महाशिवरात्रि में शिव-शक्ति के पूजन के साथ अपनाएं भोले भंडारी का यह गुण
महादेव जो बहुत ही भोले है जिस कारण यह जहां उनको भोले भंडारी भी कहते है, बाबा शिव इतने भोले है कि उनसे जो भक्त सच्चे दिल से जो भी मांगता...

महाशिवरात्रि :- महाशिवरात्रि शिव-पार्वती के प्रेम का वो दिन है जिस दिन शिव-शक्ति एक हुए थे, उनके सच्चे प्रेम की गाथा आज भी यूगो-यूगो से चली आ रही है। इस साल की शिवरात्रि 8 मार्च 2024 को मनाई जा रही है, मान्यता है कि शिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है, महाशिवरात्रि के दिन ही वर्षो की तपस्या के बाद मां पार्वती देवो के देव महादेव के साथ विवाह के बंधन में बंधी थी।

भगवान शिव को महादेव क्यों कहा जाता है ?
महादेव जो बहुत ही भोले है जिस कारण यह जहां उनको भोले भंडारी भी कहते है, बाबा शिव इतने भोले है कि उनसे जो भक्त सच्चे दिल से जो भी मांगता वो सब उसको बाबा भोले भंडारी दे देते है। भोले भंडारी जो जगत के कल्याण के लिए विष का प्याला तक पी लिये थे वो भोले नाथ है। मगर क्या आप जानते है कि भगवान शिव को देवो में देव महादेव क्यों कहा जाता है ? नहीं तो आज हम आपको बताते है,
आपको बतादे कि महादेव के परिवार को संगठित परिवार माना जाता है, क्योंकि एक बार की बात है नारद जी ने भगवान नारायण से पूछा की हे प्रभु आपके साथ शिव जी की आराधना सभी लोग करते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते है, जिस कारण उनको देवो के देव महादेव कहा जाता है, मगर कृपया यह बताए की उनकी महिमा क्या है इस पर थोड़ा प्रकाश डाले....आखिर क्यों वो महादेव कहलाते है...

शिव जी की अनसुनी कहानी
इस पर भगवान नारायण ने कहा - यह प्रश्न एकबार भगवान शिव से हमने पूछा कृपया कर इसपर प्रकाश डाले, तब शिव जी ने पहले अपने और फिर परिवार के बारे में कहा हमारे जीवन को देखो तो मस्तिक पर गंगा की धारा, ललाट पर दितिया का चंद्रमा, गले में सर्प की माला, मुंड की माला, और शरीर में भस्म, इसके साथ ही कमर में मृग छाल और उस पर कुश का आसान सवारी नंदी की...मगर सब एक-दूसरे के बहुत ही विरोधी हैं।
फिर भी मैं सबको साथ-साथ रखता हूं, और सबको संतुष्ट करता हूं, उधर माता जी की सवारी शेर की है और हमारे पास नंदी है। एक तरफ माता जी को भोग छप्पन प्रकार का लगता है, वहीं दूसरी तरफ हमारा भोग भांग, धतुरा का लगता है। जहां एक तरफ माता जी का श्रृांगार सोलह प्रकार का होता है तो वहीं हमारा श्रृांगार भस्म से होता है। ऐसे में देखा जाएं तो हमारे परिवार में सब कुछ भिन्न - भिन्न है।

अब बात करें हमारे पुत्र गणेश की जिसकी सवारी चूहा है, और दूसरे तरफ हमारे पुत्र कार्तिकेय की सवारी मोर है, जो हामरे गले की माला सर्प का दुश्मन है। सब के सब भिन्न भिन्न है। मगर फिर भी हम मस्त रहते है... हमारे घर में खुशियां रहती है... इस प्रकार भोले नाथ की पारिवारिक और खुशहाल जीवन का उपदेश सुनकर नारायण को अपार हर्ष हुआ।
शिव पूजन के साथ अपनाएं शिव के यह गुण

शिव की आराधना तो सभी करते है, शिव को अपना आराध्य मानते है, मगर आज के समाज में हम सब का शिव पूजन करने के साथ साथ शिव के गुण को देंखे और उनसे परिवार चलाने के गुण को सीखे समझे और अपने जीवन में अपने परिवार में उतारे तो यही शिव जी की सबसे बड़ी आराधना होगी हैं। शिव जी के जितना शक्ति को प्रेम करने वाला होना चाहिए, शिव और शक्ति को एक सामान समझने वाला होने के साथ शक्ति को सम्मान देने वाला ही भगवान शिव की भक्ति का मतलब है, इस लिए ही शिव तो पूजनीय के साथ उनके इस गुणों को भी अपनाना चाहिए। भगवान शिव आप सब की रक्षा करें, सबका कल्याण करें यही हमारी प्रार्थना है।