ज्योतिष-धर्म

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की करें आराधना, शांति और समृद्धि की होगी प्राप्ति

देवी चंद्रघंटा: हिंदू धर्म में देवी चंद्रघंटा की पूजा नवरात्री के तीसरे दिन होती हैं, उन्हें देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप माना जाता है। चंद्रघंटा देवी के नाम का अर्थ है “चाँद की घंटी,” माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा की पूजा से शांति, समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

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देवी चंद्रघंटा के रूप का वर्णन

देवी चंद्रघंटा का रूप शांत सौम्य और प्रेरणादायक होता है, माता के माथे पर चाँद की आकृति का टीका होता हैं। देवी का चेहरा हमेशा प्रसन्न और आभा से भरा रहता है। वहीं बात करें मां के सिंहासन की देवी का वाहन एक बाघ या सिंह है, जो माता की शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता हैं। देवी की आराधना करने से भय और तनाव को दूर होता हैं और भक्तों को मानसिक शांति मिलती है। देवी चंद्रघंटा के चार हाथ होते हैं। वे इनमें विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं, जैसे: त्रिशूल, तलवार, धनुष-तीर, घंटी या अन्य प्रतीक।

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देवी चंद्रघंटा की कथा

देवी चंद्रघंटा की कथा को लेकर कहा जाता है कि पुरातन समय में, जब धरती पर दुष्ट राक्षसों का आतंक बढ़ गया था, तब देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, और शिव से सहायता मांगी। उन्होंने यह तय किया कि देवी दुर्गा को इस समस्या का समाधान करने के लिए भेजा जाएगा। देवी दुर्गा ने कई स्वरूप धारण किए, और उनमें से एक स्वरूप देवी चंद्रघंटा का था।

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वहीं कथा को लेकर कहा जाता है कि राक्षसों ने धरतीवासियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। इस स्थिति से निपटने के लिए देवी चंद्रघंटा ने एक सशक्त रूप धारण किया। उन्होंने अपने मस्तक पर चाँद की आकृति बनाई, जो उन्हें सौम्यता और शक्ति प्रदान करती थी। देवी ने सिंह पर सवार होकर राक्षसों से युद्ध किया और धरती से राक्षसों का अन्त किया। माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा को मानसिक शांति, साहस, और कठिनाइयों से निपटने का प्रतीक माना गया है देवी के इस रूप की पूजा करने से भक्तों को विजय, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

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देवी चंद्रघंटा की महिमा

1. शांति और मानसिक बल का प्रतीक
2. साहस और शक्ति का प्रतीक
3. दुष्टों का नाश करने वाली देवी
4. सफलता और समृद्धि की देवी
5. करुणा और प्रेम का प्रतीक
6. स्वास्थ्य और कल्याण की देवी
7. आध्यात्मिक विकास की देवी

नवरात्रि की पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त श्रद्धा के साथ उनकी उपासना करते हैं, और उनके लिए विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।

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मंत्र: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः”

नवरात्रि के पहले दिन घर की सफाई करें पूजा स्थल की सफाई करें और देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ उपवास रखने की परंपरा है। इसे लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार रखते हैं। वहीं कुछ लोग अपने सामर्थ के अनुसार व्रत के साथ कलश की स्थापना भी करते हैं और पूजन में फूल, फल, कुमकुम, दीपक, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें इसके साथ ही माता को वस्त्र अर्पित करें और श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा स्तुति और लौंग कपूर से आरती करें। देवी चंद्रघंटा की कृपा से सभी कठिनाइयाँ दूर होती हैं और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार होता है।

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