड़े हुए, तो वह दृश्य केवल एक सांस्कृतिक क्षण नहीं था वह था नई आशा, नई ऊर्जा और नई साझेदारी का प्रतीक। स्टारमर ने कहा- “ब्रिटेन भारत का सिर्फ व्यापारिक साथी नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा है।”

निष्कर्ष: साझेदारी नहीं, परिवर्तन की शुरुआत भारत और ब्रिटेन की यह नई साझेदारी सिर्फ दो देशों के बीच का समझौता नहीं – यह विश्व राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में नई दिशा देने वाला वैश्विक गठबंधन है।
जहाँ भारत अपनी जनसंख्या, नवाचार और डिजिटल क्षमता के साथ उभरता हुआ नेता है, वहीं ब्रिटेन अपने तकनीकी अनुभव और वैश्विक नेटवर्क के साथ भारत का सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर सामने आया है। यह साझेदारी आने वाले वर्षों में विश्व की स्थिरता, पर्यावरण संतुलन और आर्थिक विकास की धुरी बनेगी।

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