कलम बनीं मासूम पीड़ितों की आवाज, अखबार के पन्नों ने खोले अजमेर गैंगरेप के राज
आइये जानते इस दिल दहला देने वाले सेक्स स्कैंडल की पूरी कहानी जिसने कई लोगों के जीवन को तबाह कर दिया था।
Ajmer Gang Rape: अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड का वह हिस्सा जिसे आज भी पढ़ने वाले और मामले को जानने वालों की रूह कपां दी हैं। वहीं आज 20 अगस्त 2024 को 32 साल बाद स्पेशल पॉक्सों कोर्ट ने अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड में विलिप्त 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं। आपको बताते चले कि इस केस में कुल 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी थी। तो आइये जानते इस दिल दहला देने वाले सेक्स स्कैंडल की पूरी कहानी जिसने कई लोगों के जीवन को तबाह कर दिया था।
आखिर क्यों अपराधियों को लेट मिली सजा
बतादें कि यह पूरा रेप कांड का मामला राजस्थान के अजमेर का है जहां पर सन् 1990 से 1992 तक कुछ ऐसा कांड हुआ जिसे आज भी जानने वालों के दिल रोश से भर से जाते हैं। इन दो सालों में अजमेर की 100 से अधिक स्कूली बच्चियों के साथ गैंगरेप किया गया। मगर आज अफसोस इस बात का होता है कि इस घिनौनी कर्मों की सजा अपराधियों की पूरी जवानी बीत जाने के बाद 32 वर्षों के बाद उम्र कैद की सजा सुनाई गई हैं इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि इतनी लेट में सुनाई गई सजा क्या उन पीड़ितों के लिए न्याय है। आज आप भी जानेंगे उस जमाने का सेक्स स्कैंडल केस के बारें में जिस जमाने में कोई ऑनलाइन सुविधा भी नहीं थी फिर भी 100 से ज्यादा स्कूली बच्चियों के साथ घिनौनी हरकते की गई जिसका न्याय आज 32 साल के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाने के बाद मिला हैं।
जानें कितने आरोपी है मामले में है शामिल
आपको बताते चले कि इस गैंगरेप और ब्लैकमेल कांड में कुल 18 आरोपी थे जिसमें से पहले ही 9 आरोपियों को सजा सुनाई गई थी, वहीं मिली जानकारी की मानें तो एक आरोपी पहले से ही किसी दूसरे केस के मामले में जेल में बंद है वहीं एक आरोपी ने सुसाइड भी कर लिया है इसके साथ ही आरोपी फरार भी हैं। वहीं बात करें आज की तो स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आज 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं। अजमेर पॉक्सो कोर्ट ने 6 आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में दोषी नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, नफीस चिश्ती, सोहिल गनी, सैयद जमीर हुसैन और इकबाल भाटी को 30 लाख रुपए जुर्माना भी देना होगा।
जानें गैंगरेप की पूरी कहानी
यह दिल दहला देने वाला घिनौना मामला राजस्थान के अजमेर शहर का है जहां के मशहूर कॉलेज में एक मेयो कॉलेज की लड़कियों के साथ सन् 1990 से 1992 के इन दो वर्षों के दौरान 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ ब्लैकमेल कांड हुआ था, जिसे अंजाम कुछ रईसजादों ने दिया था। इसकी शुरुआत एक बिजनेसमैन के बेटे को दोस्त बनाकर उससे कुकर्म से हुई। कुकर्म की आड़ में दोस्त की गर्लफ्रेंड को पहला शिकार बनाया गया जिसके लिए फायसागर स्थित फरुख चिश्ती के पॉल्ट्री फॉर्महाउस पर बुलाया। वहां पहले लड़की का रेप किया गया और फिर उसके फोटो खींची गई।
वहीं जांच के दौरान पता चला कि ये आरोपी जिस लैब में इन लड़कियों की फोटो तैयार करवाते थे, वहां से ये न्यूड तस्वीरें शहर में और लोगों को हाथों लग गईं और उन लोगों ने भी इन तस्वीरों की बदौलत लड़कियों को ब्लैकमेल किया और उनके साथ रेप किया। आपको जानकर हैरानी होगी की इन सभी लड़कियों की उम्र महज 17 से 20 साल के बीच की थी। वहीं जब उन पीड़ित लड़कियों की न्यूड तस्वीरें शहर में बंटने लगी तो कई पीड़ित इस बदनामी की सह नहीं पाई और उनमें से 6 ने आत्महत्या कर ली वहीं कई परिवार ऐसे भी थी जिन्हें बदनामी और शर्मनाक हरकत के बदा शहर तक छोड़ना पड़ा था जो आज भी गुमनाम की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई संभ्रांत परिवारों की लड़कियां यानी बड़े बड़े अफसरों, नेताओं और व्यापारियों की बेटियां इस सेक्स कांड का शिकार बनीं थी।
कलम ने खोली मासूम पीड़ितों के राज
बताते चले उन दिनों अदजमेर शहर में नवज्योति दैनिक अखबार चलता था जिसके कलम की नोक ने अखबार के कागज में सभी दरिंदगी के राज खोल दिये हैं। बात उन दिनों की है जब मई 1992 की एक सुबह अखबार के पन्नों में खबर छपी मिली जिसकी टॉप लाइन थी 'बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेलिंग का शिकार'जिसको युवा रिपोर्टर संतोष गुप्ता ने लिखा था। वहीं अखबार में खबर छपते ही पूरे शहर में मानों की हंगामा ही मच गया हो। वहीं दिन बढ़ने के साथ ही यह दरिंदगी भरी खबर की जानकारी राजस्थान के मुख्यमंत्री तक पहुंच गई। उस समय राज्य में बीजेपी की सरकार थी और भैरोंसिंह शेखावत वहां के मुख्यमंत्री थे।
वहीं मामले के उजागर होते है कि उस समय मौजूदा बीजेपी के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने मामले की गंभीरता को लेते हुए पुलिस पर सख्त निर्देश दिए की किसी भी हालात में आरोपी बचने ना पाएं उन पर सख्त एक्शन लिए जाएं। वहीं मामले को लेकर पुलिस की लापरवाही के चलते कार्रवाई में देरी हुई इसका अंजाम निकला कि आरोपी गुनाह के हर सबूत को मिटाने के इंतजाम में लगे हुए थे। वहीं अखबार में छपी खबरों को भी 15 दिन के करीब हो चुके थे जिसका फायदा आरोपियों को मिलने लगा था।
जनता सड़कों पर उतरी आक्रोश के साथ
ऐसे में एक्शन के लेट होने पर संतोष गुप्ता हर दिन अख़बार के पन्नों पर केस से जूड़े सभी राज लिखने शुरू कर दिए वहीं दूसरी खबर के साथ रिपोर्टर ने आरोपियों की तस्वीरें भी छाप दी। जिसकी हेड लाइन पर लिखा- ‘छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाले आजाद कैसे रहे गए?’। जिसका अंजाम हुआ कि लोगों में आक्रोश सांतवें आसमान पर पहुंच गया।
संतोष गुप्ता की तीसरी खबर जब छापी जिसकी हेडलाइन लिखी गई- ‘सीआईडी ने 5 माह पहले ही दे दी थी सूचना!’ और चौथी खबर छापी ‘डेढ़ महीने पहले ही ये तस्वीरें देख लिया था’। जिसका अंजाम निकला कि भड़के लोग सड़कों पर उतर आए जिसके चलते अजमेर बंद का ऐलान किया गया। इसके साथ ही विश्वहिंदू परिषद, शिवसेना, बजरंग दल जैसे संगठनों ने पूरे शहर में बवाल काट दिया। उधर अजमेर जिला बार एसोसिएशन के वकील भी लड़कियों को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आ गए। जिसका न्याय आज 32 साल के बाद आरोपियों को उम्रकैद की सजा के तौर पर मिला। बताते चले कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए 30 लड़कियों ने हिम्मत दिखाई।
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