Gyanvapi Case : हिंदू पक्ष का इंतजार हुआ पूरा, 31 साल बाद मिली पूजा करने के इजाजत
ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत मिल गई है...
Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस के जिस फैसले का हिन्दू पक्ष को काफी लम्बे समय से इंतजार था, उस पर आज फैसला आ गया है, बतादे कि बुधवार को वाराणसी की अदालत से एक बड़ा फैसला आया है। इस फैसले के अनुसार ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत मिल गई है।
वहीं कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर व्यवस्था करने को कहा है ताकि हिंदू वहां पूजा कर सकें। वहीं ज्ञानवापी मामले को लेकर बताया जाता है कि तहखाने की पूजा करने पर 1993 से रोक लगी हुई थी, जिस पर फैसला कोर्ट ने सुना कर 1993 में लगी रोक को अब हटा दिया है। व्यास तहखाना मस्जिद के नीचे है, मगर रोक हट जाने के बाद तहखाना में अब नियमित पूजा अर्चना की जाएगी।
जानें क्या बोले- हिन्दू पक्ष के वकील...
कोर्ट के फैसले को लेकर हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया - जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है, उन्होंने आगे बताया कि प्रशासन सात दिन के अंदर पूजा-पाठ कराने की व्यवस्था करेगा, पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा।
वहीं मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा करने संबंधी आवेदन पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी।
जानें सर्च में क्या निकला
- ज्ञानवापी के अंदर है तहखाना
- नंदी भगवान के ठीक सामने है तहखाना
- ज्ञानवापी के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद है
- 1993 तक यहां होती थी पूजा
- नवंबर 1993 में पूजा पर रोक लगी
- पूजा बंद होने के बाद पुजारियों को हटाया गया था
जानें क्यों बंद हुआ व्यासजी का तहखाना
ज्ञानवापी स्थित नंदी के मुख के सामने दक्षिणी दीवार के पास मौजूद तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इसी व्यास पीठ से मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिये पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था।
इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी करा दी गई थी। दिसंबर 1993 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के तत्कालीन पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए पूजा-पाठ पर रोक लगा दी, और व्यासजी के तहखाने में भी ताला लगा दिया था।
आपको बतादे कि वर्ष 1996 में दायर आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वाद में नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तहखाने के एक ताले की दो चाबी का जिक्र किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी के ताला खोलने से मना करने के बाद व्यास पीठ के पंडित सोमनाथ व्यास ने एक चाबी से ताला खोला था।
इसके बाद ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला था। वहीं हिंदू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था, पूजा होने के बाद पुजारियों को हटा दिया गया था।