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बांग्लादेश में आरक्षण पर क्यों मचा कोहराम? हिंसा भड़कने से सैकड़ों लोग घायल


बांग्लादेश में फंसे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए BSF मसीहा बनी हैं। जिनकी मदद से अबतक 1 हजार भारतीय छात्र वापस लौटे हैं।


Bangladesh Protest: बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में यहां की आरक्षण व्यवस्था है। बांग्लादेश में हिंसा भड़कने के कुछ दिन बाद आज यानि कि शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया। सेना के जवानों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की, राजधानी ढाका के अलग-अलग हिस्सों में गश्त की जा रही है। बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से कई लोगों की मौत हुई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।

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मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए BSF बने मसीहा

ऐसे में बांग्लादेश में फंसे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए BSF मसीहा बनी हैं। जिनकी मदद से अबतक 1 हजार भारतीय छात्र वापस लौटे हैं। क्योंकि बांग्लादेश में इन दिनों हालात सामान्य नहीं हैं, वहीं सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने की मांग को लेकर छात्र हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में हालात को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू किया गया है। जिसके बाद करीब 1,000 भारतीय छात्र बांग्लादेश से वापस लौटे हैं। बता दें कि हिंसक झड़पों में अभी तक 115 से अधिक लोग मारे गए हैं।

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IG BSF ने कॉमिला में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) के क्षेत्र कमांडर से कॉन्टेक्ट किया और दोनों सीमा सुरक्षाबलों के बीच चैनल एक्टिव किए गए। इसके बाद एक सुनियोजित ऑपरेशन में BSF और BGB ने मिलकर काम किया। BGB ने BOP अखुरा के पास बॉर्डर तक स्टूडेंट्स के सुरक्षित मार्ग का ध्यान रखा और उसके बाद BSF ने इन छात्रों की देखभाल की। बॉर्डर पर इन छात्रों को खाना उपलब्ध कराया गया, इसके बाद BSF की गाड़ियों से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।

जानें क्यों हो रहा विरोध

बतादें कि बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में यहां की आरक्षण व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान है। इसी आरक्षण के विरोध में इस वक्त बांग्लादेश में प्रदर्शन हो रहे हैं।

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वहीं भड़की हिंसा में पड़ोसी देश बांग्लादेश हिंसा की आग में झुलस रहे है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देशभर में उग्र रूप ले चुका है। जिसका नतीजा यह निकला कि 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। वहीं प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए राजधानी ढाका में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। वहीं ढाका यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक के लिए बंद किया गया है।

जानें सरकार का क्या रुख है?

वहीं भड़की हिस्सा को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा- युद्ध में अपने योगदान के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनका राजनीतिक जुड़ाव कुछ भी हो। उनकी सरकार ने मुख्य विपक्षी दलों, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

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जानें क्या है छात्रों की मांग

बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानी यानी मुक्ति योद्धा के बच्चों को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाता है जिसे घटाकर 10 फीसदी करने की मांग की जा रही है। योग्य उम्मीदवार नहीं मिले तो मेरिट लिस्ट से भर्ती हो। सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान परीक्षा होनी चाहिए। सभी उम्मीदवारों के लिए उम्र सीमा एक समान हो। एक बार से ज्यादा आरक्षण का इस्तेमाल न किया जाए।

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कर्फ्यू के बाद भी कोहराम

बांग्लादेश की सड़कों पर सेना और कर्फ्यू के आदेश के बाद भी सड़कों पर कोहराम है। सेना की गाड़ियां बांग्लादेश की गलियों में दौड़ रही है, हालात को काबू करने की कोशिश कर रही है। जमीन से लेकर आसमान तक निगरानी की जा रही है। हेलिकॉप्टर से सेना के जवान उपद्रवियों पर नजर रख रहे हैं।

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हिंसा के बीच पलायन

हिंसा प्रभावित बांग्लादेश से 360 से अधिक भारतीय, नेपाली, भूटानी नागरिक मेघालय पहुंचे है। जिससे राज्य में शरण लेने वालों की संख्या 670 से अधिक हो गई है। गृह विभाग एक अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 363 लोग दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये मेघालय पहुंचे, जिनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक शामिल है।

मोबाइल और इंटरनेट पर बैन

राजधानी ढाका और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पें होने के बाद अधिकारियों ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी है। कुछ टेलीविजन समाचार चैनलों में भी कामकाज बंद हो गया। अधिकांश बांग्लादेशी समाचार पत्रों की वेबसाइट नहीं खुल रही हैं।

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