ज्योतिष-धर्म

ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में आठवां स्थान मार्केश का.. लोग क्यों डरते है

ज्योतिष  ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है आठवां स्थान मार्केश का होता है रिसर्च का होता है, जहां जाने से लोग डरते है क्यों डरते है आइये जानें…

ज्योतिष ज्ञान में सीखे साप्ताहिक वृद्धि में पिछले सप्ताह में देखा सातवें भाव का मालिक सभी भावों में क्या देता है। वहीं आज का विषय है आठवां स्थान मार्केश का होता है, रिसर्च का होता है, जहां जाने से लोग डरते है, क्यों डरते है, जाने…

The Voice Of Hind- ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में आठवां स्थान मार्केश का.. लोग क्यों डरते है

आठवां स्थान मार्केश का होता है, लोग क्यों डरते है

आठवां स्थान नवा से बारहवां है नवा भाव धर्म का होता है उसका उलटा अथवा भाव अधर्म का होता है जहां जाना अपने धर्म के खिलाफ है। गीता में इसी बात को कृष्ण ने अर्जुन से कहा मनुष्य को स्वधर्म में मर जाना सद्गति है अगर जीत गए तो राज्य का भोग मिलेगा दोनों तरफ से लाभ है लेकिन अर्जुन संशय में था। इसी तरह जब लोग संशय में हो जाते है तब गुरु ज्योतिषी के पास जाते है। आज का विषय संशय का भ्रम मिटाना है।

कष्ट का निदान मनुष्य के अपने कर्म में है उसको सुधारना मनुष्य को बदलना पड़ता है स्वधर्म का पालन करना ही उसका निदान हैं। जानें अष्टम भाव का मालिक मृत्यु का होता है जब लग्न में जाता है जो कि लग्न स्वयं मनुष्य होता तो यह दुख दाई होता है जहां कष्ट मिलता हैं। तब उसे भगवान या ज्योतिषी दिखते हैं। ऐसे में जातक अगर सही जगह पर जाता है तो उसका समाधान होता नहीं तो ठगा जाता हैं, जाने उसका स्वधर्म क्या है।

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कुंडली में आठवां स्थान

  • अष्टमेश तर्क का सर्च का भाव होता हैं। ज्ञान के द्वारा जो सर्च करता है, धर्म परायण होकर जीवन जीता है तो जीवन सुखमय होता है।
  • अष्टमेश अगर द्वितीय भाव में है तो यह घर धन का होता है, मृत्यु का मालिक धन भाव में उसका धन रोग की दवाई में खर्च होता हैं।
  • अष्टमेश अगर तृतीय भाव में होता है तो जहां भाई बहन का घर होता हैं। परिवार का बिखराव करता हैं।
  • अष्टमेश अगर चतुर्थ भाव में हो तो जो घर सुख का होता हैं, माता का होता माता को कष्ट देता हैं, सुख में बाधा उत्पन्न करता हैं।
  • अष्टमेश अगर पंचम भाव में है तो जो घर पुत्र का होता है, बुद्धि का होता हैं, वहां मानसिक कष्ट देता रोग देता है।
  • अष्टमेश अगर छठे भाव में है तो जहां रोग शत्रु का मुकदमा में धन खर्चा होता है।
  • अष्टमेश अगर सप्तम भाव में है तो सप्तम भाव पत्नी का होता हैं। पत्नी को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।
  • अष्टमेश अगर अष्टम भाव में है जो अपना घर होता स्वग्रही गृह अपने घर की हानि नहीं करता दीर्घजीवी बनाता हैं
  • अष्टमेश अगर नवा भाव में होता है तो नवा घर धर्म भाव में धर्म परायण होकर जीवन जीना जो सुखमय होता है।
  • अष्टमेश अगर दशम भाव कर्म भाव में होता है तो रोग का निदान करता हैं, डाक्टर लोग भगवान का स्वरूप होते हैं।
  • अष्टमेश अगर एकादश भाव में होता है तो जहां से आय होती अस्पताल से मेडिकल स्टोर से धन कमाता हैं।
  • अष्टमेश अगर द्वादश भाव में होता है जो खर्चा का भाव  होता। रोग में धन का खर्चा होगा।
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NOTE:-

यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…

हमारा प्रयास है समाज में जो विद्या लुप्त होती जा रही है, उसको भ्रमित किया जा रहा है अल्प ज्ञानी उसका दुरुपयोग कर रहे है। उन तक ज्ञान का विस्तार पहुंचे, ज्योतिष संबंधी जानकारी जो हर हफ्ते दिया जाता है उसे सीखना चाहते है तो राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ से संपर्क करें, बाकी ज्योतिष से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए भी संपर्क करें।

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