TheVoiceOfHind

जानें विवाह में कुण्डली मिलान क्यों है जरूरी...


ज्योतिषशास्त्र में विवाह के मिलान के लिए कुल 36 गुण के बारे में बताया गया है यदि 18 गुण मिल जाते हैं तो वह शादी तय हो जाती अन्यथा वह शादी नहीं की जाती दोनों का वैवाहिक जीवन सुख में व्यतीत हो इसके लिए तीन स्तरों पर कुंडली का मिलान किया जाता है नक्षत्र के आधार पर, ग्रहों के आधार पर और कुंडली में बनने वाले शुभ अशुभ योग के आधार पर।


वैवाहिक कुंडली ज्योतिष : हमने हमेशा कुंडली के बारे में सुना है क्या हम वैवाहिक कुंडली के बारे में जानते हैं। चलिए इस लेख में हम वैवाहिक कुंडली के बारे में जानेंगे और कुंडली किस तरह मिलाई जाती है इसके बारे में भी... विवाह ऐसा बंधन है जो दो लोगों को,नउनके परिवारों को आपस में जोड़ता है हिंदू धर्म में विवाह तय होने से पूर्व वर अथवा वधू की कुंडली का मिलान किया जाता है।

wakt ki awaz

इसमें दोनों ही पक्षों की कुंडली में 18 गुण का मिलना जरूरी होता है, उस आधार पर तय होता है कि विवाह हो सकता है या नहीं। लोग केवल गुण और मंगली मिलन को ही संपूर्ण कुंडली का मिलन समझते हैं और विवाह तय कर देते हैं यदि वैवाहिक जीवन सुख में व्यतीत हुआ तो बढ़िया यदि वैवाहिक जीवन में दिक्कते हुई तो लोग कहते हैं कुंडली तो मिलाई थी फिर भी बेटी दुखी क्यों ?  

विवाह में कुण्डली का मिलान क्यों है जरूरी

wakt ki awaz

ज्योतिषशास्त्र में विवाह के मिलान के लिए कुल 36 गुण के बारे में बताया गया है यदि 18 गुण मिल जाते हैं तो वह शादी तय हो जाती अन्यथा वह शादी नहीं की जाती दोनों का वैवाहिक जीवन सुख में व्यतीत हो इसके लिए तीन स्तरों पर कुंडली का मिलान किया जाता है नक्षत्र के आधार पर, ग्रहों के आधार पर और कुंडली में बनने वाले शुभ अशुभ योग के आधार पर।

https://www.instagram.com/reel/C1a72mbuPOs/?utm_source=ig_web_copy_link&igsh=ZTcxMWMzOWQ1OA==

wakt ki awaz

पहला:- नक्षत्रो के आधार पर मिलान करते समय अष्टकूट मिलने की परंपरा है इसमें नाडी के 8 गुण, भकूट के 7 गुण, मैत्री के 6 गुण, गृह मैत्री के 5 गुण, योनि मैत्री के 4 गुण, ताराबल  के 3 गुण, विश्य के 2 गुण और वर्ण के 1 गुण का मिलान होता है इस प्रकार से कुल 36 गुण होते हैं। विवाह के बाद वर वधू एक दूसरे के अनुकूल रहे संतान सुख धन दौलत में वृद्धि दीर्घ आयु हो इस वजह से ही दोनों पक्ष के 36 गुणो का मिलान किया जाता है।
 
दूसरा:- दूसरे स्तर पर वर अथवा वधू के ग्रहों का मिलान किया जाता है। जन्म कुंडलियों में मंगल शनि शुरू राहु केतु की स्थिति के परस्पर मूल्यांकन के आधार पर अनुकूलता और प्रतिकूलता का पता चलता है।

wakt ki awaz

तीसरा:- शुभाशुभ योग के आधार पर दोनों के चरित्र स्वास्थ्य आयु भाग्य आर्थिक स्थिति और संतान सुख आदि का विचार किया जाता है अगर भावी वर या वधू में से किसी एक की कुंडली में अल्पायु दरिद्र अर्थात् अशुभ होने की आशंका है तो कितने भी गुण मिलने अथवा दोनों की प्रकृति और अभिरुचि में कितनी भी समानता हो अशुभ योग हो के प्रभाव से उनका जीवन सुखी नहीं हो सकता, सुखी जीवन के लिए सभी स्तरों पर कुंडली का मिलान करना चाहिए।

उदाहरण: प्रभु राम वी माता सीता के 36 गुण मिले द लेकिन शादी के बाद सीता जी को राम जी का साथ बहुत कम मिला उनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहा क्योंकि श्री राम की रचलित जन्मकुंडली में उच्च का मंगल सप्तम भाव में था जो की मांगलिक दोष को दर्शाता है इसलिए राम जी का विवाह उच्च कुल में तो हुआ लेकिन दांपत्य सुख से वांछित रहे।

खास आपके लिए

बड़ी खबरें