ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली के चार त्रिकोण धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष कब कैसे मिलते
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान आज का विषय कुंडली के चार त्रिकोण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष कब कैसे मिलते है।
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जो चाहे वो पाएं

महर्षि परासर ने अपनी पुस्तक फलदीपिका में शोध कर के लिखा है मनुष्य अपने जीवन में जो चाहे पा सकता है अपने पुरुषार्थ से भगवान शिव की कृपा से भाग्य को लिख सकता है, भगवान शिव भावी मिटा सकते हैं।
गोस्वामी जी ने लिखा है नारद जी ने हिमाचल से कहा- “जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी”

जानें कुंडली के चार त्रिकोण धर्म
कुंडली के बारह भाव में प्रथम भाव पंचम भाव नवम भाव धर्म त्रिकोण होता है।
कुंडली के द्वितीय भाव छठा भाव दशम भाव अर्थ त्रिकोण होते हैं।
कुंडली के तीसरा भाव सप्तम भाव एकादश भाव काम त्रिकोण होते हैं।
कुंडली के चौथा भाव आठवां भाव बारहवां भाव मोक्ष त्रिकोण होते हैं।
यह भाव तथा यहां पर बैठा ग्रह स्वराशि मित्र की राशि या उच्च की राशि में है या नीच राशि शत्रु राशि में या अस्त है यह कुंडली देखने के बाद फलादेश किया जाता है। कितने अंश का ग्रह किस दशा महादशा में कब अपना कार्य काल करेगा इसकी जानकारी योग्य ज्योतिषी द्वारा किया जाता है। उसी के आधार पर व्यक्ति की जानकारी मिलती है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष कब कैसे मिलेगी यह जानकारी समय-समय पर मिलती रहेगी, जिज्ञासु लोग को गुरु कृपा मिलती है।
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