Hit And Run: जानें हिट एंड रन और उसका नियम, क्यों सड़क पर उतरा बवाल...
हिड एंड रन के नए नियम आने के बाद से ड्राइवरों में इस बात का डर है कि यह उनके खिलाफ बनाया गया है। यदि नए नियम के अनुसार वो घायल की मदद करने जाते हैं ऐसे में उन्हें भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। वहीं ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का दावा है कि संशोधन से पहले जिम्मेदार व्यक्तियों से सुझाव नहीं लिए गए। इसके साथ ही अमृतलाल मदान ने यह भी कहा- देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है।
Lucknow: पूरे देश में हिट एंड रन का माबला बहुत ही जोर-शोर से चल रहा है, जिसको लेकर अब बवाल रोड पर उतर आया है वहीं मामले को लेकर पुलिस द्वारा किये जा रहे प्रयास भी काम नहीं आ रहा है। मगर हिट एंड रन का मतलब क्या है इसके बारें में क्या आप पूरी डिटेल से जानते हैं। अगर नहीं तो आइये जानते है इस पूरे मामले की जानकारी... आपको बतादें कि हिट एंड रन का मतलब है कि तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर घटना को अंजाम देने के बाद भाग जाना। जिसको लेकर भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है जिसमें ड्राइवर की लापरवाही से पीड़ित की मौत होने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।
हिट एंड रन में आया नया कानून
आपको बतादें कि केंद्र सरकार के द्वारा नया कानून हिट एंड रन के मामले में लाया गया है वहीं आए इस नए कानून पर देशभर में बवाल खड़ा हो गया हैं। हाल ही में हिट एंड रन कानून में किए गए संशोधन का देशभर में चक्काजाम कर विरोध हो रहा है। यह विरोध मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में ट्रक ड्राइवरों के हड़ताल के चलते हो रहा जिस कारण देशभर में हाहाकार मचा हुआ है। वहीं इस हड़ताल के चलते ट्रांसपोर्ट पर रोक लगने के कारण पेट्रोल और डीजल सही जगह पर नहीं पहुंच पा रहा है, और इसकी कमी के चलते पट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखा जा रहा है। इस बीच, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने मंगलवार को दिल्ली में बैठक बुलाने का निर्णय लिया है जिसमें हड़ताल के बारे में फैसला लिया जा सकता है।
हिट एन्ड रन होता क्या है?
इन सब मामले से पहले यह जानते है कि हिट एंड रन होता क्या है। आपको बतादें कि हिट एंड रन का मामला सड़क दुर्घटना से जुड़ा होता हैं। हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर घटना को अंजाम देकर भाग जाना। ऐसे में सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव के कारण दोषियों को पकड़ना और सजा देना बहुत मुश्किल हो जाता है।
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जानें क्या है नया नियम
हाल ही में हिट एंड रन को लेकर नया नियम आया है जिस नियम को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। यह नियम संसद से पारित तीन नए कानून का हिस्सा है। दरअसल, आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है। यह धारा लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करती है। केंद्र सरकार द्वारा सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए 'हिट एंड रन' कानून में बदलाव किया जा रहा है। ड्राइवर इस कानून को लाने का विरोध कर रहे हैं। दरअसल, इंडियन पीनल कोड, 2023 में हुए संशोधन के बाद एक्सीडेंट होने पर ड्राइवर को 10 साल की सजा और 7 लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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इस संशोधन का ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने भी विरोध किया है। एआईएमटीसी के अध्यक्ष अमृतलाल मदान ने कहा- "यह नियम आने के बाद भारी वाहन चालक अपनी नौकरियां छोड़ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में एक्सीडेंट में दोषी वाहन चालकों को 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो कि हमारे परिवहन उद्योग को खतरे में डाल रहा है।" उन्होंने कहा कि "भारत की सड़क परिवहन बिरादरी भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत हिट एंड रन के मामलों पर प्रस्तावित कानून के तहत कठोर प्रावधानों के संबंध में सहमति नहीं जताती है।"
जानें विवाद पर सरकार का रुख ?
आपको बतादें कि हाल ही में संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि सरकार ने उन लोगों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है जो सड़क दुर्घटना करने के बाद मौके से भाग जाते हैं और पीड़ितों को मरने के लिए छोड़ देते हैं। इसके साथ ही गृह मंत्री ने यह भी कहा- उन लोगों के लिए कुछ उदारता दिखाई जाएगी जो खुद से पुलिस को सूचित करेंगे और घायलों को अस्पताल ले जाएंगे। हालांकि, भारतीय दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
आखिर क्यों बना नया नियम ?
हिट एंड रन के मामलों में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अपराध स्थल पर अपराधी के खिलाफ किसी भी प्रत्यक्ष सबूत का अभाव होता है। इस वजह से पुलिस अधिकारियों के लिए जांच को आगे बढ़ाना और अपराधी को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है। इनमें से ज्यादातर अपराधी भाग जाते हैं और शायद ही कभी पकड़ा जाते हों। दूसरी समस्या यह है कि जिन गवाहों पर जांच निर्भर करती है वे भी मदद करने से कतराते हैं क्योंकि वो किसी भी तरह के कानूनी मसले में फंसना नहीं चाहते हैं।
आखिर विरोध में क्यों उतरे ड्राइवर...
हिड एंड रन के नए नियम आने के बाद से ड्राइवरों में इस बात का डर है कि यह उनके खिलाफ बनाया गया है। यदि नए नियम के अनुसार वो घायल की मदद करने जाते हैं ऐसे में उन्हें भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। वहीं ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का दावा है कि संशोधन से पहले जिम्मेदार व्यक्तियों से सुझाव नहीं लिए गए। इसके साथ ही अमृतलाल मदान ने यह भी कहा- देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है।
नए नियम पर एआईएमटीसी की राय
एआईएमटीसी के अनुसार, कानून में संशोधन से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए, प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। अमृतलाल मदान ने बताया कि देशभर में पहले से ही 25-30 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी है,तरह के कानून से ड्राइवरों की और कमी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि ड्राइवरों की परेशानी की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोटर्स और ड्राइवरों का है। दुर्घटनास्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है, लेकिन आसपास जमा भीड़ से बचने के लिए ऐसा करना पड़ता है।
एआईएमटीसी मध्य प्रदेश शाखा के प्रमुख राकेश तिवारी ने कहा,- "हमने राष्ट्रीय स्तर के निकाय को अपना समर्थन दिया है। देश में लगभग 95 लाख ट्रकों में से राज्य में लगभग 5 लाख ट्रक हैं जो करोड़ों लोगों के लिए रोजगार पैदा करते हैं। इस तरह का एकतरफा और बिना सोचे-समझे प्रावधान उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहा कि एआईएमटीसी अगले एक सप्ताह में देशभर में नए प्रावधान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अपनी आगे की रणनीति तय करेगी।