Lal Krishna Advani: लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान पर, नेताओं के बिगड़े बोल
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा...
Lal Krishna Advani : देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। जिसका ऐलान केंद्र की मोदी सरकार ने किया है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने आडवाणी को बधाई दी है और भारत के विकास में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला है।
पीएम मोदी ने शुभ संदेश के साथ दी शुभकांमनाएं
आपको बतादें कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के माध्यम से दी है। पीएम मोदी ने कहा- एलके आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं और भारत के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
पीएम मोदी ने लिखा- ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।’
'भारत रत्न' पर आडवाणी की प्रतिक्रिया
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को लेकर घोषणा पर लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा, ''अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ, मैं 'भारत रत्न' स्वीकार करता हूं। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का भी सम्मान है जिनसे मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है।''
जानें कौन है एलके आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। वहीं आडवाणी जी की पढ़ाई कराची में हुई, मगर ऐसा दावा किया जाता है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने सिंध कॉलेज से पढ़ाई की, इसके बाद में उनका परिवार मुंबई आ गया।
कहा जाता है कि लालकृष्ण आडवाणी जब 14 साल के थे तब वो संघ से जुड़ गए। 1951 में वो जनसंघ से जुड़े थे, उसके बाद 1977 में जनता पार्टी का साथ निभाया। 1980 में बीजेपी का उदय हुआ। इसके साथ ही भारत की राजनीति में अटल आडवाणी युग की शुरुआत हुई। अटल आडवाणी की जोड़ी ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी।
जानें कब-किस पद पर रहे आडवाणी
- 1977 में सूचना प्रसारण मंत्री बने।
- साल 2002 में उप-प्रधानमंत्री बने।
- 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार उनके लिए बड़ा झटका साबित हुई।
- बीजेपी में नई पीढ़ी के आगमन के लिए उन्होंने रास्ता छोड़ दिया।
- इसके बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हो गई, कहा जाता है कि भाजपा आज जिस मजबूत स्थिति में है, उसकी नींव रखने वालों में आडवाणी का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लिया जाता है।
1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली थी रथ यात्रा
पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अयोध्या के राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका मानी जाती है। उन्होंने राम मंदिर के लिए समर्थन जुटाने के लिए 25 सितंबर, 1990 को सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा शुरू की थी। इसके बाद देश में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए आवाज जोर शोर से उठने लगी थी। ऐसा कहा जाता है कि राममंदिर आंदोलन से लालकृष्ण आडवाणी ने देश की सियासत बदल दी थी। हालांकि, अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह में आडवाणी स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो सके थे।
ऐलान पर असदुद्दीन ओवैसी की तीखी प्रतीक्रिया
जहां देश के पीएम मोदी ने पूर्व डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की है, वहीं इस ऐलान के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है। बतादें कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने संबंधी घोषणा पर तंज कसाते हुए, ओवैसी ने शनिवार (3 फरवरी) को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' के माध्यम से कहा- ''लालकृष्ण आडवाणी के लिए भारत रत्न उचित है। हिंसा में जान गंवाने वाले भारतीयों की कब्रें सीढ़ियों के अलावा और कुछ नहीं हैं।''
कांग्रेस नेता जयराम ने भी कसा तंज
वहीं कांग्रेस नेता जयराम ने कहा- वो आडवाणी ही थे जिन्होंने 2014 में वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को शानदार इवेंट मैनेजर बताया था, कांग्रेस नेता ने आडवाणी को दिए जाने वाले भरत रत्न सम्मान पर कटाक्ष करते हुए कहा- साल 2002 की एक और घटना भी याद दिलाई जिस समय वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर थे। इसके साथ ही उन्होनें पीएम मोदी और लाल कृष्ण आडवाणी से जुड़ी दो घटनाओं का भी जिक्र करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसमें उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करेगी।
जानें किन घटना का किया जिक्र
1- जयराम ने कहा- एक घटना साल 2002 की है जब लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बचाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को सीएम पद से हटाना चाहते थे।
2- जयराम ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा- ''किसी को याद होगा कि वाजपेयी जी ने मोदी जी को राजधर्म की याद दिलाई थी। उस वक्त अगर कोई नरेंद्र मोदी (वर्तमान प्रधाानमंत्री) के साथ खड़ा था तो वो लाल कृष्ण आडवाणी थे।
3- जयराम रमेश ने कहा- साल 2014 के दौरान नामांकन पत्र भरने के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी मेरे शिष्य या शागिर्द नहीं हैं।
4- जयराम ने यह भी बताया कि 5 अप्रैल, 2014 को गांधी नगर, गुजरात में बीजेपी नेता आडवाणी ने कहा- वो (पीएम मोदी) बेहद कुशल और शानदार कार्यक्रम प्रबंधक हैं।
बसपा ने की एक बड़ी मांग
वहीं एल के आडवाणी को भारत रत्न देने के ऐलान होने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती चुप हैं लेकिन उनके भतीजे आकाश आनंद ने एक बड़ी मांग कर दी है। बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर बसपा के पार्टी संस्थापक और दलित नेता कांशी राम को भी भारत देने की मांग की है।
बसपा नेता आकाश आनंद ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-"देश के करोड़ों दलितों, शोषितों और अल्पसंख्यक समाज को राजनीतिक ताकत देने वाले, सामाजिक परिवर्तन के महानायक मान्यवर कांशीराम साहेब जी को अतिशीघ्र भारत सरकार “भारत रत्न सम्मान” से सम्मानित करे। सामाजिक और आर्थिक तौर पर देश के लोगों को सशक्त करने में मान्यवर साहेब का योगदान अतुलनीय है।"