लोकसभा चुनाव 2024 : चुनाव आयोग की सख्त गाइडलाइन- चुनाव प्रचार में नहीं दिखेंगे बच्चे
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरो शुरू हो गई है, वहीं कई पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार चुकी है...
लोकसभा चुनाव 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरो शुरू हो गई है, वहीं कई पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार चुकी है, ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बतादे कि सोमवार को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव को लेकर सख्त हिदायत दी है, चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल न करने की सख्त हिदायत दी है। इस हिदायत से राजनीतिक पार्टीयों को झटका लगने वाला है।
जाने क्या है चुनाव आयोग की सख्त हिदायत
आपको बतादें कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर निवार्चन आयोग ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि आम चुनाव में प्रचार के दौरान कोई भी बच्चा और नाबालिग नहीं जायेगा, आम चुनाव में प्रचार के पर्चे बांटते हुए, पोस्टर चिपकाते हुए, नारे लगाते हुए या पार्टी के झंडे बैनर लेकर चलते हुए बच्चे या नाबालिग नहीं दिखने चाहिए। वहीं आयोग का कहना है कि अगर कोई उम्मीदवार गाइडालाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफा बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर आयोग ने दिखाई सख्ती
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपनी गाइडलाइन में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा- संशोधित अधिनियम, 2016 का सभी राजनीतिक दलों को बच्चों को चुनाव प्रचार शामिल न करना सुनिश्चित करें और दल अपने उम्मीदवारों को इसकी अनुमति न दें।
बच्चों को लेकर सख्त हुई आयोग
आपको बताते चले कि चुनाव आयोग की माने तो चुनाव के दौरान प्रचार में बच्चों का शामिल होना बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। चुनाव संबंधी कार्यों या चुनाव अभियान गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने पर सख्त कार्रवाई होगी, इस गाइडलाइन में किसी भी तरीके से बच्चों का राजनीतिक अभियान में शामिल करना, जिसमें कविता पाठ करना, गीत, नारे या बच्चों के द्वारा बोले गए शब्द या फिर उनके द्वारा किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन करना शामिल है। चुनाव अभियान संबंधी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उल्लंघन करने पर होगी सख्त कार्रवाई
चुनाव आयोग ने कहा- अगर कोई भी दल अपने चुनाव प्रयास में बच्चों को शामिल करते हुए पाया गया तो बाल श्रम से संबंधित सभी अधिनियम, कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी को कार्रवाई करने के जिम्मेदारी दी गई है।
हालांकि, किसी राजनीतिक नेता के आसपास अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की मौजूदगी को चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं किया गया है और न ही इस गाइडलाइन का उल्लंघन माना जाएगा। वहीं आयोग की माने तो बच्चों से प्रचार कराने पर पकड़े जाने पर कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा- सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।