Nepal Protests: गृह मंत्री के घर पर हमला, प्रदर्शनकारियों ने लगाई आग – PM ओली दुबई भागने को तैयार?
Nepal Protests: नेपाल इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकटों में से गुजर रहा है। सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार और बढ़ते आर्थिक संकट के खिलाफ भड़का युवा आंदोलन अब “Gen-Z रिवोल्यूशन” का रूप ले चुका है। इस आंदोलन ने न केवल काठमांडू की सड़कों को दहला दिया है बल्कि सत्ता के गलियारों तक हलचल मचा दी है।
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गृह मंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों के इस्तीफे, प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफा न देने के जिद्दी रुख और जनता के गुस्से ने पूरे देश को अराजकता के कगार पर ला खड़ा किया है। आइये जानें नेपाल में यह आंदोलन क्यों शुरू हुआ, अब तक इसमें क्या-क्या घटनाएं घट चुकी हैं और इसका भविष्य किस दिशा में जा सकता है।

गृह मंत्री के घर पर हमला और आगजनी
काठमांडू में सोमवार को हालात तब और बिगड़ गए जब प्रदर्शनकारियों ने नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक के घर पर हमला कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, घर को आग के हवाले कर दिया और पुलिस को खदेड़ दिया। यह हमला तब हुआ जब गृह मंत्री पहले ही इस्तीफा दे चुके थे।
इससे पहले भी प्रदर्शनकारियों ने सूचना मंत्री पृथ्वीसुब्बा गुरुंग और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल (प्रचंड) के आवासों में आगजनी और तोड़फोड़ की थी। यहां तक कि भीड़ पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर की ओर भी बढ़ गई थी, लेकिन सुरक्षा बलों ने किसी तरह हालात काबू में किए।

गृह मंत्री और कृषि मंत्री का इस्तीफा
इस हिंसक आंदोलन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि जिस आंदोलन में दर्जनों युवाओं की जान गई, उसमें सत्ता में बने रहना उनके लिए नैतिक रूप से गलत होगा। इसी कड़ी में कृषि एवं पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि – “सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए दमन, बल और हत्या का रास्ता चुना। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और मैं ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं रह सकता।”

21 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल
8 सितंबर को शुरू हुए इस आंदोलन में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 300 लोग घायल हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें लगातार जारी हैं। वहीं मामले को लेकर चश्मदीदों का कहना है कि संसद भवन के आसपास भी गोलियां चलाई गईं और “संसद के अंदर से भी गोलियों की आवाजें आईं।” यह आरोप सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
PM ओली को लेने पहुंचा हेलिकॉप्टर

ऐसे में स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोमवार को काठमांडू में मंत्रियों के घरों के पास एक हेलिकॉप्टर उतरा। वहीं, नेपाली सेना का एक और हेलिकॉप्टर एयरपोर्ट पर उतरा। इससे चर्चाएं तेज हो गईं कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इलाज के बहाने नेपाल छोड़कर दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं सूत्रों ने दावा किया कि उनके लिए हिमालय एयरलाइंस की एक फ्लाइट भी रिजर्व रखी गई है।
पीएम ओली की आपात बैठक
बढ़ते दबाव और इस्तीफों की झड़ी के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई। उन्होंने कहा – “यह देश के लिए कठिन समय है। मैं सभी दलों से संवाद कर रहा हूँ ताकि हालात का सार्थक समाधान निकल सके। मैं युवाओं से भी अपील करता हूँ कि शांति बनाए रखें।” हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया कि सरकार “उपद्रवी Gen-Z के आगे नहीं झुकेगी।”

सोशल मीडिया बैन बना आग में घी
आपको बतादें कि नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप, एक्स (ट्विटर) और रेडिट समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था। जिसको लेकर सरकार का कहना था कि इन कंपनियों ने 7 दिन की समय-सीमा में नेपाल सरकार से पंजीकरण नहीं कराया, इसलिए इन्हें प्रतिबंधित करना पड़ा।
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लेकिन यह कदम जनता को बेहद नागवार गुज़रा। सोशल मीडिया के युग में यह फैसला युवाओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना गया। पत्रकारों, वकीलों, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर सरकार का विरोध किया। यही विरोध बाद में Gen-Z रिवोल्यूशन बन गया।
कर्फ्यू के बावजूद सड़क पर युवा

बताते चले कि सरकार ने हालात को काबू करने के लिए काठमांडू, ललितपुर, भक्तापुर, बुटवल और भैरहवा में कर्फ्यू लगा दिया। लेकिन इसके बावजूद हजारों युवा सड़कों पर उतर आए।
- काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, युवाओं की मांग है कि –
- सोशल मीडिया बैन को पूरी तरह रद्द किया जाए।
- भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल नेताओं पर कार्रवाई हो।
- लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान किया जाए।
- बेरोजगारी और आर्थिक संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
भारत पर असर – यूपी बॉर्डर पर अलर्ट
नेपाल में इस हिंसा और अराजकता को देखते हुए भारत भी सतर्क हो गया है। खासकर उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों – महराजगंज, बहराइच, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर – में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। वहीं भारत सरकार नेपाल की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है क्योंकि दोनों देशों के बीच खुली सीमा है और किसी भी अस्थिरता का असर सीधे भारत पर पड़ सकता है।
नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता – इतिहास की पुनरावृत्ति
नेपाल पिछले दो दशकों से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। 2006 में राजशाही खत्म हुई, इसके बाद माओवादी आंदोलन और कई सरकारों के बदलने का दौर चला। लगातार प्रधानमंत्री बदलते रहे – माधव नेपाल, झलनाथ खनाल, बाबूराम भट्टराई, प्रचंड, शेर बहादुर देउबा और अब केपी शर्मा ओली।

हर बार नेताओं पर भ्रष्टाचार और जनविरोधी फैसलों का आरोप लगता रहा है। लेकिन इस बार स्थिति पहले से कहीं अधिक गंभीर है क्योंकि आंदोलन को युवा पीढ़ी का खुला समर्थन मिला है।
सरकार का दावा – बाहरी तत्वों की भूमिका
वहीं पूरे मामले को लेकर प्रधानमंत्री ओली और उनकी पार्टी UML का दावा है कि इस आंदोलन में “बाहरी असामाजिक तत्वों” की घुसपैठ हुई है। उनका कहना है कि कुछ ताकतें नेपाल की स्थिरता को खत्म करना चाहती हैं और Gen-Z आंदोलन का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह सरकार की नाकामी को छिपाने की कोशिश है।
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जानें क्या किया भड़के लोगों ने
काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा करने की कोशिश की, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर में आग लगा दी, और ओली के दमक स्थित पैतृक घर पर पथराव किया। नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा और माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ के घरों पर भी हमले हुए। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया और तोड़फोड़ की। गौरतलब है कि जेनजी प्रदर्शन को देखते हुए काठमांडू, पोखरा, और बुटवल में कर्फ्यू लगा है। सभी जगहों पर सेना तैनात की गई है।