लखनऊ नगर निगम पर सवाल: GEM पोर्टल से टेंडर क्यों नहीं?
लखनऊ: नगर निगम लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग मैनपावर सप्लाई को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जोन 1, 3, 4, 6 और 7 में सफाईकर्मियों की नियुक्ति के लिए हर साल लगभग 150 करोड़ रुपये का ठेका चयन प्रस्ताव के जरिए दिया जा रहा है, जबकि शासनादेश साफ कहता है कि ऐसी निविदाएं जेम (GEM) पोर्टल से कराई जानी चाहिए।
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सीएजी ने भी उठाया था सवाल
सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट 22 नवंबर 2024 में नगर निगम लखनऊ से स्पष्ट रूप से पूछा गया कि जब छोटे-छोटे नगर पालिकाओं में भी जेम पोर्टल से टेंडर कराए जा रहे हैं, तो फिर नगर निगम लखनऊ क्यों अपवाद बना हुआ है। शासनादेश संख्या-12/2017 तथा सीएजी शासनादेश 2019 का हवाला देते हुए कहा गया था कि पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए जेम (GEM) पोर्टल का इस्तेमाल जरूरी है।
न्यायालय में दाखिल हुई रिट
इस प्रकरण में उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ में रिट संख्या WPIL-891/2025 दाखिल की गई है। याचिका में अपील की गई है कि नगर निगम को जेम (GEM) पोर्टल के माध्यम से ही मैनपावर टेंडर करने का आदेश दिया जाए। एडवोकेट डी.के. सिंह ने भी अपने पत्र में इसी मांग को उठाते हुए कहा है कि नगर निगम द्वारा शासनादेश की अवहेलना की जा रही है।

मंत्री ने महापौर को लिखा पत्र
श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने महापौर को लिखे पत्र में इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेने और शासनादेश के अनुपालन कराने की सिफारिश की है। मंत्री ने साफ कहा है कि नगर निगम को तुरंत स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित करना चाहिए कि प्रश्नगत जोनों में आउटसोर्सिंग मैनपावर सप्लाई की निविदा केवल जेम (GEM) पोर्टल से ही कराई जाए।
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बड़ा सवाल: लखनऊ में क्यों अपवाद?
यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब प्रदेश की छोटी-छोटी नगर पालिकाओं में भी सफाई और मैनपावर से जुड़े ठेके जेम (GEM) पोर्टल से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हो रहे हैं, तो लखनऊ नगर निगम में यह व्यवस्था क्यों लागू नहीं की जा रही। क्या करोड़ों रुपये के ठेकों में पारदर्शिता से बचने की कोशिश हो रही है या फिर इसके पीछे कोई और कारण है? अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नगर निगम और महापौर इस गंभीर मामले पर क्या कदम उठाते हैं।