लोकसभा चुनाव : RLD के साथ बीजेपी की डील पक्की, विपक्ष को लगा झटका, जानें फायदें
लोकसभा चुनाव को लेकर जहां तैयारियां शुरू हो गई है, तो वहीं चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन को एक और झटका लगना तय हो गया है
लोकसभा चुनाव : लोकसभा चुनाव को लेकर जहां तैयारियां शुरू हो गई है, तो वहीं चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन को एक और झटका लगना तय हो गया है। क्योंकि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया चौधरी जयंत सिंह न सिर्फ भाजपा के संपर्क में आई हैं, बल्कि सूत्रो के अनुसार तीन सीटों पर सहमति होने का भी दावा किया जा रहा है। साथ ही अखिलेश यादव से नाराज जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने की अटकलें हैं, बतादे कि जयंत चौधरी जाट वोटर्स पर मजबूत पकड़ रखते हैं, और उनके आने से एनडीए को फायदा होगा।
विपक्ष पार्टी को लगा बड़ा झटका
जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश 80 सीटे हासिल करने के मिशन में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सत्ता में वापसी का 3.0 प्लान पेश कर दिया, इसके साथ ही बीजेपी के लिए खुशखबरी और सपा के बड़ा झटका है क्योंकि जयंत चौधरी NDA में शामिल हो गए है। जहां एक तरफ यूपी में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के स्वागत की तैयारी चल रही है जिसके साथ ही सभी सहयोगी दलो को भी यात्रा में शामिल होने के लिए न्योते भेजे रहे हैं।
वहीं सूत्रों की माने तो रालोद ने भाजपा से कैराना, अमरोहा, बागपत, मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट मांगी थी। भाजपा इनमें से कैराना, अमरोहा और बागपत सीट देने के लिए तैयार है। मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट पर पेच फंसा है। एनडीए गठबंधन में मंत्री पद भी मिलने की संभावना है। वहीं सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को 2 सीटें ऑफर की हैं, जिसमें मथुरा और बागपत की सीट शामिल है, इसके अलावा बीजेपी ने आरएलडी को एक राज्यसभा की सीट भी देने का प्रस्ताव दिया है।
अखिलेश यादव से जयंत की नाराजगी
सूत्रों के मुताबिक जयंत, अखिलेश के प्रस्ताव से नाराज हैं, अखिलेश का प्रस्ताव है कि आरएलडी लोकसभा चुनाव 7 सीटों पर लड़े, लेकिन कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर की सीटों पर उम्मीदवार का चेहरा समाजवादी पार्टी से होगा और निशान आरएलडी का अखिलेश के इस फैसले ने जयंत चौधरी को नाराज कर दिया है, जयंत चौधरी का बीजेपी में आना एनडीए के मिशन 400 को नई उड़ान देगा।
बीजेपी में आने से जयंत के फायदे
जैसा कि जानते है कि जयंत चौधरी की जाटों में ज्यादा पकड़ है वहीं यूपी की 10 से 12 सीटों पर जाटों का प्रभाव है, ऐसे में देखा जाएं तो पश्चिमी यूपी में करीब 17 फीसदी आबादी जाटों की है, यहीं नहीं विधानसभा की करीब 50 सीटों का फैसला भी जाट वोटर्स की करते हैं। इसके अलावा जयंत के आने से बीजेपी किसान आंदोलन से हुई जाटों की नाराजगी को भी दूर करने में कामयाब हो सकती है।
दरअसल, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब यूपी में एसपी-बीएसपी का गठबंधन था तब आरएलडी उसका हिस्सा थी, लेकिन बावजूद इसके उस चुनाव मोदी की आंधी के सामने ये गठबंधन फेल हो गया। अजित सिंह और जयंत दोनों एसपी और बीएसपी के समर्थन के बाद भी जाट बहुल अपनी मजबूत सीटों पर चुनाव हार गए।