मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी समेत सातों आरोपी, भावुक प्रज्ञा बोली- मुझे अपने ही देश में आतंकवादी…
2008 Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए ब्लास्ट केस में इंतजार की घड़ी खत्म हो गई। आखिरकार 17 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया। मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में NIA की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है और मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी को बरी कर दिया है।
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मालेगांव ब्लास्ट केस सभी लोग बरी

आपको बतादें कि NIA कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है जिसमें मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपी को बरी कर दिया गया हैं। प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी सभी बरी हो गए।
ऐसे में अब सवाल है कि कोर्ट में ऐसा क्या हुआ कि सभी आरोपी बरी हो गए, जिसको लेकर कोर्ट ने जो टिप्पणी की है और जो फैसला दिया है, आइये उस बारें में जानते हैं।
जज ने फैसला सुनाते हुए बताया
आपको बतादें कि महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में 17 सालों बाद गुरुवार (31 जुलाई) को फैसला आ गया है जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपियों को बरी करते हुए अदालत ने कहा – शक के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। केस की मुख्य आरोपी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर थीं, उनके साथ-साथ लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को भी आरोपी बनाया गया था। इसके साथ ही जज ने फैसला सुनाते हुए कहा- जांच में कई तरह की गलतियां थीं। सरकारी पक्ष यह भी साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट बाइक में हुआ था। साथ ही जज ने यह भी साफ कर दिया है कि पंचनामा सही तरीके से नहीं हुआ था।
नई दिल्ली: मालेगांव विस्फोट मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, "18 फरवरी, 2007 को समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट हुआ था। इसमें दो पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों को भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया, क्योंकि… pic.twitter.com/zQMq5I2Aje
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जांच एजेंसियों ने जो किए दावे वो नहीं हुआ साबित
कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि न तो बम मिला था और न ही RDX और न ही कोई फिंगरप्रिंट। कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। इतना ही नहीं अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटर-साइकिल में था। कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया, घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई।
कोर्ट ने यह भी साफ किया साध्वी प्रज्ञा के नाम पर बाइक थी या नहीं यह साबित नहीं हुआ, इसके साथ ही मालेगांव ब्लास्ट में एक अहम बात यह भी पता चली है कि बाइक का चेसिस नंबर नहीं मिल पाया था। जिसको लेकर अदालत ने कहा है कि यह स्पष्ट नहीं हुआ कि बाइक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की थी या नहीं। जांच एजेंसियों ने जो भी दावे किए हैं, वो अदालत में साबित नहीं हो पाए हैं।
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‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं’
कोर्ट ने यह भी कहा – धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया, घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ। साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया। अदालत ने साफ कर दिया कि सातों आरोपी निर्दोष हैं। केवल संदेह के आधार पर किसी को सजा नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है।
यूपी सीएम ने कहा- कांग्रेस माफी मांगे
मालेगांव विस्फोट प्रकरण में सभी आरोपियों का निर्दोष सिद्ध होना 'सत्यमेव जयते' की सजीव उद्घोषणा है।
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यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता है, जिसने 'भगवा आतंकवाद' जैसा मिथ्या शब्द गढ़कर करोड़ों सनातन आस्थावानों, साधु-संतों और…
वहीं फैसले आ जाने के बाद यूपी सीएम ने कहा- मालेगांव विस्फोट प्रकरण में सभी आरोपियों का निर्दोष सिद्ध होना ‘सत्यमेव जयते’ की सजीव उद्घोषणा है। यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता है, जिसने ‘भगवा आतंकवाद’ जैसा मिथ्या शब्द गढ़कर करोड़ों सनातन आस्थावानों, साधु-संतों और राष्ट्रसेवकों की छवि को कलंकित करने का अपराध किया है। कांग्रेस को अपने अक्षम्य कुकृत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए।
‘मुझे अपने ही देश में आतंकवादी बना दिया गया’- साध्वी प्रज्ञा

बताते चले कि साध्वी प्रज्ञा की मालेगांव ब्लास्ट केस में पहली प्रतिक्रिया सामने आई उन्होंने कहा- ‘मुझे अपने ही देश में आतंकवादी बना दिया गया’। इसके साथ ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने पर संतुष्टी जताई और भावुक बयान दिया।
उन्होंने जज से कहा- ”मैं न्याय के प्रति सम्मान की वजह से आई हूं। मुझे 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया, मेरा जीवन बर्बाद कर दिया गया। मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया, मुझे अपने ही देश में आतंकवादी बना दिया गया।” सांधवी प्रज्ञा ने आगे कहा- “मैंने शुरू से ही कहा है कि जिन्हें भी जांच के लिए बुलाया जाता है, उसके पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे जांच के लिए बुलाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया और प्रताड़ित किया गया। इससे मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया।
भगवा को बदनाम किया गया- प्रज्ञा ठाकुर
दिल्ली: मालेगांव विस्फोट मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने पर शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा, "वे आतंकवादी नहीं हो सकते क्योंकि हर आतंकवादी को देश के खिलाफ लड़ने वाली किसी न किसी ताकत का समर्थन प्राप्त होता है। आतंकवाद ऐसी ही ताकतों द्वारा संचालित होता है। भारत में… pic.twitter.com/tPlEVZDBcw
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इसके साथ ही साध्वी ठाकुर ने कहा- ”मैं एक साध्वी का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे फंसा दिया गया और मुझ पर आरोप लगा दिया गया, और कोई भी स्वेच्छा से हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। मैं जीवित हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं, उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत भगवा को बदनाम किया।”
जानें क्या था पूरा मालेगांव केस
दरअसल महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक बम विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह ब्लास्ट उस वक्त हुआ जब लोग नमाज पढ़ने के लिए जा रहे थे। वहीं बम ब्लास्ट के एक दिन बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर थाने में कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
मुंबई, महाराष्ट्र: 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में, एनआईए अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।
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बरी किए गए आरोपियों में से एक की ओर से वकील प्रकाश सालसिंगिकर ने कहा, "इस मामले में तीन अलग-अलग आरोपपत्र दायर किए गए थे, एक एटीएस द्वारा, एक पूरक आरोपपत्र और एक एनआईए… pic.twitter.com/GDBm4wQH3X
एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई। बता दें कि कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए देने का आदेश दिया है। वहीं घायलों को 50-50 हजार रुपए देने के लिए कहा है।
साध्वी प्रज्ञा का बम धमाके से कैसे जुड़ा नाम

बताते चले कि मामले की शुरुआती जांच पुलिस ने की थी, लेकिन इसके बाद पूरी जांच ATS को हाथों में चली गई। वहीं जांच में पता चला कि LML फ्रीडम बाइक में बम लगाया था, इसी से धमाका हुआ, लेकिन बाइक पर नंबर गलत लगा हुआ था। जब बाइक की जांच शुरू की गई तो दावा किया गया कि यह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर है। धमाके के करीब एक महीने बाद साध्वी प्रज्ञा समेत 2 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही इस मामले में कुल 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। फिलहाल आज उन सभी को बरी कर दिया गया हैं।