ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: आत्म छवि विचार क्रांति से करें अपना निर्माण
आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान का विषय है आत्म छवि विचार क्रांति से अपना निर्माण कैसे होता है।
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान का विषय है आत्म छवि विचार क्रांति से अपना निर्माण कैसे होता है।
कहानी से सीखे अपना निर्माण कैसे करें
एक राजा के पास एक बुद्धिमान व्यक्ति गया काम के तलाश में कहा हम बुद्धिमान हैं हमको काम चाहिए राजा ने उसको अपने अस्तबल में रख लिया घोड़ों की देख भाल के लिए कुछ दिन के बाद बुद्धिमान ने राजा से कहा राजन सफेद रंग का घोड़ा जो आप पसंद करते है उसकी नस्ल ठीक नहीं है।
राजा ने जिससे घोड़ा लाया था वहां पता लगाया उसके नस्ल का पता चला जब घोड़ा पैदा हुआ उसकी मां की मृत्यु हो गई थी वह बताया बचपन में घोड़े को गाय का दूध पिला कर जिंदा रखा गया था, इसलिए उसके नस्ल में गाय का अंश हैं।
राजा ने बुद्धिमान से पूछा तुम बहुत काबिल हो बताओ कैसे पता लगाया नस्ल का बुद्धिमान ने कहा- महाराज जब घोड़ा खाना खाता था तब अपना मुंह नीचे करके खाता था गाय के तरह क्यों की घोड़ा हमेशा सावधान होकर रहता है। कुछ दिन बाद राजा ने बुद्धिमान से पूछा बताओ रानी का नस्ल क्या है, बुद्धिमान ने कहा महाराज मांफ करना रानी का नस्ल ठीक नहीं है।
राजा ने अपने सासु माँ से पूछा असलियत क्या है सासु माँ ने कहा- महाराज हमारे पति और आप के पिता दोनों मित्र थे आप के जन्म के बाद हमारे घर कन्या का जन्म हुआ, दोनों मित्रों ने कहा यह पुत्र पुत्री का विवाह हम लोग करेंगे। कुछ दिन बीता कन्या का देहांत हो गया हमने रिश्ता रखने के लिए दासी के कन्या को गोद लिया अपनी पुत्री बनाकर उसका विवाह आप के साथ किया जो आज रानी बनी हुई हैं।
राजा ने बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा बताओ तुमने किस तरह पता लगाया, बुद्धिमान ने कहा- महाराज माफ करना रानी हमेशा नौकरानी से उनके बच्चों से बातचीत करती रहती है उनको रानी होने का गरिमा नहीं हैं। कुछ दिन बीता राजा ने बुद्धिमान से अपने नस्ल के बारे में पूछा बुद्धिमान ने कहा- महाराज माफ करना आप का नस्ल ठीक नहीं हैं।
राजा चिन्ता में पड़ गया अपनी राजमाता से पूछा बताओ सही क्या है राज माता ने कहा महाराज क्षमा करना बहुत दिन बीत गए हमारे कोई संतान नहीं हुई राज पाट कौन देखेगा इसकी चिन्ता सता रही थी। हमने भेड़ पालने वाले से बच्चा गोद लिया राजमहल में रखा पालन किया राजकुमार की तरह विवाह किया आज राजा बनकर राज पाट देख रहे हो।
राजा ने बुद्धिमान से पूछा बताओ तुमको कैसे पता चला बुद्धिमान ने कहा- महाराज क्षमा करना आप जब सिंहासन पर बैठते है इनाम देते है तो इनाम में आप भेड़ बकरी देते है। राजा लोग जब इनाम देते है तो मोती हीरा असर्फी देते है,भेड़ बकरी नहीं देते हैं।
निष्कर्ष:- मित्रो यह कहानी बताती है मनुष्य जैसे अपनी संगत सोच रखता है उसकी आत्म छवि विचार उसी तरह काम करती है और वह उसी तरह जीवन जीता है,वह अपना भाग्य उसी तरह लिखता है वैसे वह बन जाता है। गोस्वामी जी ने कहा- “जो विचार करही मन माही राम कृपा कछु दुर्लभ नाही”
गुरुदेव ने कहा- “मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है” वह अपनी सोच संगत के आधार पर जीवन जीता है, सोच बदलो जीवन बदल जाएगा।