ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: 12 भाव में नौ ग्रहों का प्रथम भाव का फल
आज का विषय है ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि पिछले सप्ताह में सूर्यादि ग्रहों का रोग से संबंध जाना। वहीं आज का विषय है कुंडली के 12 भाव में प्रथम भाव उसमें नौ ग्रहों का होना क्या फल देता है.
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि पिछले सप्ताह में सूर्यादि ग्रहों का रोग से संबंध जाना। वहीं आज का विषय है कुंडली के 12 भाव में प्रथम भाव उसमें नौ ग्रहों का होना क्या फल देता है।
12 भाव में नौ ग्रहों का प्रथम भाव
प्रथम भाव में सूर्य
प्रथम भाव में अगर सूर्य होता है तो जातक मजबूत नैतिक आचरण वाला होता हैं। सामाजिक काम में बढ़कर हिस्सा लेना शासन प्रशासन राजनीति में सफलता हासिल करता है। घर या समाज का मुखिया होता है।
प्रथम भाव में चंद्रमा
प्रथम भाव में अगर चंद्रमा हो तो अपने घर या मित्र के घर में आत्म बल संपन्न मन को लगाकर काम करने से सफलता प्राप्त करता है। वही अगर नीच राशि या शत्रु राशि का हो तो मनो रोगी, नकारात्मक प्रभाव, नर्वस सिस्टम का रोगी होता है।
प्रथम भाव में मंगल
प्रथम भाव में अगर मंगल हो अपने घर या मित्र के घर तो भूमि वाहन संबंधी सुख भोगता है। नीच राशि या शत्रु राशि में हो तो दाम्पत्य जीवन में तनाव चोट आदि अग्नि से भय होता है।
प्रथम भाव में बुध
प्रथम भाव में अगर बुध ग्रह हो तो परिवार की प्रगति होगी, शत्रु वर्ग को सुलह से मित्र बनाने में निपुण होता है, बौद्धिक कम गणित प्रोफेसर वर्ग के लोग सफलता प्राप्त करते हैं।
प्रथम भाव में गुरु
प्रथम भाव में अगर गुरु कारकों भाव नशाया स्थान हानि करो, जीव गुरु जहां बैठता वहां का फल में कमी होती हैं। जहां देखता वहां अमृत बरसाता है, गुरु की दृष्टि 1 5 7 9 होती है।
प्रथम भाव में शुक्र
प्रथम भाव में अगर शुक्र ग्रह उच्च का या मित्र का हो तो राजयोग कारक रहेगा। सभी सुख को प्रदान करके फॉरेन का सुख देता है, अगर नीच का हो तो सभी सुख में बाधा उत्पन्न करेगा।
प्रथम भाव में शनि
प्रथम भाव में अगर शनि स्वग्रही या मित्र गृही या उच्च का हैं तो शासन करता हैं, राजा बनता, न्याय संगत काम करता, कर्म का फल देने में न्यायकारी होता है। कठिन से कठिन दण्ड भी देता है।
प्रथम भाव में राहु
प्रथम भाव में अगर राहु और केतु जो छाया ग्रह है बलवान होने पर यह जिसके घर में बैठते या जिसके साथ बैठते हैं। उन्हीं का प्रभाव खींच कर अपना लेते उनको अपने अनुसार फल देते हैं।