ज्योतिष-धर्म

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में केंद्र त्रिकोण का संबंध

ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय केंद्र त्रिकोण का संबंध..

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में केंद्र त्रिकोण का संबंध

परासर ऋषि ने अपनी पुस्तक फलदीपिका में लिखा है कुंडली के बारह खाना में बीच का चार खाना को केंद्र कहते है, जैसे प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, दशम भाव, पंचम और नवम को त्रिकोण कहते है।

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कुंडली में केंद्र त्रिकोण का संबंध

आइए समझते हैं इसमें क्या-क्या भरा है। केंद्र जो प्रथम भाव है वह मनुष्य का शरीर होता है वहां से शरीर की रचना होती है उसकी बनावट रंग-रूप-लंबाई का ज्ञान होता है। उसमें बैठा हुआ घर या वह घर किसका है उसको जानें-उसमें बैठा ग्रह स्वगृही मित्र गृही उच्च गृही या नीच का है उसपर किसकी दृष्ट है उसका संबंध क्या है उसपर फर्क पड़ता है।

केंद्र का दूसरा घर चौथा भाव है यह माता का सुख का भोग का घर होता है फिर वह घर किसका है, उसमें बैठा ग्रह कौन है स्वगृही मित्र गृही या उच्च का नीच का उसपर किसकी दृष्ट है उसकी नियति क्या करने का है उसपर फर्क पड़ता है।

केंद्र का तीसरा घर सप्तम भाव होता है वह पत्नी का व्यापार का मार्केश का होता है। यह भोग भी देता है उसमें बैठा ग्रह कौन सा है घर किसका है उच्च का नीच का स्वगृही मित्र गृही उसपर फर्क पड़ता है।

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में केंद्र त्रिकोण का संबंध

केंद्र का चौथा घर दशम भाव होता है जहां कर्म करता वह घर किसका है उच्च का नीच का स्वगृही मित्र गृही उसपर दृष्ट किसकी है। किस नियति से काम करता है उस पर फर्क पड़ता है।

अब बात आई त्रिकोण की पंचम भाव यह पूर्व जन्म का विद्या का संतान का शिक्षा का होता है। वह घर किसका उसमें बैठा ग्रह किस नियति से काम करता उस पर दृष्ट किसकी पड़ती है वह किस नियति से देख रहा है। उस पर फर्क पड़ता है।

त्रिकोण का दूसरा घर नवम होता है जो पिता का धर्म का होता है वह घर किसका वहां बैठा ग्रह कौन किस नियति से काम कर रहा उच्च का नीच का अस्त मित्र गृही शत्रु गृही उसपर फर्क पड़ता है।

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में केंद्र त्रिकोण का संबंध

ज्योतिष शास्त्र बताता है भूत – भविष्य

ज्योतिष शास्त्र सभी शास्त्र का शिरोमणि है यह भूत काल भविष्य काल वर्तमान काल का ज्ञान देता है। रोग होने पर डाक्टर टेस्ट करके बताता है ज्योतिष का ज्ञान रखने वाला रोग होने से पूर्व जान लेता है रोग कब होगा कौन सा रोग होगा। यहां तक उसका संबंध ठीक होना या मार्केश होता है उसका इलाज भी किया जा सकता हैं यह सब गुरु प्रसाद से संभव होता है उसमें साधना करनी पड़ती है तब संभव होता हैं।

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NOTE:- यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…

यह ज्ञान बहुत ही खूब सूरत है इसमें जितना घुसा जाए उतना मजा आता है जीवन का जीव का आत्म का ब्रह्मांड का प्रकृति का ज्ञान भरा पड़ा है। हमारा प्रयास है समाज में जो विद्या लुप्त होती जा रही है, उसको भ्रमित किया जा रहा है अल्प ज्ञानी उसका दुरुपयोग कर रहे है। उन तक ज्ञान का विस्तार पहुंचे, ज्योतिष संबंधी जानकारी जो हर हफ्ते दिया जाता है उसे सीखना चाहते है तो राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ से संपर्क करें, बाकी ज्योतिष से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए भी संपर्क करें।

https://en.wikipedia.org/wiki/Hindu_astrology

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