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लोकसभा चुनाव : उन्नाव सांसद साक्षी महाराज का जीवन और राजनीतिक सफरनामा


साक्षी महाराज ने शुरूआत भाजपा से की थीं और लोध समुदाय से आने वाले एक अन्य भाजपा नेता कल्याण सिंह और एक अन्य भाजपा नेता कलराज मिश्रा के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। 1991 में लोकसभा के लिए मथुरा से चुने गए। 1996 और 1998 फर्रुखाबाद से, जहां लोधी बहुमत है। 1999 के आम चुनाव में, भाजपा द्वारा फर्रुखाबाद से टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार किया।


लोकसभा चुनाव 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां तोजी से शुरु हो चुकी हैं, लोकसभा संवैधानिक रूप से लोगों का सदन है साथ ही भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन है, जिसमें उच्च सदन राज्य सभा है। वहीं लोकसभा चुनाव के मुखिया पद पर सभी की नजरें बनी हुई हैं, मगर देखना यह है कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता हैं।

लोकसभा चुनाव 2024: wakt ki awaz

आपको बताते चले लोकसभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वयस्क सार्वभौमिक मताधिकार और एक सरल बहुमत प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं, और वे पांच साल तक या जब तक राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्री परिषद् की सलाह पर सदन को भंग नहीं कर देते, तब तक वे अपनी सीटों पर बने रहते हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।

साक्षी महाराज का जीवन

साक्षी महाराज बीजेपी से संबंधित एक भारतीय राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं। उन्नाव की सीट के सांसद स्वामी सच्चिदानंद साक्षी महाराज के जीवन की बात करें तो इनका जन्म 12 जनवरी 1956, में यूपी के कासगंज जिले के साक्षी धाम में हुआ था। उनके पिता आत्मानंदजी महाराज प्रेमी और माता मदालसा देवी लोधी थीं। बताते चले कि साक्षी लोध समुदाय से हैं जिसे उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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साक्षी महाराज के पास श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि है। वह साक्षी महाराज समूह के निदेशक भी हैं जिसके भारत में 17 शैक्षणिक संस्थान और कई आश्रम भी हैं। उन्होंने पीएच.डी. की डिग्री हासिल की है और साक्षी महाराज समूह के बैनर तले भारत भर में विभिन्न शैक्षणिक संस्थान और आश्रम चलाते हैं, जिसके लिए वह इसके वर्तमान निदेशक के रूप में भी काम कर रहे हैं। 

उन्नाव सांसद का राजनीति सफर

1- साक्षी महाराज ने शुरूआत भाजपा से की थीं और लोध समुदाय से आने वाले एक अन्य भाजपा नेता कल्याण सिंह और एक अन्य भाजपा नेता कलराज मिश्रा के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। 

2- 1991 में लोकसभा के लिए मथुरा से चुने गए। 

3- 1996 और 1998 फर्रुखाबाद से, जहां लोधी बहुमत है। 

4- 1999 के आम चुनाव में, भाजपा द्वारा फर्रुखाबाद से टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार किया।

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5- 1999 के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मुलायम सिंह ने उन्हें औपचारिक रूप से समाजवादी पार्टी में शामिल कर लिया। साक्षी महाराज ने कहा- "भाजपा की नीतियां समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए अनुकूल नहीं हैं।" आपको बताते चले कि अटल बिहारी वाजपेई के आदेश पर उनका टिकट काट दिया गया था। उस समय साक्षी, वाजपेयी के करीबी सहयोगी ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या में आरोपी थे। 

6- 2000 में मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया।

7- भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित होने से पहले साक्षी महाराज 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने 2014 का आम चुनाव उन्नाव उत्तर प्रदेश से जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि यह देश का आखिरी चुनाव है।

8- जनवरी 2002 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए उस पर तानाशाही, भाई-भतीजावाद, जातिवाद और पूंजीवाद का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- "वह समाजवादी पार्टी में बने रहेंगे लेकिन भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।"

9- 2014 उन्होंने भाजपा के टिकट के साथ 16 वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल कीह और सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 21,873 मतों के अंतर से हराया।

10- 2019 के लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज ने उन्नाव से रिकार्ड तोड़ जीत हासिल की थी, उस समय प्रचार करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि यह देश का आखिरी चुनाव है।

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साक्षी महाराज पर लगे विवादित आरोप

1- उन्नाव के सांसद और बीजेपी के भारतीय राजनीज्ञ साक्षी महाराज राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल थे और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के एक आरोपी के रूप में उनपर मुकदमा चल रहा है। अगस्त 2000 में, इटा के एक कॉलेज के प्राचार्य ने साक्षी और उनके दो भतीजों, पदम सिंह और शिवराम राम पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ़ शिकायत दर्ज की। मगर दावे के अनुसार पर्याप्त सबूत न होने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था।

2- वहीं दिसंबर 2005 में, कुछ सांसदों को एमपीएलएडीएस फंड का दुरुपयोग करते हुए एक रिपोर्ट जारी की साक्षी महाराज उन अभियुक्तों में से थे। 2012 में, पुलिस ने साक्षी और उनके सहयोगियों को 47 वर्षीय सुजाता वर्मा की हत्या के लिए गिरफ्तार किया, जिनकी इटा में साक्षी के आश्रम से लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

3- वहीं 2018 में श्मशान भूमि से जुड़े भूमि विवाद मामले में भाजपा सांसद साक्षी महाराज के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।

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4- उन्होंने उन्नाव निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा चुनाव लड़ा और भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की। अपने साथियों के बीच साक्षी महाराज के रूप में प्रसिद्ध ये बड़ा राजनीतिक नाम बलात्कार, हत्या और अपहरण से लेकर कई आपराधिक षड्यंत्रों में फंसा हुआ हैं। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का समर्थन करने के लिए सबूतों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था।

धार्मिक और अन्य गतिविधियाँ 

साक्षी महाराज के पास श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि है । वह साक्षी महाराज समूह के निदेशक भी हैं जिसके भारत में 17 शैक्षणिक संस्थान और कई आश्रम हैं। 

साक्षी महाराज के व्यक्तिगत विचार 

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1- 14 सितंबर 2015 को कन्नौज में एक भाषण में साक्षी महाराज ने कहा- "मदरसे आतंकवादी पैदा कर रहे हैं और वे अपने छात्रों को लव जिहाद करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"

2- 11 दिसंबर 2014 को, उन्होंने भारतीय संसद में मोहनदास गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को गांधी की तरह "देशभक्त और राष्ट्रवादी" कहा। मगर जब कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने इस बयान की आलोचना की तो उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया और कहा - "वह गोडसे को 'देशभक्त' नहीं मानते"।

3- 6 जनवरी 2015 को मेरठ में एक सभा को संबोधित करते हुए, साक्षी ने भारत में हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हिंदू महिलाओं से कम से कम 4 बच्चे पैदा करने का आग्रह किया और कहा कि मुसलमान बहुविवाह का अभ्यास करते हैं और इस प्रकार उनकी जन्म दर अधिक है।

4- उन्होंने घर वापसी आंदोलन का बचाव किया और गोहत्या और धर्म परिवर्तन के लिए मौत की सजा की वकालत की। 

5- 2015 के नेपाल भूकंप के बाद , 27 अप्रैल को साक्षी ने दावा किया कि भूकंप इसलिए आया क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केदारनाथ मंदिर का दौरा किया था। साथ ही  उन्होंने यह भी दावा किया कि गांधी गोमांस खाते हैं और खुद को शुद्ध किए बिना मंदिर जाते हैं। 

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