ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: भाग्य से कर्म करना और उसका फल
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है भाग्य से कर्म करना…

भाग्य से कर्म करना
आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है भाग्य से कर्म करना आय और मोक्ष की प्राप्ति को लेकर परासर ऋषि ने बताया कि काल पुरुष की कुंडली का नवा भाव धर्म का पिता का भाग्य का होता है उसका नेतृत्व गुरु करते हैं अर्थात उसके मालिक गुरु है जो भाग्य को दर्शाते है दसवां घर शनि का होता हैं जो कर्म को दर्शाता हैं।
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गुरु सबसे तेज चलने वाले और शनि धीमी गति से चलने वाले धैर्य के साथ प्रगति होगी, न्याय संगत काम करने वाले को विशेष लाभ मिलेगा। कुंडली में एकादश भाव आय कराता है कर्म के अनुसार आय का होना जिसे कर्म का फल कहते है। उसका संबंध शनि ग्रह से होता है। ऐसे में न्याय संगत काम करने वाले को विशेष रूप से लाभ मिलेगा चाहे अच्छा लगे या बुरा शनि ग्रह उसका फल देते है।

कुंडली का गूढ़ रहस्य
कुंडली का बारहवां भाव खर्च का कारण व्यय का धन को धर्म मार्ग में खर्चा करना, जन्म स्थान से दूर रहकर कर्म करना, फॉरेन में रहकर कर्म करना, चाहत पूरा करना, संतुष्ट होना अर्थात मूंछ को प्राप्त करना। मोक्ष दो तरह से होता है एक तो सब सुख को प्राप्त कर भोग से बैरागी लेना बुध होना। एक अभाव भाव पाकर दुखी होना बैरागी वीत राग होना राजा भरथरी का वैराग्य पारिवारिक जीवन से जुड़े लोग का मोह भंग होता बैरागी बन जाते हैं।
जिम्मेदारी से छुटकारा लेकर मोक्ष का रास्ता पकड़ लेते उसके पीछे ग्रहों की चाल होती है जानकार ज्योतिषी उसका फलादेश करते नवा भाव, दसवां भाव, एकादश भाव, द्वादश भाव, क्रमशः भाग्य , कर्म ,आय और मोक्ष प्रदान करते हैं। जिसको दूसरे शब्दों में धर्म, कर्म, आय, व्यय कहते है यह गूढ़ रहस्य है बिना गुरु के सहयोग से असंभव लगता गुरु कृपा ही सर्वोपरि है जिज्ञासु लोग ही प्राप्त करते हैं।

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