ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें क्यों पीपल वृक्ष से घबराते शनि
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय क्यों पीपल वृक्ष से शनि घबराता है।
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क्यों पीपल वृक्ष से शनि घबराता है- कहानी

क्यों पीपल वृक्ष से शनि घबराता है। महर्षि परासर ऋषि ने कहानी के माध्यम से बताया जब देवता को अपनी सुरक्षा की चिंता हुई असुरों से भय लगा तो उन्होंने अपने अस्त्र-शास्त्र को छुपाना चाहा जब जरूरत पड़ेगी तब इस्तेमाल करूंगा। उसके लिए महान तपस्वी दधीचि के पास गए निवेदन किया भगवान हम अपना अस्त्र-शास्त्र आप के कुटिया में छिपा देता हूं यहां उसकी सुरक्षा रहेगी जब हमें जरूरत होगी तब हम उठा लेंगे।
वहीं देवताओं का निवेदन ऋषि ने स्वीकार लिया एक कुटिया में रखवा दिया, काफी दिन बीत गया कोई आया नहीं महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी ने आपस में विचार किया कि यह निर्णय गलत किया कोई असुर जान गया तो आफत आ जाएगी। उसके बाद महर्षि दधीचि ने अपने तप बल से सभी अस्त्र-शास्त्र की शक्ति को अपने शरीर में छिपा लिया और कुटिया खाली कर दिया।

महर्षि दधीचि ने हड्डियों से बनाया वज्र
काफी दिन बाद जब तारक नाम का असुर से देवता परेशान हो गए तो याद आया अस्त्र शास्त्र इंद्र ने सभी देवता के साथ महर्षि दधीचि के पास आए और अपना प्रयोजन बताया।

तब महर्षि ने कहा- उसकी शक्ति तो हमने आत्मसात कर लिया अब वह हमारी हड्डियों में है देवराज इंद्रा के कहने पर महर्षि दधीचि ने अपने योग बल से प्राण को शरीर से अलग कर लिया। भगवान विश्वकर्मा के कहने पर महर्षि दधीचि की पंच भौतिक शरीर को गौ से चटवा कर हड्डी से धनुष बनाया गया जिससे तारक सहित असुरों का संहार हुआ।
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पेट फार कर पीपल को शिशु सौंपा
यह समाचार जब महर्षि दधीचि की पत्नी को पता चला जो गर्भवती थी तो बहुत विलाप किया उसने अपना पेट फार कर शिशु को बाहर किया, पीपल वृक्ष की गुफा में बच्चे को रख दिया और उसकी रक्षा करने के लिए निवेदन किया कि पीपल देव इस बच्चे की रक्षा करें, और उसी समय देवताओं को श्राप दिया आप संतान हीन रहोगे और अपने शरीर को योगाग्नि में सती कर लिया।

नारद जी पीपलाद को बताई पहचान
वह बच्चा पीपल वृक्ष का फल खा कर नदी का जल पी कर बड़ा हुआ, एक दिन नारद जी ने देख लिया बोला हे बालक आप कौन हो आप के माता पिता कौन है। बालक ने कहा हमको मालूम नहीं हमारा नाम क्या है हमारे माता-पिता कौन है हम यही रहते है, पीपल का फल खाता है, नदी का जल पीता है। तब नारद जी ने अपने दिव्य दृष्ट से देखा और बताया तुम महर्षि दधीचि के पुत्र हो महर्षि ने अपना शरीर दान कर दिया देवताओं को तुम्हारी माता ने विलाप करती हुई अपना शरीर सती कर महर्षि के साथ विलय कर लिया।
बालक होनहार था उसको तपस्या के लिए प्रेरित किया उसका नाम पीपलाद रखा बालक ने तपस्या कर भगवान शिव को ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और जब भगवान शिव ब्रह्मा जी के साथ प्रगट हुए तो उन्होंने बर मांगने को कहा- सबसे पहले बालक ने पूछा देव हमारी दशा ऐसी क्यों हुई जन्म से पूर्व माता पिता का देहांत हुआ पहले माता पिता का दर्शन कराओ। भगवान शिव ने शिव लोक से महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी की आत्मा को बुलाया पुत्र को तपस्वी देखकर माता पिता ने आशीर्वाद दिया और बोला बेटा उसमें किसी का दोष नहीं है हमारे ऊपर शनि की साढ़े साती चल रही थी उसके कारण यह सब कुछ हुआ।

पीपलाद ने दिया शनि को श्राप
जिसे सुन कर पीपलाद बहुत क्रोधित हुए शनि के ऊपर अपने तप बल से शनि का आवाहन किया और जब शनि आए तो उनको अग्नि में जलने का श्राप दे दिया। शनि को जलता देख कर शनि के पिता सूर्य सहित सभी देव गढ़ ब्रह्मा आदि परेशान हुए पीपलाद से प्रार्थना किया शनि को कोई दंड देकर क्षमा करें पीपलाद ने आपने ब्रह्म दंड से शनि के ऊपर प्रहार किया जिससे शनि की टांग टूट गई, जलने से शरीर काला हो गया। तब से शनि देव काले है उनके टाँग को दर्द न हो इसलिए तेलों की मालिश होती है तेल चढ़ाया जाता हैं।
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पीपलाद की पूजा से नहीं होगा शनि का असर

पीपलाद ने कहा- जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व हमारी शरण में आ गया उसको तुम परेशान नहीं करोगे। उस पर तुम्हारी साढ़े साती का प्रभाव नहीं रहेगा। शनि ने वचन दिया ऐसा ही करूंगा, जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाता है उसकी परिक्रमा सात करता है उस पर शनि ग्रह प्रसन्न होते कष्ट नहीं देते हैं। यह जानकारी गुरु कृपा से शिव पुराण से ली गई है जिससे की पीपलाद ऋषि का आशीर्वाद पढ़ने वाले सुनने वाले को मिले।
NOTE:- शेष अगले हफ्ते मिलेगा। ज्योतिष विषय सनातन धर्म से जुड़ा हुआ है गुरु के कृपा से मिलता है। यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…
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यह ज्ञान बहुत ही खूब सूरत है इसमें जितना घुसा जाए उतना मजा आता है जीवन का जीव का आत्म का ब्रह्मांड का प्रकृति का ज्ञान भरा पड़ा है। हमारा प्रयास है समाज में जो विद्या लुप्त होती जा रही है, उसको भ्रमित किया जा रहा है अल्प ज्ञानी उसका दुरुपयोग कर रहे है। उन तक ज्ञान का विस्तार पहुंचे, ज्योतिष संबंधी जानकारी जो हर हफ्ते दिया जाता है उसे सीखना चाहते है तो राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ से संपर्क करें, बाकी ज्योतिष से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए भी संपर्क करें।
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