लोकसभा मानसून सत्र 2024: कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा- देश में हलवा बंट रहा
वहीं कांग्रेस सांसद के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने टोका तो उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से सवाल कर दिया कि क्या बोलूं
लोकसभा मानसून सत्र 2024: लोकसभा में कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने आज यानि की सोमवार को केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है इसके साथ ही सरकार के किए गए कार्यों पर सवाल उठाया हैं। इसके साथ ही राहुल गांधी ने बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि देश के बिजनेस पर अंबानी-अडानी का कंट्रोल है। वहीं कांग्रेस सांसद के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने टोका तो उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से सवाल कर दिया कि क्या बोलूं? इतना ही नहीं कांग्रेस नेता ने लोकसभा में हलवा सेरेमनी की फोटो दिखाने की कोशिश की, मगर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें फोटो को दिखाने की अनुमति नहीं दी।
पोस्टर पर संसद में उठा बवाल
आपको बतादें कि लोकसभा में कांग्रेस सांसद ने संसद में केंद्र सरकार को जमकर घेरा और एक पोस्टर (Poster) दिखाने की अनुमति भी मांगी, जिसपर जमकर विवाद हुआ... पोस्टर को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि स्पीकर (Speaker) सर मैं आपकी अनुमति से एक पोस्टर दिखाना चाहता हूं जिसपर स्पीकर ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी। इसके साथ ही ओम बिरला ने सख्त लहजे में कहा- मैं आपको संसद में पोस्टर नहीं दिखाने दूंगा। ओम बिरला ने कहा कि ये गलत तरीका है और सदन (Parliament) में ऐसा नहीं हो सकता। राहुल के इस अनुरोध पर बीजेपी सांसदों ने भी आपत्ति जताई।
सरकार ने चक्रव्यूह में फंसा दिया
लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी ने बजट पर चर्चा उठाते हुए और केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार ने देश के युवाओं, किसानों और गरीबों को अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसा दिया है। अंबानी-अडानी का देश के बिजनेस पर कंट्रोल है। जिसके बाद अंबानी-अडानी का नाम पर स्पीकर ओम बिरला ने राहुल को रोका तो कांग्रेस सांसद ने कहा- सर, क्या मैं उनको A1, A2 कह सकता हूं, या नंबर 3-4 चलेगा? इसके साथ ही राहुल ने कहा- सत्तापक्ष चक्रव्यूह बनाता है। कांग्रेस और विपक्ष चक्रव्यूह तोड़ता है। हजारों साल पहले छह लोगों ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसा कर मारा था। चक्रव्यूह का दूसरा नाम पद्मव्यूह है, जो कमल के फूल के आकार का होता है। इसमें डर और हिंसा होती है।
इतना ही नहीं केंद्र सरकार पर आगे निशाना साधते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा- "हजारों साल पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु को छह लोगों ने चक्रव्यूह में अभिमन्यु को फंसा मारा था। इसके अंदर डर होता है, हिंसा होती है और अभिमन्यु को फंसाकर छह लोगों ने मारा। मैंने जब इसके बारे में रिसर्च की तो पता चला कि उसका एक और नाम होता है पद्म व्यूह। ये लोटस के शक्ल में होता है।" इन 6 लोगों को बताया कौरव रायबरेली सीट से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "21वीं सदी में एक नया चक्रव्यूह तैयार हुआ है, वो भी लोटस की चिह्न में है और उसका चिह्न पीएम अपनी छाती में लगाकर चलते हैं। जो अभिमन्यु के साथ हुआ, वही किसानों के साथ, माता बहनों के साथ हुआ। द्रोणाचार्य, कर्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वत्थमा और शकुनी ने घेरकर मारा था। आज भी चक्रव्यूह में छह लोग हैं। सेंटर में छह लोग कंट्रोल करते हैं। नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अदाणी।"
वही देश के साथ हो रहा है। सेना के जवानों को अग्निपथ के चक्रव्यूह में फंसाया गया है, किसानों ने इस सरकार के चक्रव्यूह से निकलने के लिए सिर्फ एमएसपी की कानूनी गारंटी मांगी थी, जो नहीं मिली।
बजट का बना हलवा- राहुल गांधी
लोकसभा संसद में कांग्रेस सांसद ने स्पीकर से पोस्टर को दिखाने की अनुमति मांगी थी उसमें राहुल गांधी के हाथ में जो पोस्टर था वो साफतौर पर दिखाई दे ही रहा था, उसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दिखाई दे रही थीं और ये पोस्टर हलवा सेरेमनी का था। उन्होंने दावा किया कि देश का बजट बनाने का काम 20 अफसरों ने किया है। इनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक और एक ओबीसी है। दलित और आदिवासी एक भी नहीं है। राहुल ने बजट से पहले होने वाली हलवा रस्म को लेकर भी सरकार पर हमला बोला कि इस सरकार में दो-तीन फीसदी लोग ही हलवा तैयार कर रहे हैं। इतने ही लोग हलवा खा रहे हैं। बचे देश के लोगों यह नहीं नसीब हो रहा है।
इतना ही नहीं बजट का हवाला देते हुए नेता विपक्ष ने कहा- जिस चक्रव्यूह ने देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, उसके पीछे 3 ताकतें हैं। पहली एकाधिकार वाली पूंजी का विचार है। इसमें दो लोगों को पूरे देश की संपत्ति का मालिक बनना है। दूसरी ताकत इस देश की संस्थाएं(सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग) हैं। तीसरी ताकत कार्यपालिका है। ये तीनों ताकतें चक्रव्यूह में हैं।
राहुल गांधी ने कहा, मेरी अपेक्षा थी कि बजट इस चक्रव्यूह की शक्ति को कमजोर करेगा. देश के किसानों, युवाओं, मजदूरों को मदद मिलेगी, लेकिन इस बजट का उद्देश्य बड़े व्यवसायियों के एकाधिकार और राजनीतिक एकाधिकार के ढांचे को मजबूत करना है, जो लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाए।