ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में चंद्रमा का सातवां भाव क्या है?
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय चंद्रमा से सातवां भाव जैसा कि परासर ऋषि ने बताया कि सातवां स्थान मारक होता है। लग्न का सातवां अर्थात शरीर का सातवां स्थान मारक मार्केश होता हैं।
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तो चंद्रमा का सातवां क्या है?
चंद्रमा मन का कारक होता है इसका मतलब मन का मारक चंद्रमा घटता बढ़ता रहता है तो मन का मारक अर्थात मन का घटना बढ़ाना मन का उतार चढ़ाव।जहां चंद्रमा बैठा है वहां से सातवां भाव में मन को मारना अर्थात बेमन का काम करना, जन्म के समय यदि चंद्रमा लग्न में होता है तो उसका सातवां भाव मारक होता है चाहे कोई भी घर हो। उस भाव में कोई ग्रह हो उसका मतलब नहीं उस भाव से चंद्रमा संतुष्ट नहीं अर्थात मन संतुष्ट नहीं उसका विचार घटता बढ़ता रहेगा।
लग्न से सातवां पत्नी का भाव है कभी पत्नी से संतुष्ट कभी पत्नी से नाराजगी जाहिर करते हैं, चंद्रमा के ऊपर है चंद्रमा कैसा है। कमजोर चंद्रमा नाराजगी पश्चाताप बलवान चंद्रमा परिवार में खुशियां मनाई जाएगी।

इसी तरह से आप अपने कुंडली में सभी भाव तथा सभी ग्रहों को समझ सकते है, खुद अगर समझ में नहीं आता तो किसी जानकार ज्योतिषी से सहयोग ले। ज्योतिष ज्ञान मनुष्य अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रयोग करते रहे हैं, यह फलादेश अध्ययन से गुरु कृपा से साधना करने से मिलती है।
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NOTE:- यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…
