जीवन के 8 पहर: हर समय का अपना शुभ महत्व
Lifestyle: दिन और रात के 8 पहर होता जोकि बेहद ही महत्वपूर्ण समय होता है। हर पहर हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा, भावना और उद्देश्य लेकर आता है। सुबह की पूजा हो या रात की साधना — हर समय का अपना दैविक महत्व है।
- जानिए कब करें कौन सा कार्य शुभ है
- कब मिलती है ईश्वरीय शक्ति और शांति
- और किन समयों में वर्जना रखनी चाहिए

हर पल जुड़ा है कर्म, साधना और सफलता से होता है, क्या आप जानते हैं कौन सा “पहर” आपके लिए सबसे शुभ है? नहीं तो आइये विस्तार से जानते है।
Read More: तमिलनाडु: शक में पति ने पत्नी की हत्या कर ड्रम में छिपाया शव
दिन का प्रथम प्रहर- पूर्वाह्न
दिन का प्रथम प्रहर पूर्वान्ह कहलाता है, जो सूर्योदय से शुरू होकर सुबह 9 बजे तक रहता है। यह समय शुभ माना जाता है और आमतौर पर पूजा-पाठ, ध्यान और दिन की शुरुआत के लिए शुभ होता है। यह दिन की शुरुआत का पहला पहर है।
दिन का दूसरा प्रहर- मध्याह्न
9 से 12 बजे तक का होता है, इस समय मस्तिष्क अधिक सक्रिय रहता है जोकि करियर और पढ़ाई के लिए बेहद उत्तम होता हैं। इस लिए इस समय मागलिक कार्य करें और पौधे लगाने से बचे।
दिन का तीसरा प्रहर- अपराह्न
12 बजे से 3 बजे तक का होता हैं, यह समय भोजन और विश्राम का समय होता है। इस समय में नए कार्य, यात्रा, लेटकर भोजन करने से बचे। उपासना से संतान समस्या दूर होती हैं।

दिन का चौथा प्रहर- सांय काल
3 बजे से 6 बजे तक का होता है, जोकि पूर्णता समय सात्विक भक्ति और ईश्वरीय तप के लिए उत्तम होता है। विश्राम करें, किसी से विरोध न करें।
रात का प्रथम प्रहर- प्रदोष काल
6 बजे से 9 बजे तक का होता है, यह संतोष प्रधान समय है इसमें मांगलिक कार्य वर्जित होता है। पूजा, प्रार्थना, संध्यावंदन करें। मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं।
Read More: गुरुवार का ज्ञान : गुरु शिक्षा से पाएं मनचाही संतान
रात का दुसरा प्रहर- निशिथ काल
9 से 12 बजे तक का होता है, यह सामाजिक और राजनीतिक समय होता है। अधिकांश प्राणी विश्राम करते है, मगर जाग्रित रहे और पेड़ और भोजन से बचना चाहिए। यह समय प्रेम संबंध के लिए हितकारी होता हैं।

रात का तीसरा प्रहर- नियामा पहर
12 से 3 बजे तक का होता है, जोकि मध्यरात्रि का शुभ समय माना जाता है। इस समय में विश्राम करना और प्रार्थना करना उत्तम होता है। साथ ही यह समय गूढ़ साधना और ईश्वरीय शक्ति के लिए सर्वोत्तम समय होता है।
रात का चौथा प्रहर- उषा काल
3 बजे से 6 तक का होता है, जोकि शुद्ध और शांत समय होता है। यह समय ध्यान, योग, साधना, और श्रम के लिए उत्तम होता है। इस समय शिवकाशी पूजा से सुख और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
