ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: व्यक्ति निर्माण से लेकर समाज निर्माण तक ज्योतिष का महत्व
आज का विषय है ज्योतिष में व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, और समाज निर्माण कैसे करें। इस विषय को लेकर महर्षि पराशर ने बताया ज्योतिष में और हमारे गुरु ने बताया
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान का विषय है, व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण, कैसे करें।
आज का विषय है ज्योतिष में व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, और समाज निर्माण कैसे करें। इस विषय को लेकर महर्षि पराशर ने बताया ज्योतिष में और हमारे गुरु ने बताया विचार क्रांति से...
ज्योतिष ज्ञान
मित्रो बहुत ही मजेदार विषय है ज्योतिष ज्ञान काल पुरुष के बारह भाव होते है।
- प्रथम भाव होता है लग्न, जिससे शरीर का निर्माण होता हैं। उसका बल देखा जाता हैं।
- दूसरा भाव होता है धन का जिससे संपदा देखा जाता है।
- तीसरा भाव होता है परिवार का जिसमें भाई बहन देखा जाता है।
तो आइए जाने इसे यह कैसे होता हैं...
प्रथम भाव में लग्न कौन सा है? उसका मालिक कौन ग्रह है? वह कितने अंश का है? वह उच्च का है या नीच का है? उसका पावर क्या है? उसको कौन-कौन ग्रह देख रहे है? वह किस भाव से किस दृष्टि से देखे रहे है? उनका कार्य क्या है? यह सब देखने के बाद लग्न के बारे में जाना जाता है।
यह जातक का शरीर कैसा होगा? उसका रंग कैसा होगा? वह किस नक्षत्र में पैदा हुआ? वह नक्षत्र किस तत्व में है? उसी तत्व का असर बालक पर पड़ेगा वह स्वस्थ्य होगा या रोगी होगा रोग होगा तो कौन सा ग्रह रोग दे रहा है, कब दे रहा है, उसका निदान क्या है, यह सब ज्योतिष हमें बताती है। मगर जानकर ज्योतिषी ही रोग होने से पहले जान लेते है वहीं जबकि डाक्टर जांच के बाद रोग जानते यह सब आयुर्वेद चिकित्सा में जाना जाता है। फिलहाल ज्योतिष और आयुर्वेद चिकित्सा एक ही विषय में आता है।
दूसरा भाव धन का है? व्यक्ति के पास कितना धन होगा यह दूसरा भाव हमें बताता है, वह घर किस ग्रह है? उसका मालिक कौन है? उस पर दृष्टि किस की है? वह उच्च का है? उस पर कोई पाप दृष्टि तो नहीं है? उसमें योग कौन सा बन रहा है? उसके प्रारब्ध क्या है? उसका कर्म क्या है? उससे उसके पास धन संपदा होती है? यह हमें ज्योतिष सिखाती है?
तीसरा भाव परिवार का होता है, इसमें भाई बहन कितने है? उनका क्या सहयोग है? वह क्या करेंगे? किस-किस ग्रह का प्रभाव है? उस आधार से देखा जाता है।
परिवार का निर्माण और समाज निर्माण
परिवार का निर्माण अब आता है, समाज का निर्माण यह हमें पाँचवाँ भाव सिखाता है, वहीं इस ज्ञान को लेकर महर्षि पराशर जी फल दीपिका नामक ग्रंथ में लिखते है। यह भाव हमें विद्या, बुद्धि, शिक्षा, संतान की जानकारी देता है, ठीक उसी प्रकार हमारी शिक्षा, हमारी संगत, हमारी सोच, के आधार पर हमारा कर्म होता है।
हम कौन से मनुष्य है नर पशु या नर पिशाच या नर मनुष्य है। उसमें अलग-अलग हमारे संगति होती हैं। कर्म होते है यह हमारा प्रारब्ध है। उसमें नर मनुष्य ही अपनी संगति सोच विचार बदल कर अपने जीवन में क्रांति लाता है। नर नारायण का जीवन जीता है गुरुदेव ने कहा यही विचार क्रांति है जो मनुष्य खुद को बदलेगा वही परिवार को समाज को बदलेगा।
कृष्ण ने गीता में दिया संदेश
यही बात भगवान कृष्ण ने गीता में कही मनुष्य खुद को बदलेगा, उसकी संगति बदलेगी, उसका कर्म बदलेगा, तब उसको कर्म के फल की प्राप्ति होगी। कहा जाता है कि ज्योतिष हमारे प्रारब्ध को बताती है, हमारे कर्म को बताती है, हमारा बदलाव होगा की नहीं उसी पर जानकर ज्योतिषी फला देश करता है।